19 सितंबर, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसी घोषणा पर हस्ताक्षर किए जिसने विशेष रूप से टेक उद्योग और H-1B वीजा धारकों, जिनमें अधिकांश भारतीय पेशेवर हैं, में हड़कंप मचा दिया है। इस नए कार्यकारी आदेश के तहत, H-1B वीजा के आवेदन पर अब $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) का भारी शुल्क लगेगा। यह नियम 21 सितंबर, 2025 की रात 12:01 बजे (ईस्टर्न टाइम) से लागू होगा।
यह नियम क्या है?
इस प्रोक्लेमेशन के अनुसार, अमेरिका में एंट्री के लिए H-1B वीजा पेटिशन के साथ अब $100,000 का annual fee देना अनिवार्य होगा। यह कदम अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी देने और विदेशी टैलेंट पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। यह शुल्क पहले के शुल्क (आमतौर पर $1,700 से $4,500) की तुलना में बहुत अधिक है और उन नए आवेदनों या वर्तमान में अमेरिका से बाहर मौजूद workers के एंट्री पर लागू होगा। इसे शुरू में 12 महीनों के लिए लागू किया गया है, लेकिन इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
कंपनियों की प्रतिक्रिया और एडवाइजरी
इस आदेश के बाद, Microsoft, Meta, Amazon और JPMorgan जैसी बड़ी कंपनियों ने तुरंत अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इन एडवाइजरी में जल्द से जल्द अमेरिका लौटने को कहा गया है।
- Microsoft ने अपने employees से कहा है, “हम强烈 (strongly) सलाह देते हैं कि H-1B और H-4 वीजा धारक 21 सितंबर की डेडलाइन से पहले कल ही अमेरिका लौट आएं और आने वाले समय में देश के अंदर ही रहें।”
- Meta ने सलाह दी है कि H-1B और H-4 धारक अगले कम से कम दो हफ्तों तक अमेरिका में ही रहें और अगर कोई employee विदेश में है तो वह 24 घंटे के अंदर लौट आए।
- Amazon ने भी 21 सितंबर की आधी रात से पहले तुरंत लौटने और कोई भी यात्रा计划 बनाने से बचने की सिफारिश की है।
- JPMorgan ने अपने H-1B employees को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने और डेडलाइन से पहले लौट आने का निर्देश दिया है।
ये सभी सलाह ‘सावधानी के तौर पर’ दी गई हैं, सख्त आदेश नहीं, लेकिन इनमें urgency को “24 घंटे के अंदर” जैसे शब्दों से दर्शाया गया है।
भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव
H-1B वीजा कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग जैसे specialized fields में विदेशी क workers को नियुक्त करने की अनुमति देता है। 2024 में, H-1B वीजा धारकों में लगभग 71% भारतीय नागरिक थे। इसलिए, यह नया नियम भारतीय professionals को सबसे अधिक प्रभावित करेगा।
- जो employees अभी अमेरिका से बाहर हैं (छुट्टी या business trip पर), उनके लिए वापसी मुश्किल हो सकती है अगर उनकी कंपनी यह भारी fee देने को तैयार नहीं है।
- इसकी वजह से भारत से अमेरिका की फ्लाइट्स की demand और ticket prices में भारी उछाल आया है।
- पारिवारिक visits और business travel जैसी योजनाओं में व्यवधान पैदा होगा।
- जो employees पहले से ही अमेरिका में हैं, उन्हें वहीं रहने की सलाह दी जा रही है।
भविष्य की संभावनाएं और कानूनी चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश का जल्द ही कानूनी रूप से विरोध होगा। आप्रवासन वकीलों का तर्क है कि यह $100,000 का शुल्क अमेरिकी federal immigration laws का उल्लंघन करता है। हालांकि, 20 सितंबर तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन ऐसा होने की संभावना है।
इस नीति के चलते कंपनियां अपनी hiring practices बदल सकती हैं, जैसे अमेरिका में homegrown talent को hire करने पर जोर देना या भारत में Global Capability Centers (GCCs) का और विस्तार करना।
निष्कर्ष
ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा और H-1B program में सुधार के उद्देश्य से है, लेकिन इसने हजारों भारतीय professionals और उन पर निर्भर अमेरिकी टेक कंपनियों को अनिश्चितता में डाल दिया है। अगले कुछ दिन कानूनी लड़ाई और cooperate strategies में बदलाव के लिए निर्णायक साबित होंगे।
सूचना: यह जानकारी current advisories और reports पर आधारित है। कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने employer और एक qualified immigration attorney से सलाह अवश्य लें।
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