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ट्रंप की नजर पाकिस्तान के ‘ट्रेजर’ पर: रेयर अर्थ, पोर्ट्स और तेल से मजबूत होंगे रिश्ते

वॉशिंगटन/इस्लामाबाद, 8 अक्टूबर 2025 – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति में एक नया मोड़ आ गया है। जहां एक तरफ भारत पर टैरिफ की धमकी और रूस से तेल खरीद पर जुर्माने की बातें चल रही हैं, वहीं पाकिस्तान के साथ संबंधों में गर्मजोशी बढ़ती जा रही है। वजह? पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधन – रेयर अर्थ मिनरल्स, तेल भंडार और महत्वपूर्ण बंदरगाहें। हाल ही में पाकिस्तान ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की पहली खेप भेजी है, जो $500 मिलियन (करीब 4,200 करोड़ रुपये) के समझौते का हिस्सा है। ट्रंप प्रशासन इसे चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा मान रहा है, लेकिन पाकिस्तान में यह सौदा राजनीतिक तूफान ला चुका है।

रेयर अर्थ मिनरल्स: ‘ट्रेजर’ की पहली खेप और विवाद

पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से अमेरिका को रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ पृथ्वी तत्व) की पहली खेप भेज दी है। यह खेप एंटीमनी, कॉपर कंसन्ट्रेट, नियोडाइमियम और प्रासिओडियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों से भरी हुई है। समझौता पाकिस्तान की सैन्य इकाई फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) और अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) के बीच हुआ है। USSM, जो लिथियम-आयन बैटरी से धातुओं के रिसाइक्लिंग पर फोकस करती है, पाकिस्तान में पॉली-मेटैलिक रिफाइनरी स्थापित करेगी।

यह डील सितंबर में व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात से जुड़ी है, जहां पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने ट्रंप को एक लकड़ी के बॉक्स में रेयर अर्थ के नमूने भेंट किए। बॉक्स में बास्टनेसाइट और मोनाजाइट जैसे पत्थर थे, जो सेरियम, लैंथेनम और नियोडाइमियम जैसे तत्वों से भरपूर हैं। ट्रंप ने इसे “मैसीव” (विशाल) खजाने का प्रतीक बताया, लेकिन पाकिस्तान में विपक्ष ने इसे “राष्ट्रीय संपदा की सस्ती बिक्री” करार दिया।

इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की धमकी दी है। पार्टी का आरोप है कि यह “सीक्रेट डील” संसद की मंजूरी के बिना की गई, और पाकिस्तान को सिर्फ 5% रॉयल्टी मिलेगी। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के स्थानीय समुदायों का कहना है कि ये संसाधन उनकी संपत्ति हैं, और दोहन से पर्यावरणीय तबाही होगी। एक पाकिस्तानी सीनेटर ऐमल वाली खान ने संसद में मुनीर को “सेल्समैन” कहकर कटाक्ष किया: “ट्रंप को पत्थर बेचने की बजाय लोकतंत्र बचाएं।”

प्रमुख रेयर अर्थ तत्वउपयोगपाकिस्तान में अनुमानित भंडार
नियोडाइमियमइलेक्ट्रिक वाहन, विंड टर्बाइनबलूचिस्तान में अप्रयुक्त
प्रासिओडियममैग्नेट्स, रक्षा तकनीकगिलगित-बाल्टिस्तान में संभावित
एंटीमनीबैटरी, मिसाइलखैबर पख्तूनख्वा में पुष्ट

पाकिस्तान के मंत्री का दावा है कि देश के खनिज भंडार $8 ट्रिलियन से $50 ट्रिलियन तक के हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये अनुमान अतिरंजित हैं। चीन, जो वैश्विक रेयर अर्थ का 80% उत्पादन करता है, इस डील से नाराज है।

तेल भंडार: ट्रंप का ‘मैसीव’ सपना या हसीन ख्वाब?

जुलाई में ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ऐलान किया: “अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर उसके विशाल तेल भंडार विकसित करेंगे। कौन जानता है, शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे!” यह बयान भारत पर 25% टैरिफ लगाने के कुछ घंटों बाद आया, जिसने नई दिल्ली को झटका दिया।

लेकिन विशेषज्ञ पाकिस्तान के तेल भंडार पर सवाल उठा रहे हैं। देश में सिद्ध तेल भंडार सिर्फ 0.3 बिलियन बैरल हैं, जो वैश्विक स्तर पर नगण्य है। इमरान खान ने 2019 में संभावित भंडार की बात कही थी, लेकिन एक्सॉनमोबिल और शेल जैसी कंपनियों की दशकों की खोज नाकाम रही। बलूच नेता मीर यार बलूच ने ट्रंप को चेतावनी दी: “ये भंडार बलूचिस्तान के हैं, न कि पाकिस्तान के। मुनीर ने आपको गुमराह किया।”

फिर भी, अमेरिकी कंपनियां अब पाकिस्तान के ऑफशोर ब्लॉक्स (इंडस बेसिन) में बोली लगा रही हैं। पेट्रोलियम मंत्री अली परवेज मलिक ने कहा, “अमेरिका ऊर्जा सहयोग बढ़ाएगा।” ट्रंप ने पाकिस्तान पर टैरिफ 29% से घटाकर 19% कर दिया, जो दक्षिण एशिया में सबसे कम है।

पोर्ट्स: पासनी का प्रस्ताव – अमेरिकी प्रभाव का नया द्वार?

पाकिस्तान ने पासनी पोर्ट (ग्वादर के पास, अरब सागर में) को अमेरिका को $1.2 बिलियन में सौंपने का प्रस्ताव रखा है। यह गहरा समुद्री बंदरगाह रेयर अर्थ और तेल के निर्यात के लिए आदर्श है। मुनीर ने इसे “रणनीतिक साझेदारी” बताया, लेकिन आलोचक इसे “अमेरिकी सैन्य बेस” का बहाना मानते हैं।

चीन का CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) पहले से ग्वादर पर कब्जा जमाए है, लेकिन बलूच विद्रोह से परेशान है। पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) को दबाए। X पर एक यूजर ने लिखा: “पाकिस्तान अमेरिका को हड्डी दिखा रहा है, ताकि भारत को रोका जाए।”

ट्रंप ने पाकिस्तान को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने पर धन्यवाद दिया, और शरीफ ने कहा, “ट्रंप शांति के सिपाही हैं।” लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा पाकिस्तान की आर्थिक संकट (कर्ज का बोझ) से उबरने की कोशिश है।

भारत के लिए क्या मतलब? रणनीतिक चुनौतियां

भारत के लिए यह डील चिंता का विषय है। ट्रंप की पाकिस्तान-समर्थक नीति से दक्षिण एशिया में संतुलन बिगड़ सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं, “अमेरिका चीन को घेरने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन तेल और मिनरल्स के दावे अतिशयोक्ति हैं।” भारत को अपनी खनिज नीति मजबूत करनी होगी, जहां रेयर अर्थ उत्पादन अभी प्रारंभिक चरण में है।

पाकिस्तान में यह सौदा IMF लोन की शर्तों से जुड़ा माना जा रहा है। पीटीआई ने चेतावनी दी: “राष्ट्रीय संपदा बेचकर अमेरिका को खुश मत करो।” लेकिन शरीफ सरकार इसे “आर्थिक क्रांति” बता रही है।

ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति में पाकिस्तान अब “ट्रेजर पार्टनर” बन गया है। लेकिन क्या यह दोस्ती टिकेगी, या मुंगेरीलाल के हसीन सपने साबित होगी? समय बताएगा।

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