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Trump has received Modi's SCO message... now is the time to make up for the loss', who showed the mirror to the US President

मोदी का SCO संदेश ट्रंप को मिला: बोल्टन ने कहा, ‘अब नुकसान की भरपाई का समय’

नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025

SCO शिखर सम्मेलन में मोदी की कूटनीति

अमेरिका-भारत व्यापार तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भागीदारी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को स्पष्ट संदेश दे दिया है। बोल्टन ने कहा, “मोदी का SCO संदेश ट्रंप तक पहुंच गया है… अब नुकसान की भरपाई का समय है,” यह दर्शाते हुए कि मोदी की चीन और रूस के साथ रणनीतिक निकटता ने ट्रंप को उनकी आक्रामक टैरिफ नीतियों के जोखिमों का “आईना दिखा दिया” है।

तियानजिन में भारत-चीन-रूस की एकजुटता

यह टिप्पणी इस महीने की शुरुआत में चीन के तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के बाद आई है। इस दौरान पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हाई-प्रोफाइल मुलाकातें कीं, जिनमें गर्मजोशी भरे हैंडशेक, गले मिलना और अनौपचारिक बातचीत शामिल थी, जो वैश्विक सुर्खियों में छाई। इन दृश्यों को तीनों नेताओं की एकजुटता के रूप में देखा गया, जो अमेरिकी आर्थिक दबाव के खिलाफ लचीलापन दिखाता है। सूत्रों ने इन मुलाकातों को वाशिंगटन के लिए “रणनीतिक संदेश” बताया, खासकर ट्रंप द्वारा पिछले सप्ताह लागू किए गए भारतीय सामानों पर 50% तक के टैरिफ के बाद, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया है।

बोल्टन की चेतावनी: अमेरिका को सुधार की जरूरत

नवभारत टाइम्स को दिए बयान में बोल्टन ने बताया कि SCO में मोदी की मौजूदगी और बहुपक्षीयता, आतंकवाद विरोधी सहयोग और आर्थिक सहयोग पर चर्चा ने ट्रंप प्रशासन को पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा, “अमेरिका को मोदी की चीन यात्रा के संकेतों को समझना चाहिए और भारत-अमेरिका संबंधों को और नुकसान होने से पहले सुधारना चाहिए।” यह एक दुर्लभ मौका है जब अमेरिका के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने ट्रंप की भारत नीति की खुलकर आलोचना की है, और मोदी की कूटनीति को एक चेतावनी के रूप में पेश किया है।

मोदी का संदेश: क्षेत्रीय अखंडता और व्यापार

SCO शिखर सम्मेलन में मोदी ने अपने संबोधन में भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर जोर दिया और वैश्विक व्यापार को बाधित करने वाली एकतरफा कार्रवाइयों के खिलाफ चेतावनी दी, जिसे पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद और अमेरिकी टैरिफ दोनों पर परोक्ष टिप्पणी माना गया। उन्होंने शी जिनपिंग के साथ सात साल में पहली द्विपक्षीय बातचीत की, जिसमें सीमा तनाव कम करने और व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया गया, साथ ही भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” को दोहराया गया। पुतिन ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया, जिसमें सार्वजनिक रूप से गले मिलना शामिल था, जिसने पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच भारत-रूस संबंधों की मजबूती को रेखांकित किया।

ट्रंप का नरम रुख

इसके जवाब में, ट्रंप ने अपनी बयानबाजी में नरमी दिखाई है। शिखर सम्मेलन के कुछ दिनों बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने मोदी को “बहुत अच्छा दोस्त” बताया और भारत को “महान देश” कहकर प्रशंसा की। उन्होंने व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने की इच्छा जताई और कहा, “अब देर हो रही है,” जो टैरिफ विवाद सुलझाने की दिशा में एक संकेत था। अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने भी स्पष्ट किया कि भारत को चीन और रूस की तुलना में करीबी सहयोगी माना जाता है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह नरम रुख SCO की गतिशीलता का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसमें मोदी ने बहुध्रुवीय गठबंधनों का उपयोग कर दबाव बनाया।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी की चालें एक नए भारत-चीन-रूस गठबंधन की ओर पूर्ण पुनर्संरेखण का संकेत नहीं देतीं, बल्कि यह ट्रंप को चेतावनी है कि भारत दबाव में नहीं आएगा और अपने साझेदारों में विविधता ला सकता है। टाइम्स नाउ पर पूर्व भारतीय राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि मोदी-शी-पुतिन की “त्रयी” पश्चिम को एक “जोरदार संदेश” देती है, जो भारत की वैश्विक कूटनीति में लचीलापन दर्शाती है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई, जिसमें उपयोगकर्ताओं ने शिखर सम्मेलन को “भू-राजनीतिक बदलाव” करार दिया। एक पोस्ट ने इसे अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत का “चीन-रूस धुरी की ओर झुकाव” बताया, जबकि एक अन्य ने नेताओं की मुलाकात को “स्पष्ट संकेत” कहा कि एशिया विश्व व्यवस्था को ट्रंप से स्वतंत्र रूप से नया आकार दे रहा है।

भविष्य की राह

जैसे-जैसे व्यापार वार्ता नजदीक आ रही है, बोल्टन की टिप्पणी एक बड़े कथानक को रेखांकित करती है: मोदी की SCO रणनीति ने न केवल ट्रंप को “आईना दिखाया” है, बल्कि भारत को बहुध्रुवीय विश्व में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। क्वाड शिखर सम्मेलन की अनिश्चितता और BRICS के बढ़ते प्रभाव के साथ, आने वाले सप्ताह अमेरिका-भारत संबंधों के भविष्य को परिभाषित कर सकते हैं।

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