Best Places To Visit In Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश का इतिहास बहुत पुराना है। इस बात के प्रमाण हमें प्रदेश के अलग-अलग भागों में हुई खुदाई में प्राप्त हुई सामग्रियों से मिलते हैं। पुराने समय में हिमाचल प्रदेश के निवासी निषाद, दास और दस्यु के नामो से जाने जाते थे। उन्नीसवीं (19वी) शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने हिमाचल प्रदेश के अनेक हिस्सों को अपने राज्य में शामिल कर लिया। बाद में जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को हरा कर कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया।
हिमालय पर्वत की शिवालिक पर्वत श्रेणी में हिमाचल प्रदेश स्तिथ है। शिवालिक की पर्वत श्रेणी ही घग्गर नदी का उदगम स्थल है। हिमाचल प्रदेश की अन्य प्रमुख नदिया सतलुज और व्यास है।
हिमाचल प्रदेश की जलवायु (Himachal Pradesh Climate)
हिमाचल प्रदेश में मुख्यत्तः तीन ऋतुएं होती हैं – शरद ऋतु , ग्रीष्म ऋतु और वर्षा ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊँचाई एक जैसी नहीं है, इसी विविधता के कारण जलवायु में विविधता है। कहीं पर तो सारा वर्ष बर्फ गिरती है, तो कई स्थानों पर गर्मी होती हे। हिमाचल प्रदेश में आपको गर्म पानी के चशमें भी मिलेंगे और हिमनद भी।
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन (Tourism in Himachal Pradesh)
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को उच्च प्राथमिकता दी गई है। जिसके लिये हिमाचल सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए समुचित ढांचे विकसित किये है, जिसमें सड़कें, संचार तंत्र, जन-उपयोगी सेवाएं, यातायात सेवाएं, हवाई अड्डे, जलापूर्ति और जन स्वास्थ्य इत्यादि सेवाएं शामिल है। राज्य का पर्यटन विकास निगम – राज्य की कुल आय में 10 प्रतिशत तक का योगदान करता है।
राज्य में तीर्थो और नृवैज्ञानिक महत्व स्थलों के अनेको समृद्ध भंडार है। हिमाचल प्रदेश को व्यास, वशिष्ठ, पाराशर, मार्कण्डेय और लोमश आदि महान ऋषियों के निवास स्थल होने की गौरवता प्राप्त है। यहाँ मौजूद गर्म पानी के स्रोत, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, ऐतिहासिक दुर्ग, उन्मुक्त विचरते चरवाहे यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद के स्रोत हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुछ मुख्य आकर्षण पर्यटन स्थल (Some of the main Attractions of Himachal Pradesh Tourist Places)
मनाली, शिमला, मैक्लोडगंज, स्पीति घाटी, डलहौजी, बीर बिलिंग, कसौली, फागु, कज़ाई, तीर्थन घाटी, सेठन घाटी, खाज्जिअर, कुफरी, धर्मशाला, चैल, पालमपुर, नारकंडा, पराशर झील, नग्गर, सराहन, कल्पा, पार्वती घाटी, चंबा, किन्नौर, इन्द्रहर पास, नाहन, कांगड़ा, बिलासपुर, कुल्लू, शोघी, तत्तापानी, मंडी, मणिकरण साहिब, शोजा, सोलन, सांगला, मशोबरा, नालागढ़, अर्की, पांवटा साहिब, सोलंग वैली, ब्यास कुंड ट्रेक, रोहतांग दर्रा, पार्वती घाटी ट्रेक, खीरगंगा ट्रेक, पिन वैली नेशनल पार्क, पिन पार्वती पास, सर पास ट्रेक, भृगु झील, त्रिउंड, मलाना, किन्नौर कैलाश, जालोरी पास, बरोट, चंद्रताल बरलाचा ट्रेक, पिन वैली पार्क ट्रेक, बड़ा भंगल ट्रेक, हम्पटा पास ट्रेक, पिन भाभा पास ट्रेक, देव टिब्बा ट्रेक, ठियोग, बरोग, सिरमौर, कांगोजोडि, चांशल पास, केलांग, पांगी घाटी, दादासिबा, हनुमान टिब्बा, भंतर, सैंज घाटी, परवाणु, लैंगज़ा, चिचम ब्रिज, हिक्कीम, ल्हालुंग इत्यादि। इन में से कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में निचे लिखा गया है:-
कसौली (Kasauli)
चंडीगढ़ से शिमला मार्ग पर सोलन जिले में स्तिथ कसौली एक पहाड़ी छावनी वाला शांतिपूर्ण स्थान है। कसौली अपने शांत वातावरण के लिये बहुत प्रसिद्ध है। कसौली लंबी पैदल यात्रा के ट्रेल्स के लिए बहुत प्रसिद्ध है। चंडीगढ़ से कम दूरी होने की वज़ह से बहुत से पर्यटक यहाँ सप्ताहांत (Weekends) मनाने के लिए अपने मित्रो या परिवार के साथ आते है।
कसौली के गांव में प्रकृति के रास्ते और अनेको सुंदर दृश्य हैं। यहां क्राइस्ट चर्च, मंकी टेम्पल, सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट और सनसेट पॉइंट लोकप्रिय आकर्षक स्थान हैं। कसौली को तीर्थ स्थान भी माना जाता है, कहा जाता है कि जब हनुमान जी, लक्ष्मण जी दवाओं की खोज के लिए निकले थे, तो उस दौरान हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था।
कांगड़ा (Kangra)
कांगड़ा जिला हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख स्थान है, कांगड़ा जिले का प्रशासनिक मुख्यालय धर्मशाला है। कांगड़ा घाटी में ब्यास नदी बहती है। कांगड़ा में अनेको प्राचीन मंदिर, धौलादार रेंज और अंतहीन चाय के बागान है। हमारे पवित्र हिंदू ग्रंथों में कांगड़ा की भूमि का उल्लेख ‘देवभूमि’ या देवताओं की भूमि के रूप में होता है। कांगड़ा की सीमाओं में मैकलोडगंज और धर्मशाला की सीमायें भी लगती है। अनेको सुंदर और विशाल चाय के बागान पालमपुर और उसके समीप के क्षेत्रों में स्थित हैं।
कांगड़ा जिला में अनेको प्रसिद्ध मंदिर है। ज्वाला देवी मंदिर इन सबमें सबसे प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी शाश्वत लौ के लिए विख्यात है, यह लौ बिना किसी ज्ञात स्रोत के कई वर्षों से लगातार उज्जवलित है। मंदिर के इस चमत्कार ने विज्ञान के सिद्धांतों पर भी कई सवाल खड़े कर दिये है।
कुल्लू (Kullu)
हिमाचल प्रदेश का एक अन्य दर्शनीय व लोकप्रिय पर्यटन स्थल कुल्लू है। कुल्लू ब्यास नदी के किनारे पर स्थित है। पीर प्रांजल, ग्रेट हिमालयन और लोअर हिमालयन रेंज के मध्य लगभग 1230 मीटर की ऊंचाई पर कुल्लू स्थित है। कुल्लू में जिला मुख्यालय होने के कारण यहाँ चहल-पहल लगी रहती है। कुल्लू की लोकप्रियता अपने प्राचीन मंदिरों, दशहरा महोत्सव और रीवर राफ्टिंग के लिए है। कुल्लू अधिक ऊंचाई पर स्तिथ है और बर्फ से ढके इसके पहाड़ इसे और अधिक सुंदरता प्रदान करते है।
कुल्लू में भुंतर हवाई अड्डा और बस जंक्शन भी है। कुल्लू से ही मणिकरण, नग्गर, कसोल, मलाणा तक पहुंचने के लिए बसे मिलती है। श्री रघुनाथ मंदिर और जगन्नाथ देवी मंदिर आदि अन्य प्रसिद्ध मंदिर भी कुल्लू में ही हैं। कई प्रसिद्ध ट्रेक (बिजली महादेव मंदिर ट्रेक, पार्वती वैली ट्रेक) कुल्लू में से होकर निकलते हैं।
मनोरम दृश्यों और सुन्दर देवदार के पेड़ों से भरी हुई राजसी पहाड़ियों के साथ-साथ, कुल्लू प्रकृति के प्रेमीयों के लिये स्वर्ग समान है। कुल्लू से लगभग 4 किलोमीटर दूर पिरनी में रीवर राफ्टिंग होती है।
खज्जियार (Khajjiar)
खज्जियार को ‘भारत का मिनी-स्विट्जरलैंड’ (Mini-Switzerland of India) के नाम से जाना जाता है। खज्जियार डलहौजी से लगभग 24 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा और सुन्दर शहर है। खज्जियार अपने प्रसिद्ध घास के मैदानों के लिए बहुत लोकप्रिय है। खज्जियार में सुन्दर दृश्यों के साथ-साथ पर्यटक ज़ोरबिंग, पैराग्लाइडिंग और घुड़सवारी का लुतफ़ भी उठा सकते हैं।
खज्जियार के नौ-होल गोल्फ कोर्स बहुत प्रसिद्ध है, ये गोल्फ कोर्स हरियाली और लुभावने परिदृश्यो के बीच स्थित है। सर्दियों के समय जब कभी भारी बर्फबारी होती है, तो खज्जियार जाने के मार्ग बंद हो जाते है। खज्जियार से डलहौजी के मार्ग में कलाटोप वन्यजीव अभयारण्य आता है।
झील से कुछ दूरी पर खज्जी नाग का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चंबा के राजा पृथ्वी सिंह जी के द्वारा करवाया गया था। मंदिर में एक बहुत सुन्दर स्वर्ण (Gold) का गुंबद है, जिस कारण इस मंदिर को स्वर्ण देवी मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में लकड़ी का कार्य किया गया है। यह मंदिर नागो को समर्पित है, इसके अंदर कुछ सर्पो की मूर्तियाँ भी हैं। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव और देवी हडिंबा की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
चंबा (Chamba)
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मौजूद चंबा शहर एक हिमालयी शहर है। चंबा रावी नदी के किनारे पर लगभग 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंबा जम्मू और कश्मीर, कांगड़ा और लाहौल से घिरा है। चंबा प्राचीन गुफाओं, मंदिरों और भारतीय इतिहास के सुन्दर दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
चंबा के पारंपरिक हस्तशिल्प और पहाड़ी चित्र बहुत लोकप्रिय है। चंबा में कई प्रसिद्ध ट्रेक के लिए आधार शिविर भी है। चंबा के यह ट्रेक अपनी सुंदरता और अपने शांत वातावरण से उन पर्यटकों को आकर्षित करते है, जो हिमाचल के शहरों की बजाय कुछ अलग स्थानओ की तलाश में हो।
चंबा के दो त्योहार बहुत प्रसिद्ध है – पहला सुही माता का मेला (यह मेला चार दिनों के लिए मार्च / अप्रैल के महीने में आयोजित किया जाता है) और दूसरा मिंजर मेला (यह मेला श्रावण महीने के दूसरे रविवार या अगस्त के महीने में मनाया जाता है)
डलहौजी (Dalhousie)
डलहौजी हिमाचल प्रदेश में धौलाधार पर्वत श्रृंखला के समीप 5 पहाड़ियों में फैला हुआ एक अधिक ऊंचाई वाला शहर है। डलहौजी धौलाधार पर्वतमाला की बर्फ से ढकी सुन्दर चोटियों के अत्यंत मनमोहक दृश्य पेश करता है। डलहौजी का नाम लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया था। डलहौजी अपने घने जंगलों, घास के मैदानों और झरनों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। डलहौजी परिवार के साथ समय व्यतीत करने के लिये बहुत बढ़िया स्थान है।
डलहौजी शहर का मुख्य बाजार द माल रोड (The Mall Road) है। जहाँ से आप चंबा रूमाल, ऊनी हिमाचली शॉल, तिब्बती हस्तशिल्प जैसे अनेको प्रसिद्ध सामान खरीद सकते है। डलहौजी के समीप के अन्य देख़ने लायक प्रसिद्ध स्थान खज्जियार और चंबा है, जिनकी दूरी डलहौजी से कुछ ज्यादा नहीं है।
धर्मशाला (Dharamshala)
हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा शहर से लगभग 18 किलोमीटर दूर धर्मशाला स्थित है। ब्रिटिश राज के समय में धर्मशाला और उसके आसपास के क्षेत्र पर कटोच राजवंश (एक शाही राज परिवार) ने लगभग दो सहस्राब्दियों तक शासन किया। सन 1959 में महान दलाई लामा अपने अनुयायियों के साथ भारत में आए और यहीं धर्मशाला में बस गये। धर्मशाला अनेक वर्षों से ध्यान और शांति का केंद्र स्थल रहा है।
कई हजार लोग, जो तिब्बत से निर्वासित किये गये थे, वो धर्मशाला में आकर बस गए। अधिकांश लोग ऊपरी धर्मशाला (मैक्लोडगंज) में और उसके आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं, जहां उन्होंने अपने लिये मठ, मंदिर और स्कूल बनाए हैं। धर्मशाला महत्वपूर्ण पर्यटन के रूप में सामने आया है, यहाँ अनेको होटल और रेस्तरां है, जिनसे पर्यटन और वाणिज्य में बहुत वृद्धि हुई है।
धर्मशाला शीतकालीन राजधानी है, यहाँ शीतकालीन सत्र आयोजित किए जाते हैं। भारत का एक बहुत प्रसिद्ध बर्ड-वाचिंग स्पॉट भी धर्मशाला में है।
परवाणू (Parwanoo)
परवाणू हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर स्थित एक छोटा हिल स्टेशन है। यहाँ सेब के कई खूबसूरत बाग है। चीड़ और देवदार के पेड़ों से हरा-भरा वातावरण प्रकृति प्रेमियों को मन्तरमुगध कर देता है। परवाणू झीलों, बगीचों और मंदिरों से भरा हुआ है। आप इस शहर की यात्रा केबल कार की सवारी करते हुए एक नये अनुभव के साथ कर सकते है।
अब परवाणू एक औद्योगिक शहर में बदल गया है। सबसे बड़ा फल प्रसंस्करण प्रभाग (Processing Division) परवाणू में ही है। बगीचो में से फलों को इकठ्ठा करने के बाद प्रसंस्करण (Processing) करके जैली, जैम और जूस बनाकर, इसे पैकिंग करके देश के अन्य राज्यों में भेजा जाता है।
पांवटा साहिब (Paonta Sahib)
पांवटा साहिब हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले की दक्षिण दिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग 72 (NH-72) पर स्थित एक औद्योगिक शहर है। यह स्थान सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित यह पांवटा साहिब गुरुद्वारा यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। यह यमुना नदी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच की सीमा है। पूरे वर्ष यहाँ तीर्थयात्रियों का भारी मात्रा में ताँता लगा रहता है।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने पांवटा साहिब में अपने जीवन के बिताये गये समय को अपने जीवन के सबसे अच्छे समय के रूप में अपने संस्मरणों में वर्णित किया है। वह स्थान जहाँ अब गुरुद्वारा स्तिथ है, वहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी अपने परिवार के साथ रहा करते थे। गुरुद्वारे में एक संग्रहालय भी है, जिसमे गुरु गोबिंद सिंह जी के युद्धो की प्राचीन वस्तुओं और हथियारों को रखा गया है। गुरुद्वारे में जिस पालकी पर गुरु ग्रंथ साहिब जी रखे गये है, वह पालकी शुद्ध सोने की बनी हुई है।
मणिकरण (Manikaran)
मणिकरण हिंदुओं और सिखों दोनों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहाँ बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का ताँता लगा रहता हैं। मणिकरण हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में कसोल से लगभग 4 किलोमीटर दूर पार्वती नदी के तट पर स्थित है।
मणिकरण में भगवान शिव, भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के मंदिर हैं। कथाओं के अनुसार इस स्थान का नाम इस घाटी में भगवान शिव के साथ भ्रमण के समय माता पार्वती के एक कान (कर्ण) की बाली (मणि) के गिर कर खो जाने के कारण मणिकरण पडा़।
मणिकरण में गुरुद्वारे के अंदर गर्म पानी का झरना है। नहाने के लिये पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्थान बनाये गए हैं। इस झरने के पानी में सल्फर पाया जाता है, जो शरीर की त्वचा से जुड़ी बीमारियों को ठीक कर सकता है। इस झरने का पानी इतना गर्म होता है कि इस पानी में बर्तनों को रखकर, इन बर्तनो में लंगर का भोजन तैयार किया जाता है।
मनाली (Manali)
मनाली हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है। मनाली में दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीनों में सबसे अधिक बर्फ पड़ती है। भाग्यवश आपको मार्च, अप्रैल के महीनों में कुछ बर्फ देखने को मिल सकती है।
मनाली एक ऐसी जगह है, जो युवाओं द्वारा बहुत पसंद की जाती है। यहाँ मौजूद कैफे, अच्छी वाईफाई की उपलब्धता, छोटे भोजनालय और सुविधाजनक दुकाने इसे एक पसंदीदा स्थान बनाती है। मनाली में कई ऐसे होमस्टे और हॉस्टल हैं जो लंबी अवधि (ज़्यादा समय) के लिए सस्ते में डॉर्म बेड उपलब्ध करवाते हैं।
मनाली के आस-पास ट्रेकिंग के कई विकल्प हैं। पैराग्लाइडिंग, स्कीइंग, घुड़सवारी सहित अनेक गतिविधियों के लिए अत्यधिक पर्यटक रोहतांग दर्रे और सोलंग घाटी की ओर आते हैं। रोहतांग दर्रा में लगभग हमेशा ही बर्फ पड़ी रहती है।
मैकलोडगंज (Mcleodganj)
मैकलोडगंज धर्मशाला के समीप कांगड़ा जिले में स्थित एक बहुत ही सुन्दर हिल स्टेशन है। ट्रेकर्स मैकलोडगंज को बहुत पसंद करते है। यहाँ की संस्कृति में कुछ ब्रिटिश प्रभाव तो देखने को मिलता है और साथ ही यहाँ तिब्बती संस्कृति भी देखने को मिलती है। मैकलोडगंज को लिटिल ल्हासा के नाम से में भी जाना जाता है।
महान दलाई लामा का घर मैकलोडगंज में ही स्तिथ है। मैकलोडगंज राजसी और हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। मैकलोडगंज के मनोरम दृश्य पूरे वर्ष पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। कांगड़ा, धर्मशाला, मैकलोडगंज और भागसू नाग शहर एक दूसरे से बहुत नजदीक हैं। हमारे देश (भारत) में कुछ प्रतिष्ठित और धार्मिक मठ (नामग्याल मठ और त्सुगलगखांग) मैकलोडगंज में स्थित हैं। मैकलोडगंज में दर्शनीय डल झील शांत वातावरण के साथ पिकनिक के लिए उपयुक्त स्थल हैं।
रोहतांग दर्रा (Rohtang Pass)
प्रसिद्ध रोहतांग दर्रा मनाली से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी पर है और यहाँ तक सिर्फ सड़क मार्ग के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। रोहतांग दर्रा मनाली-केलांग रोड पर स्थित है। अपनी दर्शनीय प्राकृतिक सुंदरता की वजह से रोहतांग दर्रा फिल्म निर्देशकों और पर्यटकों के लिये पसंदीदा जगह है।
रोहतांग – लद्दाखी भाषा में इस नाम का अर्थ है ‘लाशों का ढेर’। इस दर्रे का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि बहुत संख्या में लोग इस दर्रे को पार करते समय मारे गए थे।
रोहतांग दर्रा बर्फ के बड़े ग्लेशियरों, ऊँची सुन्दर चोटियों और चंद्रा नदी के सुंदर दुर्लभ दृश्यो से भरा हुआ है। यहाँ से गेपन की जुड़वां चोटियां भी देखने को मिलती हैं। रोहतांग दर्रा ब्यास नदी और चिनाब नदी की जल घाटियों के मध्य वाटरशेड पर स्तिथ है।
शिमला (Shimla)
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है। शिमला 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक लोकप्रिय हिल-स्टेशन है। ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी शिमला ही थी।
शिमला सड़क मार्ग से कई शहरों से जुड़ा हुआ है, शिमला की चंडीगढ़ से दूरी लगभग 113 किलोमीटर है। शिमला में एक हवाई अड्डा भी है, परन्तु यहाँ से प्रतिदिन उड़ानें नहीं उड़ती। शिमला रेलमार्ग से भी जुड़ा हुआ है। कालका-शिमला रेल मार्ग के एक प्रसिद्ध रेलमार्ग है, इस रेलमार्ग पर टॉय ट्रेन चलती है।
शिमला में ज्यादातर महीनों में मौसम बहुत सुहावना बना रहता है, यहाँ गर्मियों के मौसम में पर्यटक काफी संख्या में आते है। दिसंबर से फरवरी तक यहाँ ज्यादा ठंड पड़ती है व कई बार यहाँ बर्फ़बारी भी देखने को मिल जाती है। प्रसिद्ध जाखू मंदिर भी शिमला में हैं। शिमला के समीप कुफरी व चैल जैसे प्रसिद्ध हिल-स्टेशन भी है।
सिरमौर (Sirmaur)
हिमाचल प्रदेश में स्थित, सिरमौर एक सुन्दर और शांत दर्शनीय स्थान है। सिरमौर जिले में अभी भी 90% से अधिक लोग गाँवों में निवास करते हैं। यहाँ के स्थानीय लोग प्रकृति से बहुत’लगाव करते है और प्रकृति के बहुत करीब हैं, इसलिए सिरमौर औद्योगीकरण से अछूता है।
पांवटा साहिब, नाहन और सुकेती शहर भी सिरमौर जिले में आते हैं। सिरमौर पर्यटकों को खूबसूरत दृश्य, ट्रेकिंग के लिए चट्टानी पहाड़ियाँ, शांत झीलें और अनेको दर्शनीय मंदिर प्रदान करता है।
सिरमौर जिले में आड़ू की खेती अधिक की जाती है, इसलिए इसको “भारत का आड़ू का कटोरा” (Peach bowl of India) भी कहा जाता है। आड़ू के अलावा यहाँ आम, सेब, आलू, टमाटर और अदरक जैसे अन्य बहुत सारे फलो और सब्जियों की खेती की जाती हैं।
सोलन (Solan)
हिमालय की निचली पहाड़ियों पर मौजूद सोलन, पंजाब और हिमाचल की सीमा पर स्थित है। सोलन की महत्वपूर्णता अन्य हिल स्टेशनो से कम है, क्योकि यह एक औद्योगिक क्षेत्र है। जो पर्यटक शहर की भीड़ से थोड़े समय के लिये ही दूर रहना चाहते है, उनके लिये सोलन एक अच्छा विकल्प है।
सोलन हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत शहर है। यहाँ बहुत से प्राचीन मंदिर और मठ स्तिथ हैं, जिस वजह से सोलन में पूरे वर्ष सैकड़ों पर्यटकों और भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। सोलन में मशरूम का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, इसलिये इसे देश की मशरूम राजधानी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। सोलन का एक अन्य नाम लाल सोने का शहर भी है, क्योंकि यहाँ टमाटर का उत्पादन भी अधिक मात्रा में होता है।
सोलन में एक पहाड़ी की चोटी पर 300 साल पुराना किला भी है। जो अब खंडहर के रूप में परिवर्तित हो चूका है। यहाँ पर शूलिनी माता का मंदिर और जटोली भगवान शिव का मंदिर भी है। सोलन के प्रसिद्ध मठों में से एक है युंडुंग मठ, जब आप कभी सोलन की यात्रा करे तो आपको ये मठ अवश्य देखने चाहिए।
स्पीति घाटी (Spiti Valley)
स्पीति घाटी का नाम स्पीति शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ‘मध्य भूमि’। स्पीति घाटी भारत की सीमा को तिब्बत की सीमा से अलग करती है। स्पीति एक कम आबादी वाला क्षेत्र है। हिमाचल प्रदेश में मौजूद स्पीति घाटी, समुद्र तल से लगभग 12,500 फीट की ऊंचाई पर स्तिथ है। स्पीति घाटी देश के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है, यहाँ साल में केवल 250 दिन ही धूप देखने को मिलती है। स्पीति घाटी में लंबी घुमावदार सड़कें और घाटियाँ है जो ठंडे रेगिस्तान और बर्फ से ढके पहाड़ों की अविस्मरणीय झलक पेश करती है। सिर्फ गर्मियों के महीनो का ही ऐसा समय होता है, जब मोटरमार्ग के माध्यम से स्पीति में सीधे पहुँचा जा सकता है।
स्पीति घाटी में कई ट्रेकिंग ट्रेल्स है। ये सभी ट्रेक काज़ा (स्पीति की राजधानी) से शुरू होकर हिमालय की विभिन्न आकर्षक चोटियों तक जाते हैं, इन चोटियों से आप हिमालय के पहाड़ों के लुभावने दृश्य देख सकते हैं। स्पीति में धनखड़ मठ से धनखड़ झील तक का शानदार सफर आप स्पीति नदी के किनारे 1.5 किलोमीटर के आसान ट्रेक से गांवों के भव्य दृश्यों के बिच में से होकर कर सकते है। धनखड़ झील एक बेहतरीन शांत जगह है, जहां आप पहाड़ी हवा के बीच बैठकर आराम कर सकते हैं और प्राकतिक सुन्दरता का आनंद ले सकते है।
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