28 जुलाई 2025 को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान, राजस्थान के नागौर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने स्पष्टवादी और मजाकिया अंदाज से लोकसभा में चर्चा का केंद्र बन गए। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस के दौरान उनके तीखे लेकिन हास्यपूर्ण बयानों ने सदन को हंसी के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर कर दिया।
चर्चा का संदर्भ
लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक कथित आतंकवाद-विरोधी अभियान पर चर्चा हो रही थी। इस गंभीर विषय पर बोलते हुए बेनीवाल ने अपने अनूठे अंदाज में सरकार और मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए। उनकी टिप्पणियाँ न सिर्फ मनोरंजक थीं, बल्कि उनमें राजनीतिक व्यंग्य भी छिपा था।
बेनीवाल के चर्चित बयान और सदन की प्रतिक्रिया
- “रात 10:30 बजे बुला रहे हो आप, अब बोलने दो, खबर तो अखबार में नहीं छपने वाली है…”
 इस टिप्पणी में उन्होंने देर रात तक चलने वाले संसद सत्र और पारंपरिक मीडिया की घटती प्रासंगिकता पर तंज कसा। यह कहकर कि अब खबरें सोशल मीडिया पर ही वायरल होती हैं, उन्होंने सदन को हंसा दिया।
- “खुद तो आधा घंटा बोल लिए, अब हमें कह रहे हो बैठ जाओ!”
 जब एक सांसद ने उन्हें बैठने को कहा, तो बेनीवाल की यह हाजिरजवाबी सुनकर पूरा सदन ठहाकों लगा बैठा। यहां तक कि स्पीकर भी मुस्कुराए बिना न रह सके।
- “ऑपरेशन सिंदूर ऐसा लगता है जैसे भारत पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर रहा हो!”
 इस व्यंग्यात्मक टिप्पणी से उन्होंने मीडिया में फैल रही अतिशयोक्तिपूर्ण खबरों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कुछ चैनल तो यह दावा कर रहे थे कि भारत ने कराची और लाहौर पर कब्जा कर लिया है, जो सच से कोसों दूर है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए बेनीवाल
उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई—उनके भाषण के अंश X (पूर्व में ट्विटर) पर तेजी से वायरल हो गए। #HanumanBeniwal और #OperationSindoor ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने उनकी स्पष्टवादिता की तारीफ करते हुए लिखा, “बेनीवाल वही बोलते हैं जो आम जनता सोचती है!”
बेनीवाल का राजनीतिक रुख
RLP के संस्थापक और जाट नेता हनुमान बेनीवाल अपनी बेबाकी के लिए मशहूर हैं। वे पहले भी अग्निपथ योजना, किसान आंदोलन और शिक्षा व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सरकार को घेर चुके हैं। उनकी सीधी भाषा और हास्यपूर्ण अंदाज ने उन्हें राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में खासा लोकप्रिय बना दिया है।
निष्कर्ष
बेनीवाल ने इस बहस में हास्य के साथ गंभीर सवाल उठाए—क्या सरकार और मीडिया जनता को वास्तविकता दिखा रहे हैं? उनका कहना कि “खबर अखबार में नहीं, सोशल मीडिया पर छपेगी” आज के डिजिटल युग की सच्चाई को दर्शाता है। यह घटना दिखाती है कि संसद में भी हास्य और व्यंग्य के जरिए बड़े सवाल उठाए जा सकते हैं।
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