नई दिल्ली, 17 सितंबर 2025: रूस और बेलारूस के बीच आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘जापाद-2025’ ने वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। इस अभ्यास में भारतीय सेना की भागीदारी, अमेरिका की मौजूदगी और नाटो की बढ़ती चिंताओं ने इसे सुर्खियों में ला दिया है। 12 से 16 सितंबर तक चले इस अभ्यास ने भू-राजनीतिक गतिशीलता को और जटिल कर दिया है।
भारतीय सेना की भागीदारी
भारतीय सशस्त्र बलों की 65 सदस्यीय टुकड़ी ने रूस के निज़नी नोवगोरोड के मुलिनो प्रशिक्षण मैदान में इस अभ्यास में हिस्सा लिया। इसमें कुमाऊं रेजिमेंट की एक बटालियन (57 जवान), भारतीय वायुसेना (7 जवान) और नौसेना (1 जवान) शामिल थे। 9 सितंबर को रवाना हुई यह टुकड़ी 16 सितंबर को वापस लौटी।
- अभ्यास का उद्देश्य: कंपनी-स्तरीय संयुक्त अभियानों पर ध्यान, जिसमें खुले और मैदानी इलाकों में युद्ध कौशल, रणनीति और विशेष हथियारों का उपयोग शामिल था।
- भारत-रूस संबंध: यह अभ्यास भारत और रूस के बीच नियमित सैन्य सहयोग का हिस्सा है, जैसे ‘इंद्र’ और ‘वॉस्टॉक’ अभ्यास। भारत ने इसे रक्षा सहयोग और आपसी विश्वास बढ़ाने का अवसर बताया।
अमेरिका की नजर
अमेरिकी रक्षा अटैचे को ‘डिस्टिंग्विश्ड विजिटर डे’ पर आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने अभ्यास का अवलोकन किया। पेंटागन ने इसकी पुष्टि की, लेकिन इसे यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की गतिविधियों पर नजर रखने के तौर पर देखा गया।
- OSCE के नियम: 56 देशों को वियना दस्तावेज़ के तहत निमंत्रण दिया गया था, जिसमें नाटो देश भी शामिल थे। हालांकि, अमेरिका की मौजूदगी ने इसे और संवेदनशील बना दिया।
नाटो में खलबली
‘जापाद-2025’ का आयोजन नाटो की पूर्वी सीमाओं (पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया) के करीब हुआ, जिससे नाटो देशों में चिंता बढ़ी।
- नाटो की प्रतिक्रिया: पोलैंड ने बेलारूस सीमा बंद कर ‘आयरन डिफेंडर’ अभ्यास शुरू किया, जिसमें 30,000 जवान शामिल थे। लिथुआनिया और लातविया ने क्रमशः ‘पर्कूノ ग्रियॉसमास 2025’ (17,000 जवान) और ‘नैमेज 2025’ (12,000 जवान) आयोजित किए।
- परमाणु चिंता: अभ्यास में रूस के ओरेश्निक मिसाइल सिस्टम (परमाणु-सक्षम) का उपयोग चिंता का विषय रहा। बेलारूस को 2025 के अंत तक यह सिस्टम सौंपा जाएगा।
- नाटो का दावा: पश्चिमी विश्लेषकों ने इसे ‘रक्षात्मक’ के बजाय नाटो के खिलाफ ‘हमले का रिहर्सल’ बताया। नाटो महासचिव मार्क रुट्टे ने रूसी ड्रोन घुसपैठ को ‘गंभीर खतरा’ करार दिया।
भारत की स्थिति
पश्चिमी मीडिया ने भारत की भागीदारी को ‘रेड लाइन क्रॉस करना’ कहा, लेकिन भारत ने इसे अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और रूस के साथ ऐतिहासिक रक्षा संबंधों का हिस्सा बताया।
- पाकिस्तान की मौजूदगी: पहली बार 1971 के बाद भारत और पाकिस्तान एक सैन्य मंच पर आए, क्योंकि पाकिस्तान अवलोकक के रूप में शामिल था।
- संतुलन की नीति: भारत ने हाल ही में अमेरिका के साथ ‘युध अभ्यास’ (अलास्का, सितंबर 2025) में भी हिस्सा लिया, जो उसकी बहुपक्षीय नीति को दर्शाता है।
निष्कर्ष
‘जापाद-2025’ ने रूस-भारत सैन्य सहयोग को मजबूत किया, लेकिन यूक्रेन युद्ध और नाटो की सतर्कता के बीच यह वैश्विक तनाव का प्रतीक बन गया। भारत की भागीदारी ने उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को रेखांकित किया, जबकि नाटो और अमेरिका की प्रतिक्रियाओं ने भू-राजनीतिक जटिलताओं को उजागर किया।
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