मुंबई, 17 सितंबर 2025 – भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक महत्वपूर्ण वित्तीय कदम उठाते हुए यस बैंक में अपनी 13.19% हिस्सेदारी बेच दी है। इस सौदे में 413.44 करोड़ शेयर ₹21.50 प्रति शेयर के भाव पर बेचे गए, जिसकी कुल वैल्यू ₹8,888.97 करोड़ है। यह हिस्सेदारी जापान की प्रमुख बैंकिंग संस्था सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) को हस्तांतरित की गई है। यह डील भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
डील की विस्तृत जानकारी
- बिक्री का दायरा: एसबीआई ने यस बैंक के कुल 3,137 करोड़ शेयरों में से 413.44 करोड़ शेयर बेचे, जो बैंक की इक्विटी का 13.19% हिस्सा है।
- मूल्य निर्धारण: प्रत्येक शेयर की कीमत ₹21.50 रखी गई, जो बाजार मूल्य के करीब थी।
- कुल राशि: इस सौदे से एसबीआई को ₹8,888.97 करोड़ की आय हुई।
- खरीदार: सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी), जो जापान की सबसे बड़ी बैंकों में से एक है और भारत में पहले से ही एचडीएफसी बैंक के साथ साझेदारी कर चुकी है।
- मंजूरी: एसबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की कार्यकारी समिति ने इस बिक्री को मंजूरी दी।
- अन्य बैंक: एसबीआई के साथ-साथ सात अन्य भारतीय बैंक (एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, फेडरल बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और केनरा बैंक) भी यस बैंक में अपनी संयुक्त 20% हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जिसकी कुल वैल्यू ₹13,483 करोड़ है। इसमें से शेष 6.81% हिस्सेदारी अन्य बैंकों द्वारा बेची जाएगी।
यह सौदा मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंज में घोषित किया गया, जिसके बाद यस बैंक के शेयरों में बीएसई पर 8% तक की तेजी देखी गई। शेयर ₹21.56 पर खुला और दिन के अंत तक ₹21.50-₹21.60 के दायरे में ट्रेड करता रहा।
यस बैंक का संकट और रिकवरी की कहानी
यस बैंक की कहानी भारतीय बैंकिंग सेक्टर में उतार-चढ़ाव का एक बड़ा उदाहरण है। 2020 में बैंक गंभीर वित्तीय संकट में फंस गया था। इसके फाउंडर राणा कपूर पर अनियमितताओं और खराब लोन मैनेजमेंट के आरोप लगे थे। बैंक की बैलेंस शीट कमजोर हो गई, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इसे बचाने के लिए मोरेटोरियम लागू किया। उस समय एसबीआई के नेतृत्व में कई बैंकों ने मिलकर यस बैंक में ₹10,000 करोड़ का निवेश किया और 20% हिस्सेदारी खरीदी। इस रेस्क्यू पैकेज ने बैंक को डूबने से बचाया।
पिछले चार वर्षों में, यस बैंक ने अपनी स्थिति को स्थिर करने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें डिजिटल बैंकिंग और रिटेल लोन पर फोकस शामिल है। हालांकि, बैंक की प्रॉफिटेबिलिटी अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इस डील के बाद, एसएमबीसी जैसे मजबूत विदेशी पार्टनर के साथ बैंक को नई पूंजी, तकनीकी विशेषज्ञता और वैश्विक पहुंच मिलने की उम्मीद है।
बाजार और निवेशकों की प्रतिक्रिया
- शेयरों में उछाल: डील की घोषणा के बाद मंगलवार को यस बैंक के शेयरों में 8% की तेजी आई। यह ₹21.50-₹21.60 के दायरे में ट्रेड कर रहा है, जो निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
- विश्लेषकों की राय: कुछ बाजार विशेषज्ञों ने यस बैंक को ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग दी है, जिसमें टारगेट प्राइस ₹25-₹28 के बीच है। हालांकि, कुछ एनालिस्ट सतर्क हैं, क्योंकि बैंक की रिकवरी अभी भी पूरी तरह स्थिर नहीं हुई है।
- विदेशी निवेश का प्रभाव: एसएमबीसी का प्रवेश भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा। जापानी बैंक पहले से ही भारत में सक्रिय है और एचडीएफसी बैंक के साथ साझेदारी के जरिए अनुभव रखता है।
डील का रणनीतिक महत्व
यह सौदा कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- एसबीआई के लिए: यह बिक्री एसबीआई को अपने निवेश से बड़ा रिटर्न देगी। 2020 में रेस्क्यू पैकेज के दौरान खरीदी गई हिस्सेदारी अब लाभकारी साबित हुई है।
- यस बैंक के लिए: एसएमबीसी जैसे मजबूत पार्टनर के साथ, बैंक को पूंजी और रणनीतिक सहायता मिलेगी। यह डिजिटल बैंकिंग, रिटेल लोन और कॉरपोरेट बैंकिंग में विस्तार के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए: यह डील विदेशी निवेशकों के लिए भारत के बैंकिंग सेक्टर की आकर्षकता को दर्शाती है। खासकर, जापानी और अन्य वैश्विक बैंकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।
आगे की राह
यस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रभाकर सिद्धार्थ ने इस डील को “बैंक की रिकवरी यात्रा में एक मील का पत्थर” बताया। उन्होंने कहा, “एसएमबीसी के साथ साझेदारी हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी। हम रिटेल और डिजिटल बैंकिंग में तेजी से विस्तार करेंगे।”
विश्लेषकों का मानना है कि यह डील यस बैंक को पूंजी जुटाने और बैलेंस शीट को मजबूत करने में मदद करेगी। हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, जैसे कि यूएस फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बदलाव, बाजार की अस्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इस शेयर में निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करें।
निष्कर्ष
एसबीआई द्वारा यस बैंक की 13.19% हिस्सेदारी की बिक्री न केवल एक वित्तीय लेनदेन है, बल्कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विश्वास और स्थिरता का प्रतीक है। एसएमबीसी जैसे वैश्विक दिग्गज का प्रवेश यस बैंक को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है, बशर्ते यह अपनी रणनीति को सही दिशा में लागू करे। बाजार अब इस सौदे के दीर्घकालिक प्रभावों पर नजर रखे हुए है।
नोट: यह जानकारी उपलब्ध सार्वजनिक डेटा और बाजार विश्लेषण पर आधारित है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा होता है। कृपया निवेश से पहले विशेषज्ञ सलाह लें।
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