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गाजा डील से भड़का तूफान: पाकिस्तान में TLP पर सरकार की कार्रवाई, TLP प्रमुख साद रिजवी पर गोलीबारी, हज़ारों गिरफ्तार

पाकिस्तान में हाल के दिनों में Tehreek-e-Labbaik Pakistan (TLP) के साथ सरकार की बढ़ती तनातनी ने देश को अशांति की ओर धकेल दिया है। TLP, जो एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी है, को अक्सर पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों का “पालतू” माना जाता रहा है, क्योंकि इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है, और सरकार ने TLP पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस स्टोरी में हम देखेंगे कि पाकिस्तान TLP से इतना चिढ़ क्यों गया है, मौलाना साद रिजवी (TLP के प्रमुख) पर गोलीबारी की घटना क्या है, और इसमें अमेरिका का क्या कनेक्शन है। यह कवरेज विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है।

TLP का बैकग्राउंड और पाकिस्तान सरकार से रिश्ता

TLP की स्थापना 2015 में मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने की थी, जो मुख्य रूप से ईशनिंदा कानूनों (ब्लासफेमी) की रक्षा पर फोकस करती है। पार्टी को पाकिस्तानी सेना की ओर से समर्थन मिलता रहा है, ताकि इसे सिविलियन सरकारों को अस्थिर करने या राजनीतिक दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। उदाहरण के लिए, 2021 में TLP को बैन किया गया था, लेकिन बाद में सरकार के साथ डील के बाद इसे हटा लिया गया। साद रिजवी, खादिम के बेटे, 2020 से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। हालांकि, TLP की हिंसक प्रदर्शनकारी रणनीति अब सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है, खासकर जब यह विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर विरोध कर रही है।

हाल ही में, पंजाब सरकार ने TLP को बैन करने की मांग की है, और इसके नेताओं को एंटी-टेररिज्म एक्ट की फोर्थ शेड्यूल में डालने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ ने इसे “ऐतिहासिक” कदम बताया है। विश्लेषकों का कहना है कि TLP की हिंसा, जैसे पुलिस पर हमले और अल्पसंख्यकों (क्रिश्चियन, अहमदी) पर अत्याचार, अब राज्य के लिए असहनीय हो गए हैं।

साद रिजवी पर गोलीबारी की घटना

10 अक्टूबर 2025 को, TLP ने लाहौर से इस्लामाबाद की ओर “अल-अक्सा गाजा मार्च” शुरू किया। प्रदर्शनकारी अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध करने जा रहे थे। 13 अक्टूबर को मुरिदके (लाहौर के पास) में पुलिस और TLP कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई। TLP का दावा है कि उनके प्रमुख साद रिजवी को गोली मारी गई और वे घायल हो गए। कुछ सोशल मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी मौत की अफवाहें भी फैलीं, लेकिन पुलिस ने इनकार किया है। पुलिस के मुताबिक, रिजवी और उनके भाई अनस रिजवी गायब हैं, लेकिन उन्हें ट्रैक किया गया है और जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। एक स्रोत के अनुसार, रिजवी को सेना की कस्टडी में रखा गया है, और उनकी पत्नी व परिवार को अलग-अलग हिरासत में। TLP का कहना है कि पुलिस ने “सैकड़ों” कार्यकर्ताओं को मार गिराया, लेकिन सरकार केवल तीन TLP सदस्यों की मौत मानती है।

झड़पों में कम से कम चार लोग मारे गए, जिसमें एक पुलिस अधिकारी शामिल है, और 50 से ज्यादा घायल हुए। TLP कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पत्थर, आग्नेयास्त्र और पेट्रोल बम से हमला किया। पुलिस ने आंसू गैस और लाइव फायरिंग का इस्तेमाल किया। प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए, जिसमें कराची, रावलपिंडी और इस्लामाबाद शामिल हैं। सड़कें ब्लॉक हुईं, इंटरनेट बंद किया गया, और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए। पुलिस ने 2,700 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया और TLP पर टेररिज्म का केस दर्ज किया।

अमेरिका से कनेक्शन

यह पूरा विवाद अमेरिका के नेतृत्व वाले “गाजा डील” से जुड़ा है। 29 सितंबर 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ 20-पॉइंट प्लान पेश किया, जो गाजा में युद्ध समाप्त करने, हमास के कैदियों की रिहाई, और एक अंतरराष्ट्रीय स्टेबलाइजेशन फोर्स (ISF) की तैनाती का प्रस्ताव करता है। पाकिस्तान ने 13 अक्टूबर को इस डील पर हस्ताक्षर किए। TLP ने इसे “फिलिस्तीनियों को गुलाम बनाने की साजिश” बताया और अमेरिकी दूतावास पर मार्च निकाला।

अफवाहें हैं कि पाकिस्तान इजरायल को मान्यता देने या सैनिक भेजने पर विचार कर रहा है, बदले में अमेरिका से 2.4 बिलियन डॉलर का लोन मिल सकता है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया, जबकि प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई हो रही थी। एक खुफिया स्रोत के मुताबिक, सेना ने TLP को उकसाया ताकि अमेरिका को दिखाया जा सके कि इजरायल मान्यता से घरेलू अशांति हो सकती है, और इससे ज्यादा सहायता मांगी जा सके। यह “ब्लैकमेल टैक्टिक” माना जा रहा है।

वर्तमान स्थिति

पाकिस्तान में तनाव बरकरार है। TLP पर बैन की मांग है, और हजारों कार्यकर्ता गिरफ्तार हैं। विश्लेषक कहते हैं कि TLP ने गाजा मुद्दे पर गलत आकलन किया, क्योंकि अन्य ग्रुप्स ने साथ नहीं दिया। सरकार का कहना है कि हिंसा फैलाने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा। इस घटना से पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और विदेश नीति दोनों प्रभावित हो रही हैं।

यह स्टोरी 18 अक्टूबर 2025 तक की जानकारी पर आधारित है, और स्थिति बदल सकती है।

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