Eid ul Fitr – A Holy Festival of Islam
इस्लाम धर्म में मुख्यतः दो ईद के त्यौहार मनाए जाते है ईद अल-अज़हा (बकरीद) और ईद उल-फितर (मीठी ईद)।
ईद उल-फितर मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। ईद उल-फितर शव्वाल (इस्लामी कैलेंडर या हिजरी का 10वां महीना) के पहले दिन मनाई जाती है। यह तिथि रमज़ान उल-मुबारक के महीने के समाप्त होने पर आती है।
महत्व (Importance of Eid)
ईद के इस पाक मौके पर मुस्लिम लोग सुबह-सुबह नए कपड़े पहनकर मस्जिद में बहुत ही बड़ी संख्या में एकत्रित होकर नमाज अदा करते है और सुख-शांति के लिए दुआ करते है और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते है क्योंकि मुसलमान रमजान के पूरे महीने में रोजे (उपवास) रखते है और इस दिन अपना-अपना रोज़ा खोलते है और आपस में मिल-जुलकर, गले लगाकर, एक-दूसरे को तोहफे देकर ईद की मुबारकबाद देते है।
ईद उल-फितर को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुस्लिम अपने घर शेवया (सेवई) बनाकर अपने आस-पड़ोस और मेहमानों को खिलाते है।
इतिहास (History)
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, 624 ईस्वी में पैगम्बर मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की रक्षा करते हुए जंग-ए-बद्र में अपने 313 अनुयायियों के साथ मिलकर मक्का के क़ुरैश क़बीले की बहुत बड़ी सेना के साथ भीषण युद्ध किया और पैगंबर मुहम्मद जी के नेतृत्व में मुस्लिमों ने फतेह हासिल की।
इस्लाम धर्म में यह पहली जंग थी। इस युद्ध की जीत की खुशी में उत्सव मनाया गया और लोगों में मीठा बटवाया गया। तभी से यह ईद का त्यौहार मनाया जाने लगा।
चाँद का महत्व (Importance of Moon)
मुस्लिम धर्म (Muslim Religion) में चाँद का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चाँद पर आधारित होता है। इस्लाम धर्म में ईद या अन्य त्यौहार चाँद को देखकर ही मनाए जाते है। रमजान के महीने की शुरुआत चाँद दिखाई देने पर ही शुरू की जाती है और चाँद दिखाई देने पर ही समाप्त की जाती है और उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है।
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