आजम खान से मुलाकात को लेकर सपा ने बदला कार्यक्रम: अखिलेश यादव बरेली एयरपोर्ट से सिर्फ चेंजओवर करेंगे, रामपुर पहुंचे पूर्व मंत्री के घर
रामपुर/बरेली, 8 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अहम मोड़ आ गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज रामपुर पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान से करीब तीन साल बाद पहली आमने-सामने मुलाकात की। जेल से रिहा हुए आजम खान के साथ यह मुलाकात सपा के आंतरिक एकजुटता का संकेत मानी जा रही है, लेकिन इसके लिए सपा को अपना कार्यक्रम आखिरी पल में बदलना पड़ा। लखनऊ से चार्टर्ड प्लेन से बरेली एयरपोर्ट पहुंचे अखिलेश ने वहां सिर्फ चेंजओवर किया और हेलीकॉप्टर से सीधे रामपुर रवाना हो गए। प्रशासनिक पेंचों और सुरक्षा इंतजामों के बीच यह दौरा सुर्खियों में छाया रहा।
कार्यक्रम में बदलाव: बरेली से सड़क मार्ग की बजाय हेलीकॉप्टर का सहारा
सपा ने मूल रूप से अखिलेश यादव का कार्यक्रम लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट से सुबह 10:30 बजे चार्टर्ड प्लेन से बरेली पहुंचने का तय किया था। वहां से सड़क मार्ग से रामपुर जाते हुए आजम खान से दोपहर 12:30 बजे मुलाकात करनी थी। मुलाकात के बाद दोपहर 1:30 बजे रामपुर से बरेली लौटकर 2:30 बजे लखनऊ के लिए रवाना होने का प्लान था। लेकिन रूट को लेकर सपा और प्रशासन के बीच गतिरोध पैदा हो गया।
प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अखिलेश को बरेली के बजाय मुरादाबाद एयरपोर्ट पर उतरने का सुझाव दिया। बरेली में हाल के पुलिस लाठीचार्ज की घटना के बाद तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए यह फैसला लिया गया। सपा ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए विरोध जताया, लेकिन अंततः कार्यक्रम संशोधित कर लिया गया। अब अखिलेश बरेली एयरपोर्ट पर सिर्फ चेंजओवर के लिए रुके—वहां सांसद नीरज मौर्य, दो विधायक और बरेली के दो जिला सपा अध्यक्षों ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट पर केवल पांच सपा नेताओं को प्रवेश की अनुमति मिली। इसके बाद अखिलेश हेलीकॉप्टर से रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय के हेलीपैड पर लैंड हुए।
आजम खान की शर्त: ‘सिर्फ अखिलेश से मिलूंगा, किसी और से नहीं’
मुलाकात से पहले ही आजम खान ने अपनी शर्त रख दी थी, जो सपा के लिए सिरदर्द बनी। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में आजम ने साफ कहा, “मैं केवल सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से ही मिलूंगा, किसी और से नहीं।” उन्होंने रामपुर के सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी का नाम लिए जाने पर कहा, “मैं उन्हें जानता तक नहीं हूं। उनसे मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई।” आजम के इस बयान ने पार्टी में खलबली मचा दी, क्योंकि अखिलेश के साथ नदवी के जाने की चर्चा थी।
अंततः अखिलेश ने नदवी को बरेली में ही छोड़ दिया और अकेले रामपुर रवाना हुए। जौहर विश्वविद्यालय पहुंचते ही आजम खान ने उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का हाथ थामा और एक ही गाड़ी में सवार होकर आजम के आवास पर पहुंचे। मुलाकात लगभग एक घंटे चली, जिसमें कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं था। सपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस दौरान पार्टी की आंतरिक रणनीति, गिले-शिकवे दूर करने और आजम की सेहत पर चर्चा हुई।
पृष्ठभूमि: 23 महीने की जेल यात्रा के बाद पहली मुलाकात
आजम खान, जो सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे, पिछले 23 महीनों से सीतापुर जेल में बंद थे। विभिन्न आपराधिक मामलों में जमानत मिलने के बाद 23 सितंबर 2025 को वे रिहा हुए। जेल से बाहर आते ही सपा का कोई बड़ा नेता उनसे मिलने नहीं पहुंचा, जिससे अटकलें तेज हो गईं। आजम ने कई तीखे बयान दिए—एक बार तो खुद को “बकरी चोर-भैंस चोर” तक कह डाला, जो सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना।
इस मुलाकात को सपा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रामपुर में आजम की मजबूत पकड़ है, खासकर मुस्लिम वोट बैंक में। बसपा सुप्रीमो मायावती की आज होने वाली रैली से ठीक पहले यह दौरा विपक्षी एकता का संदेश देता है। सपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे पार्टी में एकजुटता मजबूत होगी और आगामी रणनीतियों पर असर पड़ेगा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम: प्रशासन सतर्क, मीडिया को रोका गया
अखिलेश के दौरे को लेकर बरेली और रामपुर प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए। बरेली एयरपोर्ट पर भारी पुलिस बल तैनात रहा, जबकि रामपुर में तीन मजिस्ट्रेट और सीओ स्तर के अधिकारी लगाए गए। आजम के आवास पर मीडिया को अंदर जाने से रोका गया। सपा कार्यकर्ताओं को भी सख्ती बरती गई—एक जिला उपाध्यक्ष को एयरपोर्ट गेट से ही लौटा दिया गया। विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया, लेकिन प्रशासन ने कहा कि यह सुरक्षा के लिए जरूरी था।
सियासी निहितार्थ: क्या बदलेगा सपा का समीकरण?
यह मुलाकात सपा के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है। आजम खान की वापसी से पार्टी को रोहिलखंड क्षेत्र में मजबूती मिलेगी, लेकिन उनके विवादास्पद बयानों से नुकसान भी हो सकता है। अखिलेश ने मुलाकात के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सपा पदाधिकारी रामपुर कार्यालय विवाद और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की पुष्टि कर रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने इसे “पुरानी रंजिशों का नाटक” बताते हुए तंज कसा है।
कुल मिलाकर, आज का यह दौरा न सिर्फ सपा के दो दिग्गजों की सुलह का प्रतीक है, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासत में नई बहस को जन्म देगा। क्या यह मुलाकात सपा को मजबूत बनाएगी या नई चुनौतियां खड़ी करेगी—समय ही बताएगा।
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