हाल ही में चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ मिट्टी तत्वों) के निर्यात पर सख्त नियंत्रण बढ़ा दिए हैं, जिसे अमेरिकी पक्ष व्यापार युद्ध में एक नई चाल के रूप में देख रहा है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक से ठीक पहले आया है, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन के दौरान अक्टूबर के अंत में दक्षिण कोरिया में हो सकती है। अमेरिकी अधिकारी इसे “वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर कब्जा करने की कोशिश” बता रहे हैं, जबकि चीन इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा” का मामला कह रहा है। आइए इस घटना को विस्तार से समझें।
क्या हुआ है?
- चीन का ऐलान: 9 अक्टूबर 2025 को चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने “घोषणा संख्या 61” जारी की, जिसमें अप्रैल 2025 में लगाए गए 7 रेयर अर्थ तत्वों के नियंत्रण को बढ़ाकर 12 कर दिया गया। इसमें होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और इटरबियम जैसे नए तत्व शामिल हैं। साथ ही, इनके प्रसंस्करण तकनीकों, चुंबकों और सैन्य/अर्धचालक उपयोग पर निर्यात लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया। ये प्रतिबंध 1 दिसंबर 2025 से लागू होंगे।
- प्रभाव: रेयर अर्थ उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए जरूरी हैं—इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्टफोन, रक्षा उपकरण और चिप निर्माण में। चीन दुनिया का 80% से ज्यादा उत्पादन नियंत्रित करता है, इसलिए यह कदम वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है। यूरोपीय चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि इससे निर्यात लाइसेंस के लिए बैकलॉग बढ़ेगा।
- पृष्ठभूमि: अप्रैल 2025 में ट्रंप के टैरिफ के जवाब में चीन ने पहली बार प्रतिबंध लगाए थे, जिससे वैश्विक कमी हुई। जून में दोनों देशों ने रेयर अर्थ शिपमेंट पर डील की थी, लेकिन अब तनाव फिर भड़क गया।
अमेरिकी प्रतिक्रिया: ‘भड़क गए’ अधिकारी
- ट्रंप का गुस्सा: ट्रंप ने इसे “व्यापार युद्ध” करार देते हुए 11 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर चेतावनी दी कि अगर चीन नहीं मानेगा, तो 1 नवंबर से चीनी आयात पर 100% टैरिफ लगाए जाएंगे। उन्होंने शी जिनपिंग से बैठक रद्द करने की धमकी भी दी, जब तक बीजिंग पीछे न हटे। व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कथित तौर पर अपने सलाहकारों को फटकार लगाई, “तुमने चीन से बातचीत बर्बाद कर दी।”
- अमेरिकी अधिकारियों की आलोचना:
- वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अगर चीन नियंत्रण हटाए, तो 90-दिवसीय टैरिफ ट्रूस बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत और एशियाई लोकतंत्रों के साथ समन्वित जवाब की बात की।
- व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने इसे “अमेरिकी नवाचार पर हमला” बताया और सहयोगियों से “चीन से दूरी बनाने” की अपील की।
- रक्षा विभाग ने चेताया कि सैन्य हार्डवेयर (जैसे फाइटर जेट सेंसर) प्रभावित हो सकते हैं।
- बाजार पर असर: घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में 2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। बिटकॉइन 10% गिरकर 104,782 डॉलर पर आ गया, और क्रिप्टो मार्केट में 1 ट्रिलियन डॉलर वाष्पित हो गए। सोना 1.7% चढ़ा, जबकि लिवरेज्ड ट्रेडर्स को 19 बिलियन डॉलर का नुकसान।
क्यों है यह ‘ठेंगा’?
- चीन इसे ट्रंप के टैरिफ (जिनमें सैन्य उपयोग वाले उत्पाद शामिल हैं) का जवाब बता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीजिंग की “आर्थिक युद्ध” की नई रणनीति है, जिसमें सप्लाई चेन को हथियार बनाया जा रहा है। रैंड कॉर्पोरेशन के ब्रैडली मार्टिन कहते हैं, “अमेरिका को रेयर अर्थ पर पकड़ मजबूत करने में समय लगेगा।”
- हालांकि, कुछ विश्लेषक कहते हैं कि चीन के प्रतिबंध पूरी तरह लागू नहीं हो पाएंगे, क्योंकि ट्रेस मात्रा वाले उत्पादों पर नियंत्रण मुश्किल है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि उनके पास “उतना ही लिवरेज” है।
आगे क्या?
- बैठक का फैसला: APEC शिखर सम्मेलन (अंतिम सप्ताह, ग्यॉंगजू, दक्षिण कोरिया) में ट्रंप-शी मुलाकात तय है, लेकिन ट्रंप ने रद्द करने की शर्त रखी है। चीन ने “प्रतिशोधी कदम” की चेतावनी दी है।
- वैश्विक प्रभाव: यूरोप (रूस के खिलाफ रक्षा मजबूत करने में) और भारत (सप्लाई चेन विविधीकरण में) प्रभावित होंगे। अमेरिका घरेलू खनन (जैसे माउंटेन पास माइन) बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
- संभावित परिणाम: अगर तनाव बढ़ा, तो वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग ठप हो सकती है। लेकिन इतिहास (2018-19 व्यापार युद्ध) बताता है कि बिटकॉइन जैसी एसेट्स में गिरावट के बाद रिकवरी होती है।
यह घटना अमेरिका-चीन व्यापार तनाव का नया अध्याय है, जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे को ‘कमजोर’ साबित करने पर तुले हैं। अधिक अपडेट्स के लिए प्रमुख समाचार स्रोतों पर नजर रखें।
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