हरियाणा ADGP की खुदकुशी के पीछे रिश्वत कांड? शराब कारोबारी ने लगाया था ‘मंथली’ का आरोप
चंडीगढ़/रोहतक, 8 अक्टूबर 2025: हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध मौत ने न केवल पुलिस महकमे को हिला दिया है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र में सनसनी फैला दी है। मंगलवार दोपहर चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आलीशान सरकारी आवास के साउंडप्रूफ बेसमेंट में एडीजीपी रैंक के इस अधिकारी ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। घटना के महज एक दिन पहले ही उनके पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) सुशील कुमार पर एक शराब कारोबारी ने भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया था। क्या यह रिश्वत कांड ही उनकी मौत की वजह बना? या विभागीय साजिश और मानसिक दबाव ने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया? पुलिस जांच में अब कई बड़े राज खुलने की संभावना है।
घटना का विवरण: अकेलेपन में लिया खतरनाक फैसला
दोपहर करीब 1:30 बजे की बात है। वाई. पूरन कुमार ने अपने घर के गार्ड्स को बाहर भेज दिया। फिर वे बेसमेंट की ओर बढ़े, जहां साउंडप्रूफ कमरा था। वहां उन्होंने अपने पीएसओ की सर्विस पिस्टल से एक गोली सीने में दाग दी। आवास पर सन्नाटा छा गया। कुछ ही देर बाद घर में मौजूद स्टाफ ने खून से सना शव देखा और चीख-पुकार मच गई। चंडीगढ़ पुलिस की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कंवरदीप कौर ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लग रहा है, लेकिन फॉरेंसिक जांच पूरी होने के बाद ही पुष्टि होगी।
शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह निकली कि घटनास्थल पर 9 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें वाई. पूरन ने कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम लिए हैं। नोट में विभागीय भ्रष्टाचार, प्रमोशन में अनियमितताओं और जातिगत भेदभाव का जिक्र है। सूत्रों के अनुसार, नोट में रिश्वत कांड का भी उल्लेख है, जो रोहतक के हालिया मामले से जुड़ा लगता है। चंडीगढ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर गहन जांच शुरू कर दी है।
रिश्वत कांड का नया मोड़: शराब कारोबारी का ‘मंथली’ आरोप
इस हृदयविदारक घटना से ठीक एक दिन पहले, यानी सोमवार को रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। यह एफआईआर वाई. पूरन कुमार के ही पीएसओ हेड कांस्टेबल सुशील कुमार के खिलाफ थी। शिकायतकर्ता रोहतक के प्रमुख शराब कारोबारी प्रवीण बंसल ने आरोप लगाया कि सुशील ने उनसे हर महीने 2 से ढाई लाख रुपये की ‘मंथली’ रिश्वत मांगी थी। बंसल का दावा है कि यह रकम वाई. पूरन कुमार के नाम पर वसूली जा रही थी, ताकि शराब के कारोबार में कोई रुकावट न आए।
रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया ने पुष्टि की कि सुशील को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई। पूछताछ में सुशील ने कबूल किया कि वह पूरन कुमार के नाम पर ही पैसे ऐंठ रहा था। हालांकि, वाई. पूरन को इस मामले में अब तक नोटिस तक नहीं दिया गया था। बंसल ने अपनी शिकायत में एक ऑडियो क्लिप का भी जिक्र किया, जिसमें सुशील रिश्वत की मांग करता सुनाई दे रहा है। यह क्लिप पुलिस के पास है और जांच का हिस्सा बनी हुई है। क्या वाई. पूरन को इस मामले में फंसने का डर था? या विभागीय दबाव ने उन्हें तोड़ दिया? ये सवाल अब जांच एजेंसियों के सामने हैं।
वाई. पूरन कुमार कौन थे? विवादों से भरा सफर
वाई. एस. पूरन कुमार 2001 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। वे वर्तमान में एडीजीपी रैंक पर थे, लेकिन रोहतक के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (पीटीसी), सुनारिया में आईजी के पद पर तैनात थे। उनका करियर शुरू से ही चर्चाओं में रहा। वे राम रहीम केस से जुड़े रहे, जहां उन्होंने जेल सुरक्षा का जिम्मा संभाला था। लेकिन पिछले कुछ सालों में वे विभागीय विवादों के केंद्र में रहे।
- प्रमोशन विवाद: पिछले साल उन्होंने चार बैच (1991, 1996, 1997 और 2005) के आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखे पत्र में उन्होंने वित्त विभाग के नियमों का उल्लंघन बताते हुए शिकायत की। पूर्व डीजीपी मनोज यादव पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की।
- ‘वन ऑफिसर, वन हाउस’ नीति: उन्होंने कई आईपीएस अधिकारियों पर एक से ज्यादा सरकारी आवास पर कब्जा करने का आरोप लगाया। डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत कई नाम लिए, जिससे विभाग में खलबली मच गई।
- ट्रांसफर और जातिगत भेदभाव: सूत्र बताते हैं कि वाई. पूरन को बार-बार ट्रांसफर का सामना करना पड़ा। वे जातिगत भेदभाव का शिकार होने का दावा करते रहे। एक मनपसंद गाड़ी न मिलने पर भी उनकी नाराजगी सुर्खियों में रही।
वाई. पूरन की पत्नी अमनीत पी. कुमार भी आईएएस अधिकारी हैं। वे हरियाणा कैडर की 2002 बैच की अफसर हैं और वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ जापान के आधिकारिक दौरे पर हैं। घटना की खबर मिलते ही उन्हें वापस बुला लिया गया है। दंपति के दो बच्चे हैं, जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।
विभागीय साजिश या मानसिक दबाव? जांच के नए आयाम
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुसाइड नोट में वाई. पूरन ने विभागीय राजनीति और भ्रष्टाचार पर कटाक्ष किया है। नोट में सीनियर आईपीएस अधिकारियों के नाम हैं, जो रिश्वत और अनियमितताओं में कथित रूप से लिप्त हैं। रोहतक के रिश्वत कांड से जुड़ी ऑडियो क्लिप और एफआईआर ने मामले को और पेचीदा बना दिया है। क्या वाई. पूरन को पूछताछ का डर था? या ट्रांसफर की आशंका ने उन्हें तोड़ दिया? चंडीगढ़ पुलिस के अलावा हरियाणा आईजी और सीबीआई जैसी एजेंसियां भी जांच में शामिल हो सकती हैं।
राजनीतिक हलकों में भी सनसनी है। विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर निशाना साधा है, जबकि सत्ताधारी जजपा-बीजेपी गठबंधन ने इसे व्यक्तिगत त्रासदी बताया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदमे का इजहार किया और विभागीय सुधार की मांग की।
निष्कर्ष: एक साफगोई का अंत, कई सवालों की शुरुआत
वाई. पूरन कुमार जैसे ईमानदार अधिकारी की मौत ने हरियाणा पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार और दबाव की काली सच्चाई उजागर कर दी है। रिश्वत कांड से जुड़े तार इस घटना को संदिग्ध बनाते हैं। क्या यह महज एक सुसाइड है या सिस्टम की नाकामी का नतीजा? जांच पूरी होने तक सवाल बने रहेंगे। फिलहाल, पूरे देश की नजरें इस मामले पर टिकी हैं।
(यदि आपके या आपके किसी परिचित के मन में आत्महत्या का विचार आ रहा है, तो तुरंत सहायता लें। हेल्पलाइन: किरण – 1800-599-0019)
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