बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में 18-19 दिसंबर को हुई हिंदू युवक दीपू चंद्र दास (25-27 वर्षीय गारमेंट फैक्ट्री वर्कर) की भीड़ द्वारा बर्बर हत्या ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को नई ऊंचाई दे दी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इसे ‘बिच्छिन्न (isolated) घटना’ बताते हुए भारत की अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की चिंता को सिरे से खारिज कर दिया। भारत ने इसे ‘भयानक हत्या’ करार देते हुए दोषियों को सजा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है।


घटना का पूरा विवरण:
- क्या हुआ? भालुका उपजिला के दुबलिया पारा इलाके में दीपू चंद्र दास को कथित रूप से पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने (ब्लास्फेमी) के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद शव को पेड़ से लटकाकर केरोसिन डालकर आग लगा दी गई। दर्जनों लोग कथित तौर पर इस दृश्य का ‘जश्न’ मनाते देखे गए।
- जांच के नतीजे: रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कमांडर के अनुसार, दीपू द्वारा फेसबुक पर कोई धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली पोस्ट का कोई सबूत नहीं मिला। निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने दीपू को हिरासत में लिया था, लेकिन फिर भी भीड़ के हवाले कर दिया।
- पिता का बयान: दीपू के पिता रविलाल दास ने कहा कि परिवार को सोशल मीडिया से घटना का पता चला। “भीड़ ने उसे पेड़ से बांधकर जला दिया, जले हुए धड़ और सिर को बाहर बांध दिया गया – भयानक था।”
- गिरफ्तारियां: अंतरिम सरकार ने 7 से बढ़ाकर 10-12 लोगों को गिरफ्तार किया है। चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस ने घटना की निंदा की और कहा कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।


कूटनीतिक विवाद:
- भारत का स्टैंड: MEA ने 20 दिसंबर को नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर हुए छोटे प्रदर्शन (20-25 युवक) को शांतिपूर्ण बताया। प्रदर्शनकारी दीपू की हत्या और अल्पसंख्यक सुरक्षा की मांग कर रहे थे। भारत ने बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स को ‘भ्रामक प्रोपेगैंडा’ कहा और अल्पसंख्यकों पर हमलों की गहरी चिंता जताई।
- बांग्लादेश का जवाब (21 दिसंबर): विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा –
- यह एक बांग्लादेशी नागरिक (जो संयोग से हिंदू है) पर ‘बिच्छिन्न हमला’ है; इसे अल्पसंख्यकों पर पैटर्न दिखाने की कोशिश खारिज।
- बांग्लादेश में अंतर-सामुदायिक स्थिति दक्षिण एशिया के कई हिस्सों से बेहतर।
- दिल्ली में प्रदर्शन को ‘अस्वीकार्य और अत्यधिक खेदजनक’ बताया; पूछा कि सुरक्षित डिप्लोमैटिक जोन में ‘हिंदू उग्रवादी’ कैसे पहुंचे।
- MEA के बयान को ‘अत्यधिक सरलीकृत’ कहा।
- प्रदर्शन की तस्वीरें: छोटा समूह, कोई बाड़ तोड़ने की कोशिश नहीं।




व्यापक संदर्भ: हसीना के बाद अल्पसंख्यकों पर हमले
- अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हिंदुओं पर हमलों में भारी बढ़ोतरी।
- बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के अनुसार: अगस्त 2024 से अब तक 2,000+ से 2,442 हमले, कई हत्याएं, मंदिरों पर अटैक।
- नवंबर 2024-जनवरी 2025 के बीच ही 76 घटनाएं (भारतीय संसद में बताया गया)।
- यह घटना रेडिकल लीडर शरीफ ओसमान हादी की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों के बीच हुई, जिससे तनाव बढ़ा।
- अल्पसंख्यक संगठन और भारत इसे ‘पैटर्न’ बता रहे हैं, जबकि यूनुस सरकार इसे आंतरिक मामला और बिच्छिन्न घटनाएं कहती है।
यह मामला दोनों देशों के रिश्तों में नया दरार पैदा कर रहा है। अंतरिम सरकार ने हिंसा रोकने के वादे किए हैं, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय में डर बना हुआ है। स्थिति विकसित हो रही है – लेटेस्ट अपडेट के लिए नजर रखें।
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