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Tejashwi's masterstroke Political tension increased due to the claim of 243 seats

बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी का ‘243 सीटों’ वाला दावा—कांग्रेस से तनाव या दबाव की चाल?

पटना, 16 सितंबर 2025: बिहार की सियासत में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले तापमान बढ़ता जा रहा है। महागठबंधन के भीतर तनाव सतह पर आ चुका है, और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने एक सनसनीखेज बयान देकर हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि वे बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने नाम पर वोट मांगेंगे। यह बयान उस वक्त आया है, जब कांग्रेस ‘जिताऊ’ सीटों की मांग को लेकर अड़ी हुई है। सवाल उठता है—क्या तेजस्वी कांग्रेस की बढ़ती मांगों से चिढ़ गए हैं, या यह राहुल गांधी पर दबाव बनाने की रणनीति है? आइए, इस ‘243 सीटों वाले राग’ की पूरी कहानी को समझते हैं।

पृष्ठभूमि: सीट बंटवारे का घमासान

महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल, और वीआईपी) में 2025 के चुनाव के लिए सीट बंटवारे की बातचीत लंबे समय से चल रही है। 2020 के चुनाव में 243 सीटों में से आरजेडी ने 144, कांग्रेस ने 70, और वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार समीकरण जटिल हो गए हैं:

  • कांग्रेस की मांग: बिहार में हमेशा कमजोर रही कांग्रेस (2020 में सिर्फ 19 सीटें जीतीं) अब 60-70 ‘जिताऊ’ सीटों की मांग कर रही है। पार्टी का दावा है कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने उनके जनाधार को मजबूत किया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा कि अगर नए सहयोगी (जैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा या पशुपति पारस की लोक जनशक्ति पार्टी) शामिल होते हैं, तो हर दल को अपनी सीटें कम करनी होंगी।
  • आरजेडी की मजबूरी: आरजेडी खुद को महागठबंधन का ‘बड़ा भाई’ मानती है और कम से कम 150 सीटें चाहती है। वीआईपी नेता मुकेश सहनी 40 सीटों का दावा कर रहे हैं, जबकि वाम दल भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं। कुल दावे 260 से ज्यादा हो रहे हैं, जबकि सीटें सिर्फ 243 हैं।

इस गतिरोध के बीच तेजस्वी का बयान आया। मुजफ्फरपुर के कांटी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “सबको टिकट चाहिए, लेकिन सीटें तो सिर्फ 243 हैं। मैं सभी 243 सीटों पर अपने नाम पर वोट मांगूंगा।” उन्होंने मुजफ्फरपुर की एक सीट का जिक्र किया, जहां वर्तमान में कांग्रेस का विधायक है, लेकिन आरजेडी भी दावा ठोक रही है।

‘243 सीटों वाला राग’: चिढ़न या रणनीति?

तेजस्वी का बयान सतह पर कांग्रेस के खिलाफ हमला लगता है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे दोहरी मंशा हो सकती है:

  1. कांग्रेस की मांगों से चिढ़न:
    • राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’, जिसमें तेजस्वी भी शामिल थे, ने कांग्रेस को अल्पसंख्यक वोटरों में सेंध लगाने का मौका दिया। यात्रा के दौरान राहुल हमेशा आगे रहे, जबकि तेजस्वी पीछे दिखे। बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने इसे ‘तेजस्वी का नंबर-2 बन जाना’ बताया।
    • कांग्रेस ने तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम चेहरा घोषित करने से इनकार कर दिया। जब राहुल से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने ‘जनता चुनेगी’ कहकर टाल दिया। यह 2020 से अलग है, जब कांग्रेस ने तेजस्वी का खुलकर समर्थन किया था।
    • औरंगाबाद के कुटुंबा में कांग्रेस के सम्मेलन का आरजेडी ने बहिष्कार किया। इसके जवाब में तेजस्वी ने ‘बिहार अधिकार यात्रा’ शुरू की, जिसे राहुल की यात्रा की ‘हवा निकालने’ की कोशिश माना जा रहा है।
  2. राहुल पर दबाव की चाल:
    • तेजस्वी का ‘243 सीटों’ वाला बयान कांग्रेस पर ‘रिवर्स प्रेशर’ डालने का हथियार है। अगर कांग्रेस ज्यादा सीटें मांगेगी, तो आरजेडी अकेले लड़ने की धमकी दे सकती है। यह बयान उस वक्त की प्रतिक्रिया भी है, जब तेजस्वी ने यात्रा के दौरान राहुल को ‘प्रधानमंत्री बनाने’ की अपील की थी, उम्मीद में कि राहुल उन्हें सीएम चेहरा घोषित करेंगे।
    • बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसा, “तेजस्वी के पास 243 सीटें लड़ने की ताकत नहीं, लेकिन यह कांग्रेस को दबाने की कोशिश है।” केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, “अगर राहुल ने तेजस्वी को सीएम चेहरा कहा होता, तो यह नौबत न आती।”
प्रमुख पक्षमांग/बयानप्रभाव
आरजेडी (तेजस्वी)150+ सीटें; सभी 243 पर वोटगठबंधन में वर्चस्व; कांग्रेस पर दबाव
कांग्रेस (राहुल)60-70 जिताऊ सीटें; सीएम चेहरा अस्पष्टयात्रा से जनाधार मजबूत; अल्पसंख्यक वोट पर नजर
वाम दल/वीआईपी20-40 सीटेंकुल दावे 260+; गठबंधन टूटने का खतरा

अन्य घटनाएं: बढ़ती खटपट

  • पोस्टर विवाद: मोतिहारी में कांग्रेस और आरजेडी कार्यकर्ता राहुल के बैनरों को लेकर भिड़ गए। कांग्रेस ने अनुमति ली थी, लेकिन आरजेडी ने बैनर हटवा दिए। मामला थाने पहुंचा, और एफआईआर दर्ज हुई।
  • कांग्रेस का ‘हाईजैक’ आरोप: जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव ने कहा, “कांग्रेस ने महागठबंधन को हाईजैक कर लिया है। तेजस्वी हाशिए पर हैं।”
  • आरजेडी की ‘एकला चलो’ नीति: तेजस्वी की अलग यात्रा और सख्त बयानबाजी से लगता है कि आरजेडी जरूरत पड़ने पर स्वतंत्र रास्ता चुन सकती है।

भविष्य: टूट का खतरा या समझौता?

विश्लेषकों का मानना है कि ‘243 सीटों वाला राग’ गठबंधन को तोड़ने की बजाय मजबूत करने की चाल हो सकता है। सी-वोटर सर्वे में 35.5% लोग तेजस्वी को पसंदीदा सीएम चेहरा मानते हैं, जो आरजेडी को ताकत देता है। लेकिन अगर कांग्रेस नहीं झुकी, तो गठबंधन टूट सकता है, जिसका फायदा एनडीए को मिलेगा।

बीजेपी इसे ‘चिंदियों का झगड़ा’ बता रही है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस का बिहार में वोट ही नहीं, फिर तेजस्वी को नंबर-2 क्यों बनाया?” दूसरी ओर, एनडीए में भी सीट बंटवारे पर तनाव है। जीतन राम मांझी की पार्टी 100 सीटें मांग रही है, लेकिन 15 से कम मिलने पर अकेले लड़ने की धमकी दे रही है।

बिहार चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। क्या तेजस्वी की यह चाल कामयाब होगी, या राहुल की रणनीति भारी पड़ेगी? बिहार की जनता की नजरें गठबंधनों पर टिकी हैं, और सियासी तूफान का इंतजार है।

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