अहमदाबाद, 16 सितंबर 2025 – गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद यूसुफ पठान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उन्हें वडोदरा नगर निगम (VMC) की स्वामित्व वाली तंदलजा क्षेत्र की 978 वर्ग मीटर की सार्वजनिक जमीन पर अवैध अतिक्रमण करने का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस मौना भट्ट द्वारा 21 अगस्त 2025 को दिया गया यह फैसला 2 सितंबर 2025 को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। यूसुफ पठान की सार्वजनिक और राजनीतिक छवि के कारण यह मामला सुर्खियों में रहा है, जिसने गुजरात में भूमि अतिक्रमण और सार्वजनिक जवाबदेही के मुद्दों पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।
मामले की विस्तृत पृष्ठभूमि
प्रारंभिक आवेदन और विवाद
यह विवाद 2012 में शुरू हुआ, जब यूसुफ पठान, जो वडोदरा के तंदलजा क्षेत्र में एक बंगले के मालिक हैं, ने अपने बंगले के पास स्थित प्लॉट नंबर 90, टीपी-22, जो लगभग 10,500 वर्ग फीट (978 वर्ग मीटर) का है, को किराए पर लेने के लिए VMC को आवेदन दिया। उनका इरादा इस जमीन पर एक अस्तबल बनाने का था। VMC की स्थायी समिति ने शुरू में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और इसे 57,270 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर बिना सार्वजनिक नीलामी के पठान को आवंटित करने का निर्णय लिया। इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए गुजरात राज्य सरकार को भेजा गया।
हालांकि, जून 2014 में, राज्य सरकार ने इस आवंटन को खारिज कर दिया, क्योंकि यह सार्वजनिक नीलामी के बिना किया गया था, जो गुजरात प्रांतीय नगर निगम अधिनियम, 1949 के प्रावधानों का उल्लंघन करता था। इसके बावजूद, पठान ने कथित तौर पर इस जमीन पर कब्जा कर लिया और वहां एक बाउंड्री वॉल और जानवरों के लिए एक शेड का निर्माण कर लिया। इस अवैध कब्जे को कई वर्षों तक अनदेखा किया गया, जिससे मामला और जटिल हो गया।
2024 में नया मोड़
मामला तब फिर से सुर्खियों में आया जब जून 2024 में यूसुफ पठान पश्चिम बंगाल के बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से TMC सांसद के रूप में चुने गए। इस दौरान, VMC के एक पार्षद ने पठान के इस प्लॉट पर अवैध कब्जे के खिलाफ शिकायत दर्ज की। यह शिकायत विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि पठान ने अपने चुनावी हलफनामे में इस प्लॉट के पते का उल्लेख किया था, जिसने उनकी स्थिति को और संदिग्ध बना दिया।
6 जून 2024 को, VMC ने पठान को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें इस जमीन से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया। इस नोटिस के जवाब में, पठान ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि वह पिछले एक दशक से इस जमीन पर कब्जा रखे हुए हैं और इसे नियमित करने के लिए बाजार मूल्य का भुगतान करने को तैयार हैं। उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता यतिन ओजा ने तर्क दिया कि VMC को इस जमीन के आवंटन के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि यह गुजरात प्रांतीय नगर निगम अधिनियम, 1949 के दायरे में नहीं आता।
गुजरात हाई कोर्ट का फैसला
कोर्ट का निर्णय और तर्क
21 अगस्त 2025 को, जस्टिस मौना भट्ट ने पठान की याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें स्पष्ट रूप से “अतिक्रमणकर्ता” घोषित किया। कोर्ट ने कहा कि पठान के पास इस जमीन पर कब्जा करने का कोई कानूनी आधार नहीं था, क्योंकि न तो कोई औपचारिक आवंटन आदेश जारी किया गया था और न ही उन्होंने इसके लिए कोई भुगतान किया था। जज ने अपने फैसले में कहा, “याचिकाकर्ता को इस जमीन पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं था। इसलिए, निगम का यह दावा कि याचिकाकर्ता ने जमीन पर अतिक्रमण किया है, इस कोर्ट की राय में पूरी तरह सही है।”
कोर्ट ने पठान के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने जमीन के लिए भुगतान करने की कोशिश की थी। जज ने टिप्पणी की कि पठान ने “बिना किसी अधिकार के इस जमीन का उपयोग किया और इसका आनंद लिया।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि VMC का इस मामले में देरी से कार्रवाई करना पठान को कोई कानूनी अधिकार प्रदान नहीं करता।
सार्वजनिक हस्तियों की जवाबदेही
फैसले में सार्वजनिक हस्तियों की कानूनी जवाबदेही पर विशेष जोर दिया गया। कोर्ट ने कहा, “प्रसिद्धि और सार्वजनिक उपस्थिति के कारण हस्तियां समाज के व्यवहार और सामाजिक मूल्यों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। यदि ऐसे व्यक्तियों को कानून का पालन न करने के बावजूद छूट दी जाती है, तो यह समाज को गलत संदेश देता है और न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कमजोर करता है।” इस टिप्पणी ने इस मामले को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया, क्योंकि यह न केवल पठान के व्यक्तिगत कृत्य पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी रेखांकित करता है कि सार्वजनिक हस्तियों को कानून के सामने जवाबदेह होना चाहिए।
कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने VMC को निर्देश दिया कि वह तत्काल इस जमीन को अपने कब्जे में ले और पठान द्वारा किए गए अतिक्रमण, जैसे बाउंड्री वॉल और शेड, को हटाए। हालांकि, कोर्ट ने VMC की पहले की निष्क्रियता और देरी को देखते हुए पठान पर कोई जुर्माना नहीं लगाया। यह फैसला VMC के लिए एक सख्त संदेश था कि वह अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले और भविष्य में इस तरह की चूक से बचे।
प्रतिक्रियाएं और अगले कदम
स्थानीय और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले ने वडोदरा और गुजरात में व्यापक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। शहर के एक वकील और सेव विश्वमित्री समिति के सदस्य शैलेश अमीन ने VMC आयुक्त को पत्र लिखकर मांग की कि अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाए और पठान से पिछले 12 वर्षों के अवैध कब्जे के लिए किराए या शुल्क की वसूली की जाए। VMC के सहायक नगर आयुक्त (राजस्व), सुरेश तुवर ने पुष्टि की कि कोर्ट के फैसले के बाद अब और नोटिस जारी करने की आवश्यकता नहीं है, और निगम जल्द ही इस जमीन को वापस लेने के लिए कार्रवाई शुरू करेगा।
राजनीतिक स्तर पर, यह मामला और भी जटिल हो गया है। कुछ स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (BJP) कार्यकर्ताओं ने पहले ही इस मुद्दे को उठाया था और पठान के खिलाफ गुजरात भूमि हड़पने (निषेध) अधिनियम, 2020 के तहत कार्रवाई की मांग की थी। खास तौर पर, पठान द्वारा अपने चुनावी हलफनामे में इस प्लॉट के पते का उपयोग करना उनके लिए और विवादास्पद साबित हुआ। कुछ लोग इस मामले में “बुलडोजर कार्रवाई” की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें अतिक्रमण को ध्वस्त करने के लिए भारी मशीनरी का उपयोग किया जा सकता है।
सामाजिक और मीडिया चर्चा
X पर हाल की पोस्ट्स इस मामले को लेकर जनता की मिश्रित प्रतिक्रियाओं को दर्शाती हैं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सराहना की है, जबकि अन्य ने इस बात पर सवाल उठाए कि VMC ने इतने वर्षों तक इस अवैध कब्जे को क्यों अनदेखा किया। कुछ पोस्ट्स में यह भी चर्चा हुई कि क्या यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है, क्योंकि पठान अब एक विपक्षी दल (TMC) के सांसद हैं। हालांकि, कोर्ट का फैसला पूरी तरह कानूनी आधार पर था और इसमें किसी राजनीतिक मंशा का उल्लेख नहीं किया गया।
व्यापक संदर्भ और महत्व
गुजरात में भूमि अतिक्रमण का मुद्दा
यह मामला गुजरात में भूमि अतिक्रमण के खिलाफ बढ़ती सख्ती के संदर्भ में आया है। हाल के वर्षों में, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों ने अवैध कब्जों को हटाने के लिए कई अभियान चलाए हैं। विशेष रूप से, गुजरात भूमि हड़पने (निषेध) अधिनियम, 2020 ने ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई को बढ़ावा दिया है। पठान का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण, चाहे वह किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा हो या किसी प्रसिद्ध हस्ती द्वारा, अब और बर्दाश्त नहीं किया जा रहा।
सार्वजनिक हस्तियों पर प्रभाव
पठान का यह मामला अन्य सार्वजनिक हस्तियों के लिए भी एक चेतावनी है। कोर्ट की टिप्पणी कि हस्तियां समाज पर प्रभाव डालती हैं और उन्हें कानून का पालन करना चाहिए, इस बात को रेखांकित करती है कि प्रसिद्धि किसी को कानूनी जवाबदेही से छूट नहीं देती। यह फैसला भविष्य में समान मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है, खासकर उन मामलों में जहां सार्वजनिक हस्तियां सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति से जुड़े विवादों में शामिल होती हैं।
VMC की जिम्मेदारी
VMC की इस मामले में निष्क्रियता भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में इस बात पर जोर दिया कि अगर VMC ने पहले कार्रवाई की होती, तो यह मामला इतना जटिल नहीं होता। यह निगम के लिए एक सबक है कि वह भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचे और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा के लिए त्वरित कदम उठाए।
यूसुफ पठान के लिए चुनौतियां
इस फैसले के बाद, यूसुफ पठान के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोर्ट के निर्देशों का पालन करना है। उन्हें न केवल जमीन से अपने अतिक्रमण को हटाना होगा, बल्कि उनकी सार्वजनिक छवि पर भी इस मामले का असर पड़ सकता है। एक पूर्व क्रिकेटर और अब एक राजनेता के रूप में, पठान की हर कार्रवाई पर निगाह रखी जा रही है। उनके द्वारा इस स्थिति को कैसे संभाला जाता है, यह उनकी विश्वसनीयता और राजनीतिक करियर पर प्रभाव डाल सकता है।
निष्कर्ष
गुजरात हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल यूसुफ पठान के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि कानून सभी के लिए समान है। यह मामला सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा, स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही, और हस्तियों की कानूनी जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है। जैसे ही VMC इस जमीन को वापस लेने और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू करता है, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला कैसे आगे बढ़ता है और यह गुजरात में भूमि अतिक्रमण से जुड़े अन्य मामलों को कैसे प्रभावित करता है।
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