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रूस-यूक्रेन युद्ध: ट्रंप ने जेलेंस्की को दोहराया पुतिन का संदेश – ‘शर्तें मानो, वरना तबाह हो जाएगा यूक्रेन’

वॉशिंगटन, 20 अक्टूबर 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को कड़ा संदेश दिया है। व्हाइट हाउस में हुई तनावपूर्ण बैठक में ट्रंप ने जेलेंस्की को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शर्तें मानने का दबाव डाला, अन्यथा यूक्रेन को “तबाह” होने की चेतावनी दी। यह घटना रूस-यूक्रेन युद्ध के 1,300 दिनों से अधिक चले संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहां ट्रंप ने पुतिन के साथ अपनी हालिया फोन वार्ता के बाद यूक्रेन की मांगों को ठुकरा दिया। ट्रंप ने कहा, “अगर पुतिन चाहें, तो वे तुम्हें नष्ट कर देंगे।” यह बयान पुतिन की धमकी को ही दोहराता नजर आता है, जिसने ट्रंप को फोन पर यूक्रेन से डोनबास क्षेत्र छोड़ने की मांग की थी।

घटना का बैकग्राउंड: ट्रंप-पुतिन की फोन वार्ता से शुरू हुई तनाव की चेन

यह सब 16 अक्टूबर को शुरू हुआ, जब ट्रंप और पुतिन के बीच लगभग ढाई घंटे की फोन वार्ता हुई। रूसी अधिकारियों के अनुसार, यह बातचीत “सकारात्मक और उत्पादक” रही। पुतिन ने ट्रंप को एक नया प्रस्ताव दिया: यूक्रेन को डोनबास (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) क्षेत्र के अपने नियंत्रण वाले हिस्से रूस को सौंपने होंगे, बदले में रूस खेरसॉन और जापोरिज्जिया के कुछ छोटे इलाकों को यूक्रेन को लौटा सकता है। पुतिन ने चेतावनी दी कि अगर यूक्रेन ने इन शर्तों को न माना, तो रूस “रेड लाइन” पार करने पर मजबूर हो जाएगा, जिसमें लंबी दूरी की अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों का यूक्रेन को मिलना भी शामिल है।

ट्रंप ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 17 अक्टूबर को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में पुतिन से मिलने की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मैं पुतिन से जल्द मिलूंगा, और हम इस युद्ध को खत्म करने का रास्ता निकालेंगे।” लेकिन इसी दिन जेलेंस्की वॉशिंगटन पहुंचे, जहां उन्होंने ट्रंप से टॉमहॉक मिसाइलों की मांग की, जो रूसी क्षेत्र में गहरी घुसपैठ की क्षमता रखती हैं। जेलेंस्की का तर्क था कि ये मिसाइलें पुतिन को वार्ता की मेज पर ला सकती हैं।

व्हाइट हाउस में तीखी बहस: नक्शे फेंके, गालियां दीं, सरेंडर की धमकी

18 अक्टूबर को व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में हुई बैठक दो घंटे से अधिक चली, लेकिन यह “बहस” में बदल गई। फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने जेलेंस्की द्वारा पेश किए गए यूक्रेनी फ्रंटलाइन के नक्शों को एक तरफ फेंक दिया और कहा, “यह लाल रेखा कहां है? मैं कभी वहां गया ही नहीं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन को पूरा डोनबास क्षेत्र रूस को सौंप देना चाहिए। ट्रंप ने पुतिन के तर्कों को दोहराया: “यह विशेष अभियान है, युद्ध नहीं। रूस की अर्थव्यवस्था मजबूत है, और यूक्रेन हार रहा है।”

यूरोपीय अधिकारियों के हवाले से एफटी ने बताया कि ट्रंप ने चिल्लाते हुए कहा, “अगर पुतिन चाहें, तो वे तुम्हें नष्ट कर देंगे।” बैठक इतनी गरम हो गई कि ट्रंप ने गालियां भी दीं। जेलेंस्की ने इन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “डोनबास यूक्रेन का अभिन्न हिस्सा है। हम रूस को एक इंच भी नहीं देंगे।” बैठक के बाद ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया: “बहुत खून बह चुका है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी रेखाओं पर रुक जाएं। इतिहास फैसला करेगा।” लेकिन जेलेंस्की ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा, “ट्रंप सही कह रहे हैं कि रुकना चाहिए, लेकिन पुतिन को दबाव डालना होगा। हमने यह युद्ध शुरू नहीं किया।”

ट्रंप ने टॉमहॉक मिसाइलों की मांग भी ठुकरा दी। उन्होंने कहा, “हमारे पास बहुत सारी मिसाइलें हैं, लेकिन हमें खुद की जरूरत है। युद्ध खत्म हो जाए, तो बेहतर।” उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी कहा कि अमेरिका को अपनी सैन्य जरूरतों का ध्यान रखना है।

दो झटके: क्षेत्रीय समझौता और हथियारों पर रोक

ट्रंप के इस रुख ने जेलेंस्की को दो बड़े झटके दिए:

  1. क्षेत्रीय समझौता: ट्रंप ने स्पष्ट संकेत दिया कि शांति समझौते में यूक्रेन को 2022 से रूस के कब्जे वाले 20% क्षेत्र (डोनबास, खेरसॉन, जापोरिज्जिया और क्रीमिया के हिस्से) छोड़ने पड़ सकते हैं। उन्होंने फॉक्स न्यूज को बताया, “पुतिन कुछ तो लेगा। उन्होंने संपत्ति जीत ली है।” यह यूक्रेन की “विजय योजना” के खिलाफ है, जिसमें सभी खोए क्षेत्र वापस लेना शामिल है।
  2. हथियारों पर रोक: जेलेंस्की की टॉमहॉक मिसाइलों की मांग असफल रही। ट्रंप ने कहा कि यह “एस्केलेशन” होगा, जो अमेरिका-रूस संबंधों को बिगाड़ सकता है। यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्री सिबिहा ने एक्स पर लिखा, “ताकत ही शांति लाती है। हमें और मजबूत हथियार चाहिए।”

जेलेंस्की का जवाब: ‘हम झुकेंगे नहीं, लेकिन शांति चाहते हैं’

बैठक के बाद जेलेंस्की ने संवाददाताओं से कहा, “ट्रंप के पास युद्ध खत्म करने का बड़ा मौका है।” उन्होंने गाजा में ट्रंप के सीजफायर की तारीफ की, लेकिन जोर दिया कि यूक्रेन रूस के आगे सरेंडर नहीं करेगा। जेलेंस्की ने कहा, “पुतिन डरता है कि हम टॉमहॉक मिसाइलें पा लें। मैं यथार्थवादी हूं, लेकिन लड़ेंगे।” यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमले जारी रखे, जिसमें 14 रूसी शहर प्रभावित हुए।

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कलास ने कहा, “ट्रंप की कोशिशें स्वागतयोग्य हैं, लेकिन पुतिन को यूरोपीय देशों में घूमने देना ठीक नहीं।” यूरोपीय नेता चिंतित हैं कि ट्रंप का झुकाव रूस की ओर यूक्रेन को कमजोर कर सकता है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं: यूरोप चिंतित, भारत का रुख तटस्थ

  • यूरोप: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा, “रूस आक्रामक है, यूक्रेन पीड़ित।” ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर ने ट्रंप से अपील की कि वे यूक्रेन का साथ दें।
  • भारत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा सीजफायर की तारीफ की, लेकिन यूक्रेन पर चुप्पी साधी। एक्स पर कुछ यूजर्स ने ट्रंप के दबाव में भारत के “सरेंडर” का जिक्र किया, लेकिन आधिकारिक तौर पर भारत तटस्थ है।
  • रूस: पुतिन ने ट्रंप की योजना का स्वागत किया, लेकिन कहा कि “डोनबास रूसी है।”

आगे क्या? बुडापेस्ट में त्रिपक्षीय बैठक की संभावना

ट्रंप ने कहा कि वे पुतिन-जेलेंस्की को आमने-सामने लाने की कोशिश करेंगे। जेलेंस्की ने कहा, “अगर आमंत्रित किया गया, तो बुडापेस्ट जाऊंगा।” लेकिन डोनबास पर असहमति बनी हुई है, जो यूक्रेन के लिए “लाल रेखा” है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह रुख गाजा सफलता के बाद उनकी “पीस ब्रोकर” छवि को मजबूत कर सकता है, लेकिन यूक्रेन को कमजोर भी।

यह युद्ध, जो 2022 में शुरू हुआ, अब आर्थिक और मानवीय संकट का रूप ले चुका है। यूक्रेन ने 90,000 से अधिक सैनिक खोए हैं, जबकि रूस की अर्थव्यवस्था प्रतिबंधों के बावजूद मजबूत बनी हुई है। ट्रंप का यह “दोहरा झटका” जेलेंस्की के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यूक्रेन का संकल्प अटल नजर आता है। क्या बुडापेस्ट शांति लाएगा, या युद्ध लंबा खिंचेगा? दुनिया देख रही है।

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