काठमांडू, 12 सितंबर 2025 – नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच एक और नाटकीय मोड़ आया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की संभावना अब लगभग तय हो गई है। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति भवन, शीतल निवास, में हुई एक उच्च स्तरीय गुप्त बैठक में उनके नाम पर सहमति बन गई। इस बैठक में नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल, स्पीकर नारायण दहल, राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष, और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश सिंह राउत मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण की घोषणा हो सकती है।
संवैधानिक संकट और Gen-Z का दबाव
नेपाल में हाल के दिनों में भ्रष्टाचार, वंशवाद, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों को लेकर Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों के दबाव में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। Gen-Z समूह ने शुरू में सुशीला कार्की के नाम का समर्थन किया था, लेकिन उनके नाम पर कुछ मतभेद उभरे। गुरुवार रात की बैठक में इन मतभेदों को सुलझा लिया गया, और कार्की के नाम पर आम सहमति बन गई।
सुशीला कार्की: कौन हैं?
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, जिन्होंने 2016 से 2017 तक यह पद संभाला। उनकी स्वच्छ और भ्रष्टाचार-विरोधी छवि ने उन्हें युवाओं और जनता के बीच लोकप्रिय बनाया है। कार्की ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और 1979 में वकालत शुरू की। उनकी गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि और निष्पक्ष छवि उन्हें इस संकट के समय में एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
भारत से खास नाता
सुशीला कार्की का भारत से गहरा संबंध है। उन्होंने वाराणसी के BHU से पढ़ाई की है और एक साक्षात्कार में उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा था, “मैं मोदी जी को नमस्कार करती हूं। मेरी उनके बारे में बहुत अच्छी धारणा है।” उनकी यह टिप्पणी भारत-नेपाल संबंधों के संदर्भ में भी चर्चा में रही है।
संसद विघटन पर अभी भी असमंजस
हालांकि सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बन गई है, लेकिन संसद के विघटन को लेकर अब भी कुछ असमंजस बरकरार है। Gen-Z प्रदर्शनकारी संसद भंग करने की मांग कर रहे हैं, ताकि नई अंतरिम कैबिनेट का गठन हो सके। ‘We Nepali’ ग्रुप के नेता सुदन गुरुंग ने कहा, “हम सुशीला कार्की का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार हैं, लेकिन हमारी मूल मांग संसद का विघटन है।” दूसरी ओर, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल 2015 के संविधान के दायरे में समाधान निकालने पर जोर दे रहे हैं।
काठमांडू में तनाव, सेना तैनात
राजधानी काठमांडू में सेना की भारी तैनाती और कर्फ्यू के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। सुबह 7 से 11 बजे और शाम 5 से 7 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी जा रही है, लेकिन हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत और 1,300 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। भारत-नेपाल सीमा पर सैकड़ों ट्रक फंसे होने से पेट्रोल-डीजल की किल्लत बढ़ गई है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
बालेन शाह का समर्थन
काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन) ने भी सुशीला कार्की के नाम का समर्थन किया है। सूत्रों का कहना है कि बालेन शाह स्वयं भविष्य में चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं, इसलिए उन्होंने अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए कार्की का समर्थन किया।
संवैधानिक चुनौती
सुशीला कार्की के सामने सबसे बड़ी चुनौती संवैधानिक अड़चन है। नेपाल का संविधान सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को न्यायपालिका के अलावा अन्य पद लेने से रोकता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि कार्की को संसद के उच्च सदन में नामित करके इस अड़चन को दूर किया जा सकता है।
आगे क्या?
राष्ट्रपति पौडेल ने शांति की अपील की है और कहा है कि वह संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह नेपाल के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण होगा। उनकी नियुक्ति से न केवल राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद है, बल्कि यह भी माना जा रहा है कि वह भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ युवाओं की मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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