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Russia reminded Bangladesh of 1971 – ease tensions with India, or else...

रूस ने बांग्लादेश को दी 1971 की याद – भारत के साथ तनाव कम करो, वरना…

बांग्लादेश में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर ग्रिगोरिविच खोजिन (Alexander Grigoryevich Khozin) ने 22 दिसंबर 2025 को ढाका स्थित रूसी दूतावास में पत्रकारों से बातचीत में भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव पर विस्तृत बयान दिया। यह बयान बांग्लादेश में चल रही अशांति और क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। राजदूत ने दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की, जबकि 1971 के मुक्ति संग्राम में भारत और रूस की ऐतिहासिक भूमिका को याद किया।

राजदूत के मुख्य बयान (सीधे उद्धरणों के साथ):

  • “भारत के साथ तनाव जितनी जल्दी कम किया जाए, उतना बेहतर होगा।” (“The sooner you reduce tensions with India, the better.”)
  • “ऐतिहासिक रूप से 1971 से, जब बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली, तो इसमें मुख्य रूप से भारत की मदद थी। रूस ने भी इसमें समर्थन दिया था। कंधे से कंधा मिलाकर भारत, बांग्लादेश और रूस ने साथ काम किया।” (“Historically, since 1971, when Bangladesh gained independence, it was mostly because of Indian help. And Russia also supported this. Shoulder to shoulder, India, Bangladesh, and Russia worked together.”)
  • राजदूत ने स्पष्ट किया: “हम भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन मौजूदा स्तर से आगे तनाव न बढ़े, यह बुद्धिमानी होगी। संबंध आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित होने चाहिए।”
  • यह तनाव कम करना पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता और बांग्लादेश के आगामी चुनाव (12 फरवरी 2026) के लिए जरूरी है।
  • उन्होंने बांग्लादेश की चुनाव आयोग द्वारा घोषित तारीख का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि चुनाव समय पर शांतिपूर्ण माहौल में होंगे। रूस चुनाव पर्यवेक्षक भेजने के लिए तैयार है, अगर आधिकारिक न्योता मिले।

यह बयान रूस की तटस्थ लेकिन भारत-अनुकूल नीति को दर्शाता है। भारतीय मीडिया ने इसे बांग्लादेश के लिए “चेतावनी” बताया, जबकि बांग्लादेशी मीडिया ने इसे संतुलित अपील माना।

तनाव की विस्तृत पृष्ठभूमि:

बांग्लादेश में तनाव की जड़ें पिछले साल अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन से जुड़ी हैं। हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं, जिसे ढाका “भारतीय हस्तक्षेप” मानता है। हालिया घटनाएं:

  • शरीफ ओसमान हादी की मौत (18 दिसंबर 2025): जुलाई 2024 आंदोलन के प्रमुख चेहरे और इंकिलाब मंचो के प्रवक्ता हादी पर 12 दिसंबर को मस्जिद से निकलते समय गोली चलाई गई। सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत। हादी भारत-विरोधी बयानों के लिए जाने जाते थे।
    • मौत के बाद ढाका सहित कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन: प्रोथोम आलो और डेली स्टार अखबारों के दफ्तरों पर हमला, आगजनी; छायानट और उडिची जैसे सांस्कृतिक केंद्रों पर तोड़फोड़।
    • चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग पर पत्थरबाजी। प्रदर्शनकारियों ने भारत-विरोधी नारे लगाए और हसीना की प्रत्यर्पण की मांग की।
    • कुछ प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हमलावर भारत भाग गए।
  • अल्पसंख्यकों पर हमले: 18 दिसंबर को मयमनसिंह में हिंदू गारमेंट वर्कर दीपु चंद्र दास की कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा लिंचिंग और शव जलाना। इससे भारत में विरोध प्रदर्शन।
    • कोलकाता, दिल्ली आदि में बांग्लादेश मिशनों के बाहर प्रदर्शन; सिलिगुड़ी में वीजा सेंटर पर तोड़फोड़।
    • भारत ने बांग्लादेशी राजदूत को तलब कर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। बांग्लादेश ने भारतीय राजदूत को तलब कर अपने मिशनों की सुरक्षा पर चिंता जताई।
  • कूटनीतिक कदम:
    • भारत ने चटगांव में वीजा सेवाएं निलंबित कीं।
    • बांग्लादेश ने दिल्ली और अगरतला में वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दीं।
    • दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को तलब किया।
  • अन्य घटनाएं: बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेशी मछुआरों की बढ़ती घुसपैठ और नौसेना की टक्कर की घटनाएं।

बयान का महत्व और प्रभाव:

  • रूस भारत का पुराना सहयोगी है, और यह बयान क्षेत्रीय स्थिरता की दृष्टि से चीन-पाकिस्तान जैसे देशों के प्रभाव को रोकने का संकेत देता है।
  • बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में) पर दबाव बढ़ा है कि चुनाव से पहले शांति बहाल करें।
  • भारतीय संसद की विदेश मामलों की समिति ने बांग्लादेश की स्थिति को “1971 के बाद भारत का सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा” बताया, जिसमें चीन-पाकिस्तान की बढ़ती भूमिका और पीढ़ीगत अलगाव का जिक्र।
  • यूनुस सरकार ने आर्थिक सहयोग जारी रखने का संकेत दिया (भारत से 50,000 टन चावल खरीद) और कहा कि राजनीतिक बयान आर्थिक संबंधों को प्रभावित नहीं करेंगे।

यह तनाव दक्षिण एशिया की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। दोनों देशों में बातचीत की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अल्पसंख्यक सुरक्षा और हसीना की प्रत्यर्पण जैसे मुद्दे बाधा बने हुए हैं। रूस का बयान इस संदर्भ में संतुलन बनाने की कोशिश लगता है।

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