बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले हफ्ते छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी (जिन्हें उस्मान हादी के नाम से जाना जाता है) की हत्या के बाद अब एक और युवा नेता पर जानलेवा हमला हुआ है। खुलना शहर में नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के खुलना डिवीजनल चीफ और मजदूर विंग के नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर (या मोतालेब शिकदर) को 22 दिसंबर 2025 को दिनदहाड़े सिर में गोली मार दी गई। यह घटना उस्मान हादी की मौत के महज कुछ दिनों बाद हुई है, जिससे देश में चुनाव से पहले तनाव और बढ़ गया है।
उस्मान हादी की हत्या की पृष्ठभूमि
- शरीफ उस्मान हादी (32 वर्ष) 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिराया था।
- वे इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे और फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव में ढाका से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रचार कर रहे थे।
- 12 दिसंबर 2025 को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में मस्जिद से निकलते समय नकाबपोश हमलावरों ने उन्हें सिर में गोली मार दी।
- गंभीर रूप से घायल हादी को सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उनका निधन हो गया।
- उनकी मौत के बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें अखबारों के दफ्तरों पर हमले और आगजनी शामिल थी। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इसे चुनाव को पटरी से उतारने की साजिश बताया।
मोतालेब सिकदर पर हमला: क्या हुआ?
- 22 दिसंबर को दोपहर करीब 11:45 बजे खुलना के सोनाडांगा इलाके में अज्ञात हमलावरों ने मोतालेब सिकदर पर गोली चलाई।
- गोली उनके सिर (कान के पास से प्रवेश कर दूसरी तरफ से निकल गई) में लगी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
- उन्हें तुरंत खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वे बच गए, लेकिन इलाज जारी है।
- सिकदर NCP के मजदूर विंग जातीय श्रमिक शक्ति के प्रमुख आयोजक थे। NCP छात्र नेता नाहिद इस्लाम की पार्टी है, जो 2024 आंदोलन से उभरी है।
- घटना उस समय हुई जब NCP खुलना में एक मजदूर रैली की तैयारी कर रही थी।
- पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन हमलावर फरार हैं।
देश में बढ़ता तनाव और संभावित कारण
- फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं, और राजनीतिक हत्याओं का यह सिलसिला चुनाव को प्रभावित करने की साजिश माना जा रहा है।
- उस्मान हादी की मौत के बाद इंकलाब मंच ने यूनुस सरकार को चेतावनी दी थी, जबकि NCP जैसे संगठन भी सक्रिय हैं।
- कुछ रिपोर्ट्स में इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता या कट्टरपंथी ताकतों से जोड़ा जा रहा है, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं।
- हादी की मौत के बाद हिंसा में हिंदू समुदाय और मीडिया को भी निशाना बनाया गया, जिससे अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ा है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के प्रयास हो सकते हैं।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति की अपील की है और जांच का वादा किया है, लेकिन लगातार हो रही ऐसी घटनाओं से देश में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। चुनाव से पहले सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। यह घटना न केवल राजनीतिक नेताओं के लिए खतरा है, बल्कि पूरे देश की स्थिरता को चुनौती दे रही है।
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