जग खबर

जग खबर एक प्रमुख हिंदी समाचार वेबसाइट है, जो देश-विदेश की ताज़ा खबरों, राजनीति, मनोरंजन, खेल, व्यापार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक मुद्दों पर समग्र कवरेज प्रदान करती है। हमारा उद्देश्य पाठकों तक सटीक, निष्पक्ष और तेज़ खबरें पहुँचाना है, जिससे वे हर महत्वपूर्ण घटना से अपडेट रह सकें।

अयोध्या दीपोत्सव 2025: 26 लाख से अधिक दीयों की रोशनी से रचा इतिहास, दो गिनीज विश्व रिकॉर्ड स्थापित

अयोध्या, 20 अक्टूबर 2025: राम की नगरी अयोध्या ने दीपावली की पूर्व संध्या पर रविवार को अपने नौवें दीपोत्सव में एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को चमकाया। सरयू नदी के तट पर 26,17,215 मिट्टी के दीये प्रज्ज्वलित किए गए, जिसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में ‘सबसे बड़ा तेल के दीयों का प्रदर्शन’ (Largest Display of Oil Lamps) के रूप में नया कीर्तिमान स्थापित किया। इसके साथ ही, एक अन्य रिकॉर्ड भी बना—सबसे अधिक लोगों द्वारा एक साथ ‘दिया रोटेशन’ (दीया घुमाना)। यह भव्य आयोजन भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति को जीवंत करता है, जो प्रकाश की अंधकार पर विजय का प्रतीक है। इस उत्सव ने न केवल अयोध्या को नक्षत्रों से जगमगाती नगरी बनाया, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के दिलों में आस्था की ज्योति भी प्रज्ज्वलित की।

भव्य आयोजन की पृष्ठभूमि और महत्व

अयोध्या का दीपोत्सव 2017 से आयोजित हो रहा है, जब से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसकी शुरुआत की थी। यह आयोजन तब से हर साल भव्यता और संख्या के मामले में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 2023 में 22 लाख और 2024 में 25,11,555 दीये जलाए गए थे, लेकिन 2025 का दीपोत्सव अब तक का सबसे बड़ा रहा। इस बार का लक्ष्य 25 लाख दीये जलाने का था, लेकिन स्वयंसेवकों और आयोजकों की मेहनत ने इसे पार करते हुए 26 लाख से अधिक दीयों का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक पर्यवेक्षक रिचर्ड स्टेनिंग ने ड्रोन और मैनुअल गणना के माध्यम से इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, “यह एक अद्भुत दृश्य है। 26,17,215 दीये प्रज्ज्वलित हुए, जो विश्व रिकॉर्ड है। इसके अलावा, 2,128 पुजारियों द्वारा सरयू आरती का सामूहिक प्रदर्शन भी एक नया रिकॉर्ड है।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम की पैड़ी पर सरयू मां की महाआरती की और गिनीज प्रमाण-पत्र प्राप्त करते हुए कहा, “अयोध्या का दीपोत्सव हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। यह उत्सव भगवान राम की स्मृति को जीवंत करता है, जो सत्य, धर्म और प्रकाश की विजय का संदेश देता है।” उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि अयोध्या को फैजाबाद बनाने की साजिशें नाकाम रहीं, और अब यह नगरी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान (22 जनवरी 2025) के बाद वैश्विक आध्यात्मिक और पर्यटन केंद्र बन चुकी है।

तैयारियों का भव्य पैमाना

इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए तैयारियां कई हफ्तों पहले शुरू हो गई थीं। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, अयोध्या जिला प्रशासन, राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर इसे संभव बनाया। करीब 32,000 स्वयंसेवकों, जिनमें छात्र, स्थानीय निवासी, और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे, ने दीयों की व्यवस्था, तेल भरने, और सजावट का कार्य किया। राम की पैड़ी और सरयू के 56 घाटों पर दीयों को सटीक पैटर्न में सजाया गया, जिसमें ‘स्वास्तिक’, ‘श्री राम’, और अन्य शुभ चिह्न बनाए गए। स्वास्तिक के लिए 80,000 दीये विशेष रूप से व्यवस्थित किए गए, जो हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।

सुरक्षा और व्यवस्था के लिए 5,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया, जबकि ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई। दीयों को जलाने के लिए पर्यावरण-अनुकूल तेल का उपयोग किया गया, और बायोडिग्रेडेबल दीयों को प्राथमिकता दी गई ताकि सरयू नदी का पर्यावरण संरक्षित रहे। आयोजन स्थल पर स्वच्छता के लिए विशेष टीमें तैनात थीं, जिन्होंने आयोजन के बाद सफाई सुनिश्चित की।

सांस्कृतिक और तकनीकी भव्यता

दीपोत्सव केवल दीयों तक सीमित नहीं रहा। रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर आधारित 12 भव्य झांकियां प्रदर्शित की गईं, जिनमें भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, और हनुमान के चरित्रों को जीवंत किया गया। भारत के विभिन्न राज्यों और इंडोनेशिया, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका, और मलेशिया जैसे पांच देशों के कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया, जो सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बना। लेजर शो, आतिशबाजी, और 500 ड्रोनों द्वारा निर्मित ड्रोन शो ने आकाश को रंग-बिरंगी छटा से सजा दिया। ड्रोन शो में राम मंदिर, सरयू नदी, और ‘जय श्री राम’ जैसे चित्र उकेरे गए, जिन्हें देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

वेदपाठी विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ सरयू आरती को और भी दिव्य बनाया। 2,128 पुजारियों ने एक साथ आरती की, जो गिनीज रिकॉर्ड में ‘सबसे बड़ा सामूहिक आरती प्रदर्शन’ के रूप में दर्ज हुआ। संगीतमय भक्ति भजनों और पारंपरिक नृत्यों ने माहौल को और उत्साहपूर्ण बनाया।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों का उत्साह

लगभग 26 लाख श्रद्धालु और पर्यटक इस आयोजन का हिस्सा बने। इनमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ देश-विदेश से आए लोग शामिल थे। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है, और दीपोत्सव ने इसे और बढ़ावा दिया। विदेशी पर्यटकों ने इसे “जीवन में एक बार देखने योग्य अनुभव” बताया। एक स्थानीय निवासी, राम प्रसाद ने कहा, “जब दीये जलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। यह राम के स्वागत का उत्सव है।”

पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव

दीपोत्सव ने न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी छोड़ा। स्थानीय कुम्हारों ने लाखों मिट्टी के दीये बनाए, जिससे उनकी आजीविका को बढ़ावा मिला। पर्यावरण संरक्षण के लिए बायोडिग्रेडेबल सामग्री और जैविक तेल का उपयोग किया गया। पूरे उत्तर प्रदेश में 1.5 करोड़ से अधिक दीये जलाए गए, जो इस उत्सव के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।

भविष्य की संभावनाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दीपोत्सव अब अयोध्या की वैश्विक पहचान बन चुका है। उन्होंने भविष्य में इसे और भव्य बनाने का संकल्प दोहराया। अयोध्या को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बनाने के लिए सड़क, रेल, और हवाई कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जा रहा है। राम मंदिर के साथ-साथ दीपोत्सव ने अयोध्या को वैश्विक नक्शे पर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।

निष्कर्ष

अयोध्या का दीपोत्सव 2025 न केवल एक उत्सव था, बल्कि आस्था, एकता, और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बना। 26 लाख से अधिक दीयों की रोशनी ने न सिर्फ सरयू तट को जगमगाया, बल्कि विश्व भर में भारत की सनातन संस्कृति का संदेश पहुंचाया। दो गिनीज रिकॉर्ड्स के साथ यह आयोजन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया। जैसे-जैसे दीपावली का पर्व देश भर में मनाया जा रहा है, अयोध्या का यह दीपोत्सव सत्य और प्रकाश की अमर ज्योति का प्रतीक बनकर उभरा है।

अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो कृपया इसे शेयर करें

.