नई दिल्ली, 18 सितंबर 2025: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की महत्वाकांक्षी योजना ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (Special Intensive Revision – SIR) अब पूरे देश में फैलने वाली है। बिहार में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई यह प्रक्रिया, जो जून 2025 से चल रही है, अब 2025 के अंत तक राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो जाएगी। इसका लक्ष्य: 96 करोड़ से अधिक मतदाताओं की सूची को अपडेट करना, फर्जी और डुप्लिकेट एंट्रीज हटाना, तथा आने वाले विधानसभा चुनावों (असम, केरल, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और पश्चिम बंगाल में 2026) को पारदर्शी बनाना। लेकिन यह अभियान सिर्फ तकनीकी अपडेट नहीं है – यह एक राजनीतिक तूफान बन चुका है, जहां विपक्ष ‘वोटर बहिष्कार’ का आरोप लगा रहा है, सुप्रीम कोर्ट कड़ी चेतावनी दे रहा है, और ECI अपनी संवैधानिक स्वायत्तता पर अडिग है। खास बात: 50 करोड़ से ज्यादा (कुल का 60%) पुराने मतदाताओं को कोई नया दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उनके नाम 2003 के पिछले SIR में वैरिफाइड हैं। आइए, इसकी पूरी कहानी को विस्तार से समझें।
SIR की शुरुआत: बिहार से राष्ट्रीय मंच तक
SIR का कॉन्सेप्ट नया नहीं है। आखिरी बार 2003 में पूरे देश में किया गया था, जब मतदाता सूची में डुप्लिकेट्स और मृतकों के नामों की भरमार थी। 2025 में ECI ने इसे फिर से शुरू किया, मुख्यतः शहरीकरण, माइग्रेशन और डिजिटल एंट्रीज के कारण बढ़ी असंगतियों को दूर करने के लिए। जून 24, 2025 को जारी ECI के आदेश में कहा गया: “चुनावी सूची की अखंडता लोकतंत्र का आधार है। RPA 1950 और RER 1960 के तहत हम SIR कर रहे हैं।”
- बिहार पायलट: 25 जून 2025 से शुरू। 7.89 करोड़ वोटर्स को कवर किया गया। बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) ने घर-घर जाकर फॉर्म 4 (नए मतदाता), फॉर्म 6 (सुधार), फॉर्म 7 (नाम हटाना) भरवाए। ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त को जारी हुई, जिसमें 65 लाख नाम कटे (मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट)।
- राष्ट्रीय रोलआउट: 10 सितंबर को नई दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) की बैठक हुई। ECI ने 30 सितंबर तक तैयारियां पूरी करने को कहा। अक्टूबर से शुरू, 1 जनवरी 2026 को क्वालीफाइंग डेट के साथ अंतिम सूची बनेगी। असम-केरल जैसे राज्यों में 2026 चुनावों से पहले प्राथमिकता।
ECI के चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने बैठक में कहा: “SIR से फर्जी वोटिंग रुकेगी, महिलाओं-युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी।” लेकिन आंकड़े बताते हैं: बिहार में 40% नामों पर सुधार की जरूरत पड़ी, जिसमें महिलाओं (विशेषकर शादी के बाद माइग्रेंट) की संख्या ज्यादा थी।
दस्तावेजों का विवाद: 50 करोड़ को राहत, लेकिन बाकियों के लिए चुनौती
SIR का सबसे बड़ा सवाल: दस्तावेज क्यों? ECI ने 11 ‘संकेतक’ दस्तावेजों की लिस्ट दी – जन्म प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट, PAN, मार्कशीट, बैंक पासबुक आदि। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को आधार को 12वां दस्तावेज मान लिया। फिर भी, 60% (50 करोड़+) वोटर्स को छूट:
- कारण: ये 2003 SIR या बाद के रिविजन में वैरिफाइड हैं। BLO केवल पुरानी डिटेल्स चेक करेंगे – कोई नया प्रूफ नहीं।
- बाकी 40% के लिए: नए रजिस्ट्रेशन या सुधार पर दस्तावेज जरूरी। शपथ-पत्र से काम चलेगा, लेकिन गरीब/ग्रामीण इलाकों में दिक्कत। ECI ने स्पष्ट किया: “माइग्रेंट्स को चिंता न करें, 2003 के वोटर्स के वंशजों को ancestry प्रूफ नहीं चाहिए।”
| श्रेणी | अनुमानित संख्या | दस्तावेज जरूरी? | मुख्य कारण/उदाहरण |
|---|---|---|---|
| पुराने वैरिफाइड (2003 SIR) | 50 करोड़+ (60%) | नहीं | पहले से प्रमाणित; केवल अपडेट चेक |
| नए/सुधार/माइग्रेंट | 38 करोड़+ (40%) | हां (या शपथ-पत्र) | जन्म/पता साबित; आधार, राशन कार्ड वैलिड |
| कुल मतदाता | 96 करोड़+ | – | RPA 1950 के तहत |
सुप्रीम कोर्ट का दखल: चेतावनी और संतुलन
SIR पर कानूनी जंग तेज है। RJD, AIMIM, कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने PIL दाखिल कीं, आरोप लगाया कि यह ‘नागरिकता जांच’ का बहाना है – खासकर मुस्लिम बहुल बॉर्डर जिलों में नाम कटे। BBC की रिपोर्ट: ड्राफ्ट में गलत फोटो, मृतकों के नाम बने हुए।
- मुख्य सुनवाई: 15 सितंबर को SC ने ECI को चेतावनी दी – “किसी अवैधता पर पूरी प्रक्रिया रद्द हो सकती है।” जस्टिस सूर्या कांत की बेंच ने कहा: ECI संवैधानिक बॉडी है, लेकिन कानून का पालन करे। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर।
- ECI का स्टैंड: 13 सितंबर को SC को हलफनामा – “अनुच्छेद 324 के तहत SIR कब-कैसे, सिर्फ हम तय करेंगे। कोई कोर्ट आदेश थोप नहीं सकता।” लेकिन SC ने आधार-राशन कार्ड को वैलिड माना।
- इंटरिम रिलीफ: 1 सितंबर को SC ने कहा – डेडलाइन के बाद भी नाम शामिल/हटाने की अपील चलेगी। ECI ने 89 लाख शिकायतें (कांग्रेस की) खारिज कीं, कहा ‘गलत फॉर्मेट’।
संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 324 ECI को चुनावी रोल्स का नियंत्रण देता है, लेकिन अनुच्छेद 326 यूनिवर्सल एडल्ट सुफ्रेज सुनिश्चित करता है। मोहिंदर सिंह गिल केस (1977) में SC ने ECI की पॉवर्स को माना, लेकिन न्यायिक रिव्यू की गुंजाइश रखी।
राजनीतिक तापमान: विपक्ष का हमला, NDA का बचाव
बिहार चुनाव (नवंबर 2025) से पहले SIR राजनीतिक हथियार बन गया:
- विपक्ष: RJD के शिवानंद तिवारी – “यह BJP की साजिश, गरीब-मुस्लिम वोटर्स को टारगेट।” कांग्रेस ने 89 लाख शिकायतें भेजीं। पब्लिक हियरिंग (21 जुलाई) में संगठनों ने SIR रद्द करने की मांग की।
- NDA: JDU-BJP ने कहा – “विपक्ष भ्रम फैला रहा। SIR से पारदर्शिता आएगी।” PM मोदी के तीसरे कार्यकाल में डेवलपमेंट पर फोकस, SIR को ‘संविधान बचाओ’ का मुद्दा बताकर खारिज।
- X (पूर्व ट्विटर) पर बहस: #BiharSIR ट्रेंडिंग। @ocjain4 ने ECI की स्वायत्तता की तारीफ की, जबकि @NishuGautam2472 ने अनियमितताओं पर सवाल उठाए। @aajtak ने अक्टूबर स्टार्ट की खबर शेयर की, 7K+ व्यूज।
विश्लेषण: बिहार में 65 लाख नाम कटे, लेकिन मुस्लिम प्रभावित होने का कोई स्पष्ट सबूत नहीं। महिलाओं (मैरिज माइग्रेशन) पर ज्यादा असर। ECI का दावा: “कोई योग्य वोटर बाहर नहीं होगा।”
प्रभाव: लोकतंत्र मजबूत या खतरे में?
SIR से फायदा: डुप्लिकेट्स हटेंगे, Aadhaar-Voter ID लिंकिंग आसान, रिमोट वोटिंग संभव। लेकिन चुनौतियां: ग्रामीण पहुंच, दस्तावेजों की कमी। ECI ने हेल्पलाइन 1950, nvsp.in ऐप और BLO कैंप्स शुरू किए। विशेषज्ञ सलाह: ऑडिट और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएं।
अगर सब ठीक रहा, तो 2026 चुनाव ‘क्लीन स्लेट’ पर होंगे। लेकिन SC की 7 अक्टूबर सुनवाई फैसला बदलेगी। फिलहाल, ECI का संदेश साफ: “एक व्यक्ति, एक वोट – SIR इसका हथियार है।” वोटर्स, जागरूक रहें – अपना नाम चेक करें, अपील दाखिल करें। लोकतंत्र की इस जंग में हर वोट मायने रखता है।
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