नई दिल्ली/वाशिंगटन, 15 सितंबर 2025 – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है। हालिया घटनाक्रम में ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए चीन को मुख्य विलेन बनाया है, जबकि भारत के साथ चल रहे व्यापारिक तनाव को कम करने के संकेत दिए हैं। यह रणनीति न केवल आर्थिक दबाव का हिस्सा है, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों को भी बदल रही है।
ट्रंप की टैरिफ नीति: पृष्ठभूमि
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल (जनवरी 2025 से) में टैरिफ को अपनी प्रमुख नीति बनाया है। फरवरी 2025 में उन्होंने कनाडा और मेक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाया, जो बाद में बढ़कर 30-145% तक पहुंच गया। इसका मकसद अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और राष्ट्रीय सुरक्षा (जैसे फेंटेनिल तस्करी) सुनिश्चित करना था। भारत पर भी जुलाई 2025 में 25% बेसिक टैरिफ लगाया गया, जो रूसी तेल खरीद के कारण अगस्त में 50% हो गया। यह अतिरिक्त टैरिफ रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति थी, क्योंकि भारत 2025 में रूस से 68.7 अरब डॉलर का व्यापार कर रहा था।
ट्रंप ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा” करार दिया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत और चीन के बीच संबंध मजबूत हुए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी चर्चा है कि ट्रंप की नीतियों ने अनजाने में भारत-चीन साझेदारी को बढ़ावा दिया।
चीन को विलेन बनाना
13 सितंबर 2025 को ट्रंप ने नाटो और जी-7 देशों (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके) को पत्र लिखकर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की रणनीति साझा की। इसमें शामिल था:
- सभी नाटो देशों से रूस से तेल खरीद पूरी तरह बंद करने की मांग।
- चीन पर 50-100% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव, जो युद्ध समाप्त होने तक लागू रहे।
ट्रंप ने कहा, “चीन पर 50-100% टैरिफ युद्ध को समाप्त करने में बड़ी मदद करेगा।” यह एक यू-टर्न है, क्योंकि पहले उन्होंने चीन को 30% टैरिफ के साथ बख्शा था, जबकि भारत पर 50% टैरिफ लगाया। कारण:
- चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है।
- ट्रंप ने रेयर-अर्थ मैग्नेट्स पर 200% टैरिफ की धमकी दी।
- अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने यूरोपीय संघ से भारत-चीन पर सख्ती की अपील की, लेकिन यूरोपीय संघ ने भारत को “महत्वपूर्ण साझेदार” बताकर टैरिफ से इनकार किया।
चीन ने जवाब में ट्रंप को “धमकी देने वाला” करार दिया और कहा, “हम युद्ध की साजिश नहीं रचते।” X पर यूजर्स इसे ट्रंप की “ट्रोलिंग” बता रहे हैं, लेकिन यह अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को फिर से भड़का सकता है।
भारत के साथ तनाव कम करने की कोशिश
ट्रंप का भारत के प्रति रुख नरम पड़ रहा है। पहले उन्होंने भारत को “टैरिफ का महाराजा” कहा और व्यापार को “एकतरफा आपदा” बताया। लेकिन 9-10 सितंबर 2025 को:
- ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मोदी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हम व्यापार बाधाओं पर बातचीत जारी रखेंगे और सफल समापन निश्चित है।”
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, “भारत-अमेरिका प्राकृतिक साझेदार हैं। हम अनलिमिटेड पोटेंशियल खोलेंगे।”
- ट्रंप के भारत दूतावास नामित सर्जियो गोर ने कहा, “हम भारत को चीन से दूर खींचने को प्राथमिकता देंगे। व्यापार डील जल्द संभव है।”
ट्रंप ने माना कि 50% टैरिफ ने संबंधों में दरार डाली, लेकिन रूसी तेल खरीद पर “क्रिस्टल क्लियर” रहने की बात कही। नाटो पत्र में भारत का नाम न लेना भी सकारात्मक संकेत है। X पर चर्चा है कि भारतीय कूटनीति ने ट्रंप को पीछे हटने पर मजबूर किया।
भारत-चीन संबंधों में सुधार
ट्रंप के टैरिफ ने भारत और चीन को करीब ला दिया। अगस्त 2025 में मोदी की चीन यात्रा, सीधी उड़ानें बहाल होने, और सीमा विवाद पर बातचीत शुरू होने से संबंध सुधरे। ट्रंप ने मजाक में कहा, “मेरे टैरिफ ने भारत-चीन विवाद सुलझा दिया, जो सदियों पुराना था। नोबेल मिलना चाहिए!”
संभावित प्रभाव
- भारत के लिए: टैरिफ कम होने से स्टील और एल्यूमिनियम जैसे निर्यात को राहत मिलेगी। लेकिन रूसी तेल खरीद पर दबाव बरकरार रहेगा।
- चीन के लिए: 100% टैरिफ से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, लेकिन चीन ने जवाबी टैरिफ लगाए हैं।
- वैश्विक प्रभाव: टैरिफ से अमेरिकी GDP में 0.2-0.56% की कमी आ सकती है, जबकि भारत और चीन ब्रिक्स के जरिए मजबूत हो रहे हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप की रणनीति चीन को निशाना बनाकर भारत को फिर से अपने पक्ष में करने की है। लेकिन भारत अपनी कूटनीति और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहा है। यह टैरिफ युद्ध वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति को नया आकार दे सकता है, जिसमें भारत मजबूत स्थिति में उभर रहा है।
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