दिनांक: 17 सितंबर 2025
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की कड़ी कार्रवाई के बाद एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन ने हथियार डालने और शांति वार्ता शुरू करने की इच्छा जाहिर की है। संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने 15 अगस्त 2025 को जारी एक प्रेस नोट में यह घोषणा की, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
मुख्य बिंदु:
- हथियार छोड़ने की घोषणा: नक्सलियों ने अपने पत्र में कहा है कि वे “हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से त्याग” रहे हैं। संगठन का कहना है कि वे अब राजनीतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ मिलकर जनसमस्याओं का समाधान करना चाहते हैं, ताकि विकास और शांति का रास्ता खुल सके।
- सीजफायर की मांग: नक्सलियों ने सरकार से एक महीने के सीजफायर की अपील की है, ताकि वे शांति वार्ता की तैयारी कर सकें। इस दौरान उन्होंने कोई पुलिस कार्रवाई न करने की शर्त रखी है। साथ ही, जेल में बंद नक्सली नेताओं से विचार-विमर्श और वीडियो कॉल के जरिए संवाद की अनुमति मांगी है।
- संपर्क का माध्यम: संगठन ने एक ईमेल आईडी साझा की है, जिसके जरिए सरकार के साथ औपचारिक संवाद शुरू करने की पेशकश की गई है।
पृष्ठभूमि:
केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जनवरी 2024 से छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कार्रवाई तेज हुई है। इस दौरान कई शीर्ष नक्सली कमांडर या तो मारे गए या उन्होंने सरेंडर कर दिया। नक्सलियों ने अपने पत्र में स्वीकार किया कि 2024 से चली आ रही मुठभेड़ों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है, जिसके चलते संगठन दबाव में है।
सरकार का रुख:
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस पत्र की प्रामाणिकता की जांच पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि नक्सली वास्तव में हथियार छोड़ने को तैयार हैं, तो सरकार शांति वार्ता के लिए कदम उठाएगी। राज्य सरकार पहले से ही सरेंडर करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास योजनाएं चला रही है, जिसके तहत कई पूर्व नक्सलियों को मुख्यधारा में लाया गया है।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह खबर तेजी से ट्रेंड कर रही है। यूजर्स #NaxalFreeBharat और #Chhattisgarh जैसे हैशटैग के साथ इस घटनाक्रम पर चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग इसे शांति की दिशा में सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह नक्सलियों की रणनीतिक चाल भी हो सकती है।
आगे क्या?
यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति की नई उम्मीद जगा रहा है। हालांकि, पत्र की प्रामाणिकता और नक्सलियों की मंशा की जांच जरूरी है। सरकार और सुरक्षा बल इस मामले में सतर्कता बरत रहे हैं।
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