ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी 2025: H-1B वीजा रिन्यूअल में भारी देरी, सोशल मीडिया स्क्रीनिंग कारण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में इमिग्रेशन नीतियों में कड़ी सख्ती के चलते दिसंबर 2025 में हजारों भारतीय H-1B वीजा धारक भारत में फंस गए हैं। ये ज्यादातर टेक प्रोफेशनल्स छुट्टियां मनाने या फैमिली विजिट के लिए भारत आए थे और वीजा स्टैंपिंग (रिन्यूअल) कराकर वापस लौटने की योजना बना रहे थे। लेकिन अमेरिकी दूतावासों द्वारा अचानक अपॉइंटमेंट्स कैंसल होने से वे अमेरिका नहीं लौट पा रहे, जिससे उनकी नौकरियां और फैमिली लाइफ पर गंभीर संकट आ गया है।
भारतीय H-1B वीजा होल्डर्स कुल का 70-75% हैं, इसलिए यह संकट मुख्य रूप से भारतीयों को ही प्रभावित कर रहा है। USCIS की अप्रैल 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत H-1B प्रोग्राम का सबसे बड़ा लाभार्थी है।
मुख्य कारण: सोशल मीडिया वेटिंग और अपॉइंटमेंट कैंसिलेशन
ट्रंप प्रशासन ने 15 दिसंबर 2025 से H-1B और H-4 वीजा एप्लिकेंट्स के लिए एक्सपैंडेड सोशल मीडिया स्क्रीनिंग शुरू की। इसमें एप्लिकेंट्स को पिछले 5 साल के सोशल मीडिया अकाउंट्स पब्लिक सेट करने और गहन जांच कराने पड़ रहे हैं। इससे प्रोसेसिंग टाइम बढ़ गया और स्टाफ की कमी के कारण भारत में अमेरिकी कांसुलेट्स (चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई आदि) ने दिसंबर 15 से 26 के बीच की हजारों अपॉइंटमेंट्स अचानक कैंसल कर दीं।
- कैंसलेशन का पैमाना: दिसंबर मिड से लेट तक की अपॉइंटमेंट्स रद्द, कुछ मामलों में दो बार री-शेड्यूल (पहले मार्च-अप्रैल 2026, फिर अक्टूबर 2026 या 2027 तक)।
- प्रभावित लोग: सैकड़ों से हजारों भारतीय टेक वर्कर्स (उम्र 30-40 साल), जो हॉलिडे सीजन में भारत आए थे।
- स्टेट डिपार्टमेंट का बयान: अब प्राथमिकता “तेज प्रोसेसिंग” से बदलकर “गहन वेटिंग” पर है, ताकि नेशनल सिक्योरिटी सुनिश्चित हो।
इमिग्रेशन अटॉर्नी इसे “सबसे बड़ा मेस” बता रहे हैं। कई केस में अपॉइंटमेंट्स 10-12 महीने आगे टाल दी गईं।
कंपनियों की चेतावनी और प्रभाव
बड़ी टेक कंपनियां जैसे गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, मेटा और सर्विसनाउ ने अपने H-1B कर्मचारियों को ईमेल भेजकर विदेश यात्रा न करने की सलाह दी है। वजह: वापसी में 12 महीने तक की देरी का खतरा। कुछ कंपनियां प्रभावित कर्मचारियों को जल्द वापस लाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन देरी से प्रोजेक्ट्स प्रभावित हो रहे हैं।
- जॉब लॉस का खतरा: लंबी अनुपस्थिति से एम्प्लॉयर्स रिप्लेसमेंट ढूंढ रहे हैं।
- फैमिली सेपरेशन: बच्चे अमेरिका में स्कूल जा रहे हैं, पेरेंट्स भारत में फंसे।
- मानसिक तनाव: फैमिली इमरजेंसी, वेडिंग आदि में शामिल होने आए लोग अब अनिश्चितता में हैं।
ट्रंप की अन्य H-1B नीतियां जो बैकग्राउंड हैं
यह संकट अचानक नहीं है। 2025 में ट्रंप प्रशासन ने H-1B पर कई सख्त कदम उठाए:
- सितंबर 2025: नए H-1B पिटिशन्स पर $100,000 (लगभग 91 लाख रुपये) अतिरिक्त फीस लगाई। बाद में क्लैरिफाई किया कि मौजूदा होल्डर्स पर नहीं लागू, लेकिन नई हायरिंग महंगी हो गई।
- अक्टूबर 2025: H-4 वीजा होल्डर्स (ज्यादातर भारतीय महिलाएं) के लिए ऑटोमैटिक वर्क परमिट एक्सटेंशन खत्म।
- थर्ड-पार्टी प्लेसमेंट पर रोक, हाई वेज प्राथमिकता, कैप एग्जेम्प्शन रिव्यू आदि।
- ट्रंप का तर्क: H-1B का दुरुपयोग हो रहा, अमेरिकी वर्कर्स की नौकरियां छीनी जा रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे US टेक इंडस्ट्री को टैलेंट की कमी हो सकती है, क्योंकि टॉप H-1B स्पॉन्सर्स में अमेजन, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां हैं।
लंबी अवधि के प्रभाव
- नए प्रोफेशनल्स के लिए मुश्किल: अमेरिका जाना कठिन, कई कनाडा, यूके, यूरोप या ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख कर रहे।
- ग्रीन कार्ड बैकलॉग: भारतीयों के लिए दशकों का इंतजार, बच्चों का स्टेटस 21 साल में एक्सपायर।
- इकोनॉमिक इम्पैक्ट: स्किल्ड इमिग्रेंट्स US इकोनॉमी को बूस्ट देते हैं, लेकिन पॉलिसी से अनिश्चितता बढ़ रही।
दिसंबर 2025 का यह संकट “अमेरिका फर्स्ट” पॉलिसी का हिस्सा है, जो स्किल्ड इमिग्रेशन को भी टारगेट कर रही है। फिलहाल कोई जल्द समाधान नहीं दिख रहा, और प्रभावित लोग इमिग्रेशन अटॉर्नी से सलाह ले रहे हैं। यदि आप H-1B होल्डर हैं, तो यात्रा से पहले अपडेट चेक करें।
अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया इसे शेयर करें


More Stories
सुबह 7 बजे का खौफनाक धमाका… रूसी जनरल की मौत का रहस्य! क्या ये जंग का सबसे खतरनाक मोड़ है?
दिल्ली में EV क्रांति की उल्टी गिनती शुरू… 35-40 हज़ार की सब्सिडी के साथ क्या छुपा है नया ट्विस्ट?
रुपये पर दबाव: RBI ने क्यों बेचे 11.88 अरब डॉलर, फिर भी क्यों नहीं रुक रहा गिरावट का सिलसिला?