उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप कांड (2017) की पीड़िता एक बार फिर न्याय व्यवस्था से मिले झटके से पूरी तरह टूट गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2025 को भाजपा के निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया और सशर्त जमानत दे दी। इस फैसले से आहत पीड़िता ने कोर्ट में ही खुदकुशी करने की इच्छा जता दी और कहा कि उनका दर्द कोई नहीं समझ रहा। उन्होंने इस फैसले को अपने परिवार के लिए “काल” (मौत) करार दिया है।
कोर्ट में छलका दर्द: “जज के सामने सुसाइड कर लेती, अगर बच्चे न होते”
- पीड़िता कोर्ट में अपनी मां के साथ मौजूद थीं, जब दोपहर करीब ढाई बजे जजमेंट सुनाया गया।
- फैसला सुनते ही वे भावुक हो गईं और रोते हुए बोलीं: “जजमेंट सुनकर बहुत दुख हुआ, मन किया कि वहीं सुसाइड कर लूं। अगर शादी न की होती और बच्चे न होते, तो जज साहब के सामने ही खुदकुशी कर लेती।”
- उन्होंने कहा, “जज साहब ने पीड़िता को देखा तक नहीं और फैसला सुना दिया। मेरा दर्द नहीं समझा गया।”
- पीड़िता ने आरोप लगाया कि यह फैसले चुनाव के करीब आने के कारण लिया गया और इसमें “सियासी साठगांठ” है। बोलीं- “आज जमानत, कल घर छीन लिया जाएगा, फिर मार दिया जाएगा।”
प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई
- फैसले के तुरंत बाद पीड़िता, उनकी मां और महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना दिल्ली के इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गईं।
- उन्होंने न्याय की गुहार लगाते हुए प्रदर्शन किया, लेकिन देर रात पुलिस ने उन्हें जबरन हटा दिया।
- पीड़िता ने कहा, “सेंगर की जमानत मेरे लिए काल है। अगर वह बाहर आएगा, तो हमें मार देगा। सुरक्षा के लिए हमें जेल में डाल दो।”
राजनीतिक मुलाकातें और मांगें
- 24 दिसंबर 2025 को पीड़िता और उनकी मां ने दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर मुलाकात की।
- मुलाकात के बाद पीड़िता भावुक हो गईं और बोलीं- “राहुल भैया ने खुद फोन करके बुलाया और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।”
- उन्होंने तीन मुख्य मांगें रखीं:
- सुप्रीम कोर्ट में मजबूत वकील की व्यवस्था।
- कांग्रेस शासित राज्य में स्थानांतरण और सुरक्षा।
- नौकरी की व्यवस्था।
- पीड़िता ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिलना चाहती हैं।
- राहुल गांधी ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और पीड़िता के साथ हुए व्यवहार को अमानवीय बताया।
केस की पृष्ठभूमि और टाइमलाइन
- 2017: नाबालिग पीड़िता ने कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया। नौकरी दिलाने के बहाने उन्हें सेंगर के घर बुलाया गया।
- परिवार पर हमले: पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत, कार एक्सीडेंट में परिवार के सदस्यों की जान गई।
- 2019: ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई। अलग केस में पिता की मौत के लिए 10 साल की सजा।
- 2025 (23 दिसंबर): दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप केस में सजा सस्पेंड की और जमानत दी (शर्तें: पीड़िता के घर से 5 किमी दूर रहना, धमकी न देना)।
- नोट: पिता की मौत के केस में जमानत न मिलने से सेंगर अभी जेल में ही रहेंगे।
- CBI ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का ऐलान किया।
परिवार का डर और सवाल
- पीड़िता की बहन ने कहा: “सेंगर बाहर आएगा तो हमारा पूरा परिवार खत्म कर देगा। गवाहों को अभी भी धमकियां मिल रही हैं।”
- पीड़िता बोलीं: “निर्भया और हाथरस की पीड़िताओं को मार दिया गया। मैं बच गई, इसलिए जिंदा रहते सजा दी जा रही है। देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी?”
- यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर बड़े सवाल उठा रहा है। पीड़िता ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगी और लड़ाई जारी रखेंगी।
यह मामला सत्ता के दुरुपयोग, पीड़ितों की सुरक्षा और न्याय में देरी की कमियों को फिर से उजागर करता है। पीड़िता और उनके परिवार को न्याय मिले, यही कामना। श्रद्धांजलि उन लोगों को जो इस लड़ाई में खो गए।


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