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हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2025: भारत की रैंकिंग में गिरावट – पूरी खबर और इसका मतलब

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2025 – भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक कूटनीति के जोश के बीच एक निराशाजनक खबर आई है। लंदन की कंसल्टेंसी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स द्वारा जारी ताजा हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट की वैश्विक रैंकिंग 5 पायदान गिरकर 85वें स्थान पर आ गई है, जो पिछले साल (2024) में 80वें स्थान पर थी। यह इंडेक्स इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटा पर आधारित है, जो 199 पासपोर्ट्स को 227 ट्रैवल डेस्टिनेशन्स तक पहुंच के आधार पर रैंक करता है।

इसका मतलब है कि भारतीय पासपोर्ट धारकों को अब केवल 57 देशों में बिना वीजा या वीजा-ऑन-अराइवल की सुविधा मिलेगी, जो पिछले साल के 62 से कम है। पांच देशों की कमी, खासकर अफ्रीका और प्रशांत क्षेत्र में, नीतिगत बदलावों और भू-राजनीतिक तनावों का परिणाम है। हेनली के सीईओ डॉ. ज्यूर्ग स्टेफेन ने रिपोर्ट में कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर की ओर बढ़ रही है, लेकिन इसके नागरिकों की वैश्विक गतिशीलता अभी पीछे है।”

रैंकिंग में गिरावट: आंकड़े क्या कहते हैं?

भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2006 में यह 71वें स्थान पर था, जब आर्थिक उदारीकरण और कूटनीतिक रिश्तों ने जोर पकड़ा था। लेकिन 2010 के दशक में गिरावट शुरू हुई, और 2021 में COVID-19 संकट के दौरान यह 90वें स्थान तक लुढ़क गया। 2025 की शुरुआत में 77वां स्थान मिला, लेकिन अक्टूबर अपडेट ने फिर निराश किया।

सालरैंकवीजा-फ्री डेस्टिनेशन्स
200671वां~52
201476वां~52
202190वां~58
202480वां62
202585वां57

स्रोत: हेनली पासपोर्ट इंडेक्स और 2025 रिपोर्ट

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कुछ यूजर्स ने इसे लेकर नाराजगी जताई। @kothariabhishek ने लिखा, “2013 में भारत 74वें स्थान पर था… अब 85वें पर।” @fortnite69095 ने सरकार से तुलनात्मक आंकड़े मांगे, “विश्वगुरु” के दावों पर सवाल उठाते हुए। हालांकि, विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। इमिग्रेशन विश्लेषक परुल गुलाटी ने बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखा, “रैंकिंग द्विपक्षीय समझौतों पर निर्भर करती है, न कि सिर्फ घरेलू नीतियों पर।”

क्यों गिरी रैंकिंग? कारण और चुनौतियां

यह गिरावट कई वैश्विक और क्षेत्रीय कारकों का परिणाम है। हेनली के अनुसार, भारत की “वीजा छूट में ठहराव” इसका मुख्य कारण है। कुछ प्रमुख कारण:

  • भू-राजनीतिक बदलाव: शेंगेन क्षेत्र और खाड़ी देशों में सख्त वीजा नियम, खासकर प्रवास संबंधी चिंताओं के कारण। भारत-ईयू वार्ता में पारस्परिक पहुंच पर सहमति नहीं बनी।
  • महामारी के बाद का असर: इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे लोकप्रिय गंतव्यों ने ईटीए फीस और सख्त हेल्थ चेक लागू किए, जिससे “वीजा-फ्री” का दर्जा प्रभावित हुआ।
  • तुलनात्मक पिछड़ापन: जहां चीन ने बेल्ट एंड रोड समझौतों से 37 नए गंतव्यों के साथ 30 पायदान की छलांग लगाई (94वें से 64वें), वहीं भारत की “एक्ट ईस्ट” और “नेबरहुड फर्स्ट” नीतियां अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाईं। यूएई ने फ्री-ट्रेड समझौतों से 34 स्थान की उछाल ली।

विदेश मंत्रालय (MEA) आशावादी है। एनडीटीवी को दिए बयान में प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने इस साल 10 नए अफ्रीकी देशों के साथ वीजा-ऑन-अराइवल समझौते किए हैं। 2026 की दूसरी तिमाही तक सुधार की उम्मीद है।” ट्रैवल इंडस्ट्री भी सकारात्मक है। थॉमस कुक इंडिया के सीईओ राजीव काले ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि भारत से विदेश यात्राएं 25% बढ़ी हैं, जिसमें 70% यात्राएं मालदीव और थाईलैंड जैसे वीजा-फ्री गंतव्यों की हैं।

एशिया का दबदबा: सिंगापुर नंबर वन

2025 इंडेक्स में एशिया का जलवा बरकरार है। सिंगापुर 17 साल से शीर्ष पर है, जिसके पासपोर्ट से 193 गंतव्यों तक बिना वीजा पहुंच संभव है – यानी दुनिया का 85% हिस्सा। दक्षिण कोरिया (190) और जापान (189) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, जो तकनीकी कूटनीति और सांस्कृतिक निर्यात से मजबूत हुए हैं।

पश्चिमी देश भी पिछड़ रहे हैं। अमेरिका, जो 2014 में नंबर 1 था, अब 12वें स्थान पर है – दो दशकों में सबसे खराब स्थिति। ब्राजील, चीन और वियतनाम ने इसकी छूट खत्म की। यूके 8वें स्थान पर खिसक गया, जैसा कि X यूजर @AvinashKS14 ने बताया। सबसे नीचे अफगानिस्तान (24), सीरिया (26) और इराक (29) हैं, जो शीर्ष से 169 स्थान पीछे हैं।

टॉप 10 पासपोर्ट 2025रैंकवीजा-फ्री पहुंच
सिंगापुर1193
दक्षिण कोरिया2190
जापान3189
जर्मनी/इटली/आदि4188
ऑस्ट्रिया/फ्रांस/आदि5187
फिनलैंड/नीदरलैंड्स6186
कनाडा7185
यूके8184
स्वीडन9183
यूएई10182

हेनली 2025 डेटा से संकलित

भारतीय कहां जा सकते हैं? 57 गंतव्यों की पूरी लिस्ट

रैंकिंग में गिरावट के बावजूद, भारतीय यात्रियों के लिए कई आकर्षक गंतव्य खुले हैं। एशिया में थाईलैंड और मालदीव जैसे लोकप्रिय स्थान हैं, तो अफ्रीका में केन्या और तंजानिया जैसे सफारी हॉटस्पॉट। नीचे महाद्वीप-वार लिस्ट दी गई है (वीजा-फ्री, VOA, या eTA; हमेशा आधिकारिक स्रोतों से स्टे लिमिट और शर्तें जैसे रिटर्न टिकट चेक करें):

महाद्वीपगंतव्य (कुल 57)
एशिया (11)भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, फिलीपींस, श्रीलंका, थाईलैंड
अफ्रीका (13)अंगोला, बोत्सवाना, बुरुंडी, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोजाम्बिक, रवांडा, सेनेगल, सेशेल्स, तंजानिया, ट्यूनिशिया, युगांडा, जाम्बिया, जिम्बाब्वे
कैरिबियन (14)अंग्विला, एंटीगुआ और बारबुडा, बहामास, बारबाडोस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, डोमिनिका, ग्रेनाडा, हैती, जमैका, मॉन्टसेराट, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडाइन्स, त्रिनिदाद और टोबैगो
ओशिनिया (7)कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती, माइक्रोनेशिया, नीउ, पलाउ, वानुअतु
दक्षिण अमेरिका (3)बोलीविया, गुयाना, निकारागुआ
मध्य अमेरिका (2)अल सल्वाडोर, होंडुरास
अन्य (7)बारबाडोस (क्रॉस-लिस्टेड), हैती (क्रॉस), आदि – IATA क्रॉस-चेक से 57 की पुष्टि।

नोट: लिस्ट अक्टूबर 2025 के हेनली/IATA डेटा पर आधारित; बुरुंडी जैसे नए गंतव्य शामिल। वियतनाम जैसे प्री-एप्रूव्ड ईवीजा बाहर।

X यूजर @yaxis का सुझाव: “रोमांस के लिए मालदीव, वन्यजीवों के लिए केन्या – ये आसान और शानदार गंतव्य हैं।”

व्यापक प्रभाव: सिर्फ यात्रा से ज्यादा

पासपोर्ट की ताकत सिर्फ छुट्टियों तक सीमित नहीं है। यह आर्थिक प्रभाव, बिजनेस ट्रैवल, टैलेंट मूवमेंट और प्रवासी भारतीयों के 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा के रेमिटेंस से जुड़ा है। कमजोर रैंकिंग FDI को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि बिजनेस लीडर्स सिंगापुर जैसे आसान गंतव्यों को प्राथमिकता देते हैं। X पर @CHAND1785 ने लिखा, “सऊदी 57वें पर, भारत 85वें पर… अफसोस।” @kartikpand40929 ने पीएम से गतिशीलता बढ़ाने की मांग की।

आगे की राह में भारत-ईयू FTA और G20 मोबिलिटी फोरम जैसे समझौते उम्मीद जगाते हैं। @NEXTIAS_Delhi ने X पर लिखा, “भारत की अर्थव्यवस्था उड़ान भर रही है, लेकिन पासपोर्ट अभी पीछे।” फिलहाल, eTA ऐप डाउनलोड करें और यात्रा की तैयारी करें – दुनिया इंतजार कर रही है।

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