कल सुबह 06:26 बजे से शुरू होगा गोवर्धन पूजा का उत्तम मुहूर्त
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2025: दीपावली के पंच पर्व के चौथे दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा इस बार 22 अक्टूबर, बुधवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की पौराणिक कथा से प्रेरित है और इसे प्रकृति पूजा, गौ माता की आराधना तथा अन्नकूट महोत्सव के रूप में जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, जिस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, की शुरुआत 21 अक्टूबर की शाम 05:54 बजे से हो चुकी है। यह तिथि 22 अक्टूबर की रात 08:16 बजे तक रहेगी।
शुभ मुहूर्त का समय
पूजा के शुभ मुहूर्त में आराधना करने से भक्तों को समृद्धि और दैवीय संरक्षण की प्राप्ति होती है। ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वर्ष गोवर्धन पूजा हेतु तीन शुभ मुहूर्त निर्धारित हैं:
- सबसे उत्तम मुहूर्त: सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक (प्रातःकाल)
- अन्य शुभ मुहूर्त: दोपहर 03:29 बजे से शाम 05:44 बजे तक (सायंकाल)
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:44 बजे से 06:10 बजे तक
गृहस्थ जीवन यापन करने वाले भक्तों के लिए प्रातःकालीन मुहूर्त को विशेष रूप से फलदायी माना गया है, क्योंकि यह समय सूर्योदय के निकट होता है।
गोवर्धन पूजा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक ऐसा अनूठा पर्व है, जो पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता भाव को दर्शाता है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देवता की पूजा के स्थान पर गोवर्धन पर्वत और गौ माता की पूजा करने का संदेश दिया था। इससे क्रोधित इंद्र देव ने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी ब्रजवासियों की सात दिन तक रक्षा की। इसी घटना की याद में यह पूजा की जाती है।
यह पर्व विशेष तौर पर उत्तर भारत, गुजरात, राजस्थान और ब्रज क्षेत्र (मथुरा-वृंदावन) में अत्यंत उल्लास के साथ मनाया जाता है। ब्रज में गोवर्धन पर्वत की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा लाखों श्रद्धालुओं द्वारा लगाई जाती है। इस अवसर पर ‘अन्नकूट’ महोत्सव के तहत मंदिरों में 56 प्रकार के शाकाहारी व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, जो अन्न की प्रचुरता और समृद्धि का प्रतीक है।
सरल पूजन विधि: चरणबद्ध मार्गदर्शिका
भक्त निम्नलिखित सरल चरणों का पालन करके गोवर्धन पूजा संपन्न कर सकते हैं:
- संकल्प एवं शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गाय-बछड़ों को स्नान कराकर रंग-गेरू आदि से सजाएं।
- गोवर्धन प्रतिमा निर्माण: घर के आंगन या पूजा स्थल पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इसके चारों ओर छोटे-छोटे गाय, बछड़े, ग्वाले-गोपियों की मूर्तियां स्थापित करें।
- पूजन सामग्री: 56 प्रकार के पकवान (अन्नकूट), दूध, दही, घी, फल-फूल, पान-सुपारी, चंदन, धूप-दीप, अगरबत्ती, सिंदूर, कुमकुम, तुलसी दल और जल तैयार रखें। साथ ही भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र भी स्थापित करें।
- आराधना एवं परिक्रमा: शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा की परिक्रमा करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते हुए धूप-दीप दिखाएं और आरती उतारें।
- भोग अर्पण एवं दान: सभी 56 भोग भगवान को अर्पित करें। शाम को सामूहिक भंडारे का आयोजन करें और गरीबों को अन्न का दान दें।
यदि घर में गाय नहीं है, तो केवल गोबर से निर्मित गोवर्धन प्रतिमा की पूजा करना भी शुभफलदायी माना गया है।
विशेष उपाय एवं ध्यान रखने योग्य बातें
- शुभ उपाय: पूजा के पश्चात गाय को रोटी व गुड़ खिलाएं। गरीबों एवं जरूरतमंदों को अन्न दान करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- सावधानियां: इस दिन पूर्णतः शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करें। मांसाहार और मदिरा सेवन से पूरी तरह दूर रहें। पूजा के समय मन में सकारात्मक विचार रखें।
- महिलाओं के लिए: विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कर सकती हैं।
देशभर के मंदिरों, विशेषकर मथुरा-वृंदावन में इस अवसर पर विशाल आयोजन किए जाएंगे, जहाँ अन्नकूट के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। यह पर्व न केवल आस्था, बल्कि पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी देता है।
(सभी समय भारतीय मानक समय के अनुसार हैं। स्थानीय पंचांग से सत्यापित करें।)
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