बिहार की राजनीति में एक बार फिर से तूफान मच गया है। दरभंगा जिले के जाले विधायक और बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास मंत्री जीवेश मिश्रा ने विपक्ष के नेता और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजने की घोषणा की है। यह विवाद दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के रामपट्टी गांव में हुई एक घटना से शुरू हुआ, जिसमें मंत्री जीवेश मिश्रा पर हमले का आरोप लगा, जबकि तेजस्वी यादव ने इसे पत्रकार की पिटाई का मामला बताकर सरकार पर हमला बोला। इस घटना ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है, और दोनों पक्षों के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
घटना का विवरण
घटना 14 सितंबर 2025 को दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के रामपट्टी गांव में हुई। मंत्री जीवेश मिश्रा ने दावा किया कि उनके काफिले पर हमला किया गया और उनकी हत्या की साजिश रची गई थी। उनके अनुसार, हमलावरों ने उनके सिर पर बड़ा पत्थर फेंकने की कोशिश की, जिससे उनकी जान को खतरा था। उन्होंने इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया और इसकी जांच की मांग की।
दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस घटना को पूरी तरह से अलग रंग दिया। तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें कथित तौर पर जीवेश मिश्रा एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार करते नजर आ रहे हैं। तेजस्वी ने अपने पोस्ट में लिखा, “बिहार सरकार में शहरी विकास एवं निकाय मंत्री जीवेश मिश्रा से अतिपिछड़ा समाज के होनहार निष्पक्ष पत्रकार ने क्षेत्र की जर्जर सड़क संबंधित सवाल किया तो मंत्री ने रात के अंधेरे में पत्रकार को बेरहमी से पीटा और माँ-बहन की अभद्र गालियां दी।” तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में अराजकता का माहौल है और सरकार पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
तेजस्वी का थाने में हस्तक्षेप
इस घटना के बाद, तेजस्वी यादव स्वयं दरभंगा के थाने पहुंचे और पत्रकार दिलीप सहनी की पिटाई के मामले में FIR दर्ज कराने में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी भी दी। तेजस्वी के इस कदम ने मामले को और तूल दे दिया। उनके समर्थकों का कहना है कि वे पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हुए, जबकि सत्तापक्ष ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया।
जीवेश मिश्रा का जवाब
मंत्री जीवेश मिश्रा ने तेजस्वी के आरोपों को पूरी तरह से निराधार और मानहानिकारक बताया। 15 सितंबर 2025 को दरभंगा सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उन पर हमला हुआ था और इसे पत्रकार की पिटाई का मामला बताकर विपक्ष झूठ फैला रहा है। उन्होंने तेजस्वी यादव के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजने की घोषणा की और कहा कि वे इस मामले को कानूनी रूप से लड़ेंगे। मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष इस घटना का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए कर रहा है।
वीआईपी पार्टी का हस्तक्षेप
इस विवाद में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी भी कूद पड़े। सहनी ने जीवेश मिश्रा के खिलाफ तीखा हमला बोला और कहा कि उनकी पार्टी और सहनी समाज के कार्यकर्ता मंत्री का हर जगह विरोध करेंगे। सहनी ने यह भी दावा किया कि इस मामले में प्राथमिकी केवल तब दर्ज हुई जब तेजस्वी यादव थाने पहुंचे। इस बयान ने सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा दिया।
सत्तापक्ष बनाम विपक्ष
सत्तापक्ष ने इस पूरे मामले को मंत्री पर हमले की साजिश करार दिया है, जबकि विपक्ष इसे पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश बता रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेताओं ने तेजस्वी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विपक्ष की हताशा का नतीजा है। बीजेपी के कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव इस तरह के विवादों को उठाकर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले को बिहार में बढ़ती अराजकता और सरकार की नाकामी का प्रतीक बताया। तेजस्वी ने अपने बयानों में बार-बार यह दोहराया कि नीतीश कुमार की सरकार में पत्रकारों, दलितों, और पिछड़े वर्गों के लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।
अन्य संदर्भ: माई बहिन योजना विवाद
इस घटना के साथ ही तेजस्वी यादव एक अन्य मामले में भी सुर्खियों में हैं। दरभंगा में एक महिला ने तेजस्वी समेत कई आरजेडी नेताओं पर माई बहिन योजना के नाम पर ठगी का आरोप लगाया है। महिला का दावा है कि इस योजना के तहत उससे 200 रुपये वसूले गए और उसकी व्यक्तिगत जानकारी ली गई। इस मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है। यह मामला भी बिहार की सियासत में एक नया विवाद बनकर उभरा है।
निष्कर्ष
यह पूरा प्रकरण बिहार की राजनीति में एक नए तूफान का संकेत दे रहा है। जीवेश मिश्रा और तेजस्वी यादव के बीच यह विवाद न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच एक बड़े टकराव का रूप ले चुका है। जहां एक ओर सत्तापक्ष इसे साजिश बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहा है। मानहानि नोटिस और कानूनी कार्रवाई की धमकी के साथ यह मामला अब कोर्ट तक पहुंच सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आने के साथ ही इस तरह के विवादों से सियासी माहौल और गर्म होने की संभावना है।
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