हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और अन्य सदस्य देशों) समूह को अमेरिकी डॉलर पर “हमला” करार देते हुए कहा कि इसी डर से उन्होंने इन देशों पर टैरिफ लगाए। 14 अक्टूबर 2025 को व्हाइट हाउस में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने दावा किया कि उनके टैरिफ खतरे के बाद BRICS से कई देश “छोड़ रहे हैं” और डॉलर की वैश्विक प्रभुता बरकरार है।
ट्रंप के बयान की मुख्य बातें:
- BRICS को डॉलर पर खतरा: ट्रंप ने कहा, “BRICS डॉलर पर हमला था। मैंने कहा कि अगर आप इस खेल में खेलना चाहते हैं, तो अमेरिका आने वाले सभी उत्पादों पर टैरिफ लगाऊंगा। अब सब छोड़ रहे हैं, BRICS का नामोनिशान मिट चुका है।” उनका मानना है कि BRICS का गठन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए हुआ था, खासकर डॉलर को वैश्विक रिजर्व करेंसी के रूप में चुनौती देने के लिए।
- टैरिफ का कारण: ट्रंप ने स्पष्ट किया कि टैरिफ BRICS के “एंटी-अमेरिकन पॉलिसी” के जवाब में लगाए गए, जैसे डॉलर की जगह कोई नई करेंसी बनाने की कोशिश। उन्होंने 100% टैरिफ की धमकी दी है अगर BRICS देश डॉलर को चुनौती देते हैं।
- परिणाम का दावा: ट्रंप का कहना है कि उनकी नीतियों से BRICS कमजोर हो गया और डॉलर की “वर्ल्ड डोमिनेशन” मजबूत हुई।
वास्तविकता क्या है?
ट्रंप के दावों के विपरीत, BRICS मजबूत बना हुआ है:
- कोई देश नहीं छोड़ रहा: क्रीमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने 15 अक्टूबर को कहा, “हमें कोई ऐसी जानकारी नहीं है कि कोई देश BRICS छोड़ रहा हो।” शिलर इंस्टीट्यूट की संस्थापक हेल्गा जेप-ला रूश ने भी ट्रंप के दावे को गलत बताया।
- BRICS का विस्तार: 2023-2025 में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे देश जुड़े। ब्राजील और भारत जैसे सदस्य ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं, दोनों देशों ने व्यापार को 36 बिलियन डॉलर तक ट्रिपल करने का लक्ष्य रखा है।
- टैरिफ का प्रभाव: ट्रंप ने जनवरी 2025 से BRICS देशों पर 10-100% टैरिफ लगाए, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी। BRICS ने जुलाई 2025 के रियो समिट में ट्रंप की नीतियों की आलोचना की, इसे “यूनिलेटरल टैरिफ” बताते हुए वैश्विक संस्थाओं (जैसे IMF) में सुधार की मांग की।
पृष्ठभूमि: ट्रंप vs BRICS
- ट्रंप की टैरिफ नीति: 2025 में ट्रंप ने कनाडा-मेक्सिको पर 25%, चीन पर 100% और BRICS पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाए। जुलाई में रियो समिट के दौरान उन्होंने BRICS को “डेड” घोषित किया, लेकिन समूह ने ईरान पर हमलों की निंदा की और डॉलर-केंद्रित प्रणाली पर सवाल उठाए।
- BRICS की रणनीति: समूह डॉलर पर निर्भरता कम करने पर फोकस कर रहा है, जैसे स्थानीय मुद्राओं में भुगतान बढ़ाना। गोल्ड रिजर्व में वृद्धि (BRICS देशों ने 2025 में 1,200 टन सोना जमा किया) और व्यापार वृद्धि से वे मजबूत हो रहे हैं।
- भारत का रुख: भारत BRICS का मूल सदस्य है, लेकिन ट्रंप के दबाव में संतुलन बनाए रख रहा। PM मोदी ने समिट में चेतावनी दी कि BRICS वैश्विक संस्थाओं का विकल्प न बने, लेकिन ब्राजील के साथ व्यापार बढ़ाने पर सहमति बनी।
ट्रंप की टिप्पणियां उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा लगती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता बढ़ सकती है। BRICS जैसे समूह उभरते बाजारों की एकजुटता दिखाते हैं, जो डॉलर की प्रभुता को लंबे समय में चुनौती दे सकते हैं। अधिक अपडेट्स के लिए समाचार स्रोतों पर नजर रखें।
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