परिचय
रेड आर्मी (लाल सेना) सोवियत संघ की सशस्त्र सेना थी, जिसकी स्थापना 1918 में रूसी गृहयुद्ध के दौरान बोल्शेविक सरकार ने की थी। इसका पूरा नाम “वर्कर्स’ एंड पीजेंट्स’ रेड आर्मी” (श्रमिकों और किसानों की लाल सेना) था। यह सेना न केवल सोवियत संघ की सुरक्षा का प्रतीक बनी, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के खिलाफ लड़ाई में इसने निर्णायक भूमिका निभाई।
इतिहास: गठन से विघटन तक
1. स्थापना और रूसी गृहयुद्ध (1918–1922)
- 28 जनवरी 1918 को लियोन ट्रॉट्स्की (सोवियत युद्ध मंत्री) ने रेड आर्मी की स्थापना की।
- इसका मुख्य उद्देश्य व्हाइट आर्मी (बोल्शेविक-विरोधी सेना) और विदेशी हस्तक्षेपकारी ताकतों (ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, फ्रांस) को हराना था।
- 1922 तक रेड आर्मी ने गृहयुद्ध जीत लिया और सोवियत संघ का गठन हुआ।
2. द्वितीय विश्व युद्ध (1941–1945) – “ग्रेट पैट्रियटिक वॉर”
- 22 जून 1941 को जर्मनी ने सोवियत संघ पर ऑपरेशन बार्बारोसा के तहत हमला किया।
- रेड आर्मी ने स्टेलिनग्राद की लड़ाई (1942–43) और कुर्स्क की लड़ाई (1943) में जर्मनों को करारी हार दी।
- 1945 में बर्लिन पर कब्जा करके रेड आर्मी ने नाजी जर्मनी को समाप्त कर दिया।
- 9 मई 1945 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ युद्ध समाप्त हुआ, जिसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
3. शीत युद्ध और विघटन (1946–1991)
- 1946 में रेड आर्मी का नाम बदलकर “सोवियत सेना” रखा गया।
- शीत युद्ध के दौरान यह नाटो (NATO) के खिलाफ सोवियत संघ की मुख्य सैन्य शक्ति बनी।
- 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद इसका पुनर्गठन हुआ और रूसी सेना अस्तित्व में आई।
रेड आर्मी की संरचना और रणनीतियाँ
1. प्रमुख शाखाएँ
- ग्राउंड फोर्सेज (थल सेना) – मुख्य युद्ध बल।
- सोवियत नौसेना – समुद्री रक्षा।
- सोवियत वायु सेना – हवाई युद्ध।
- एयर डिफेंस फोर्सेज – विमानभेदी तोपें और मिसाइलें।
- स्ट्रैटेजिक मिसाइल फोर्सेज (1960 के बाद) – परमाणु हमले की क्षमता।
2. प्रसिद्ध रणनीतियाँ
- “डीप बैटल” सिद्धांत: दुश्मन की रेखाओं को तोड़कर पीछे से हमला करना।
- “स्कोर्च्ड अर्थ” नीति: जर्मन सेना को संसाधनों से वंचित करने के लिए फसलें जलाना और कारखाने नष्ट करना।
- “ब्लॉकिंग डिटैचमेंट्स”: स्टालिन के “नो स्टेप बैक!” (ऑर्डर नंबर 227) के तहत पीछे हटने वाले सैनिकों को गोली मार दी जाती थी।
महिला सैनिकों की भूमिका
- रेड आर्मी में 8 लाख से अधिक महिलाओं ने सेवा की।
- ल्यूडमिला पावलीचेंको (309 जर्मन सैनिकों को मारने वाली स्नाइपर) और “नाइट विच” (महिला पायलटों की बॉम्बर रेजिमेंट) जैसी वीरांगनाओं ने इतिहास रचा।
प्रमुख हथियार और टैंक
- टी-34 टैंक: जर्मन टाइगर टैंक को मात देने वाला सबसे प्रभावी टैंक।
- कत्यूशा रॉकेट लॉन्चर: “स्टालिन्स ऑर्गन” के नाम से कुख्यात।
- मोसिन-नागन राइफल: स्नाइपरों की पसंदीदा राइफल।
रेड आर्मी का सांस्कृतिक प्रभाव
- “कात्युषा” जैसे युद्धगीत सैनिकों का मनोबल बढ़ाते थे।
- “मदरलैंड कॉल्स!” जैसे प्रचार पोस्टर देशभक्ति जगाते थे।
- विजय दिवस (9 मई) आज भी रूस का सबसे बड़ा राष्ट्रीय त्योहार है।
विवाद और आलोचनाएँ
- 1930 के दशक की सैन्य शुद्धियाँ: स्टालिन ने हजारों अधिकारियों को मार डाला, जिससे 1941 में जर्मनी के सामने शुरुआती हार हुई।
- बर्लिन में बदला: कुछ सैनिकों ने जर्मन नागरिकों के साथ हिंसा की (हालाँकि यह आधिकारिक नीति नहीं थी)।
कुछ रोचक तथ्य
✅ रेड आर्मी ने हिटलर के शव को गुप्त रूप से दफनाया था।
✅ 1945 में रेड आर्मी ने जापान के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी और मंचूरिया पर कब्जा किया।
✅ सोवियत सैनिकों ने रीचस्टैग (जर्मन संसद) पर लाल झंडा फहराकर प्रसिद्ध तस्वीर खिंचवाई।
निष्कर्ष
रेड आर्मी ने न केवल सोवियत संघ को बचाया, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध का पूरा इतिहास बदल दिया। यह सेना समाजवाद, साहस और त्याग का प्रतीक बनी और आज भी रूसी सेना की नींव है।
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जय सोवियत संघ! (Да здравствует Советский Союз!)
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