नई दिल्ली/ढाका/इस्लामाबाद: दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति में बड़ा उलटफेर होने की आशंका जताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट (परस्पर रक्षा समझौते) की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यह समझौता पाकिस्तान के सऊदी अरब के साथ हालिया डिफेंस पैक्ट की तर्ज पर हो सकता है, जिसमें एक देश पर हमला दूसरे पर हमला माना जाएगा। भारतीय खुफिया और कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह डील भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बन सकती है, क्योंकि इससे पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर दोहरी घेराबंदी की स्थिति बन सकती है – जिसे कुछ विशेषज्ञ ‘चक्रव्यूह’ की संज्ञा दे रहे हैं।
समझौते की तैयारी और पृष्ठभूमि
- शेख हसीना की सरकार के अगस्त 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में) और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तेजी से मजबूत हुए हैं।
- 2025 में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हुईं, जिसमें पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी चेयरमैन, नेवी चीफ और ISI प्रमुख की ढाका यात्राएं शामिल हैं।
- दोनों पक्षों ने एक जॉइंट मैकेनिज्म गठित किया है, जो समझौते का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। इसमें इंटेलिजेंस शेयरिंग, जॉइंट मिलिट्री ड्रिल्स, ट्रेनिंग और हथियारों की खरीद-बिक्री शामिल हो सकती है।
- रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह डील बांग्लादेश के फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों के बाद फाइनल हो सकती है, लेकिन पाकिस्तान इसे यूनुस सरकार के कार्यकाल में ही साइन कराने की कोशिश कर रहा है।
- कुछ सूत्रों का दावा है कि इसमें न्यूक्लियर कोऑपरेशन की संभावना भी है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ ऐसे ही संकेत दिए थे।
भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत को दो मोर्चों पर घेरने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पाकिस्तान पश्चिम से और बांग्लादेश पूर्व से दबाव बना सकता है।
- बांग्लादेश में बढ़ते भारत-विरोधी माहौल (हालिया हिंसा, हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले और शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद प्रदर्शन) ने पाकिस्तान को मौका दिया है।
- पाकिस्तान की PML-N पार्टी के युवा विंग नेता कामरान सईद उस्मानी ने खुलेआम धमकी दी है कि अगर भारत बांग्लादेश की संप्रभुता पर ‘बुरी नजर’ डालेगा, तो पाकिस्तानी सेना और मिसाइलें जवाब देंगी। उन्होंने पाक-बांग्लादेश मिलिट्री अलायंस की वकालत की।
- ISI ने ढाका में अपना स्पेशल सेल स्थापित किया है, जो भारत की पूर्वी सीमा (खासकर नॉर्थईस्ट) के लिए खतरा पैदा कर सकता है। पुराने इतिहास में पाकिस्तान ने बांग्लादेश की जमीन से पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को सपोर्ट किया था।
- रणनीतिक विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश पाकिस्तान की जेब में आ रहा है और यह भारत के लिए ‘ईस्ट पाकिस्तान’ जैसे हालात पैदा कर सकता है।
दोनों देशों के फायदे
- पाकिस्तान के लिए: भारत के खिलाफ रणनीतिक गहराई और न्यूक्लियर डिटरेंस बढ़ाना।
- बांग्लादेश के लिए: सैन्य आधुनिकीकरण, हथियार सप्लाई और क्षेत्रीय संतुलन में नई ताकत।
- पहले से ही दोनों देशों ने कई MoU साइन किए हैं, जिसमें ट्रेनिंग और डिफेंस प्रोक्योरमेंट शामिल हैं। 2025 में पाकिस्तानी जहाज बांग्लादेशी पोर्ट पर पहुंचे और जॉइंट एक्सरसाइज की चर्चा हुई।
भारत की स्थिति
भारत इस विकास पर करीब से नजर रख रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है और भारत अपनी पूर्वी सीमा पर सतर्कता बढ़ा रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में त्रिपुरा में 1971 युद्ध वाली आर्मी बटालियन की तैनाती का जिक्र है।
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