23 दिसंबर 2025 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आकाश नेक्स्ट जेनरेशन (Akash-NG) एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल्स को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह ट्रायल्स भारतीय वायु सेना और सेना के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किए गए, जिसमें सिस्टम ने सभी प्रीलिमिनरी सर्विस क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (PSQR) को पूरा किया। इस सफलता से Akash-NG की भारतीय सशस्त्र बलों में जल्द इंडक्शन का रास्ता साफ हो गया है, जो देश की स्वदेशी वायु रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगा।


ट्रायल्स की मुख्य विशेषताएं
ट्रायल्स के दौरान Akash-NG ने विभिन्न परिदृश्यों में हवाई लक्ष्यों को सटीकता से इंटरसेप्ट किया:
- कम ऊंचाई पर सीमा के निकट उड़ने वाले लक्ष्य (near-boundary low-altitude)।
- लंबी दूरी पर उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्य (long-range high-altitude)।
- उच्च गति वाले फुर्तीले हवाई खतरे, जैसे ड्रोन, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान।
सिस्टम में स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर और ड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर लगा है, जो इसे विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम बनाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय वायु सेना और उद्योग भागीदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक सिस्टम भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमता को काफी बढ़ाएगा। DRDO चेयरमैन ने भी टीमों की सराहना की और कहा कि यूजर ट्रायल्स की सफलता से इंडक्शन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।


Akash-NG की तकनीकी क्षमताएं
Akash-NG पुराने Akash सिस्टम का उन्नत संस्करण है, जिसमें कई सुधार किए गए हैं:
- रेंज: 70-80 किमी तक (मल्टी-फंक्शन रडार के साथ फायर कंट्रोल रेंज 80 किमी)।
- मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट: एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक और इंगेज करने में सक्षम।
- रिएक्शन टाइम: तेज, सैचुरेशन अटैक के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध।
- मोबिलिटी: कैनिस्टराइज्ड लॉन्चर से छोटा फुटप्रिंट, तेज डिप्लॉयमेंट।
- सीकर और गाइडेंस: स्वदेशी Ku-band एक्टिव रडार सीकर, इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ECCM) क्षमता।
- प्रोपल्शन: ड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर (पुराने रैमजेट की जगह)।
यह सिस्टम ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का हिस्सा है, जिसमें भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
महत्व और भविष्य
यह सफलता भारत की वायु रक्षा को बहुस्तरीय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। Akash-NG न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि निर्यात के लिए भी आकर्षक है – कई देशों ने इसमें रुचि दिखाई है।
यह ट्रायल्स हाल के ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट्स (जैसे ऑपरेशन सिंदूर में Akash का उपयोग) के बाद आया है, जो भारत की बढ़ती रक्षा तैयारियों को दर्शाता है।
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