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बिलासपुर का वो हादसा, जिसमें जिंदगियां मलबे में दफन हो गईं ?

बिलासपुर बस हादसा: भूस्खलन की चपेट में आई बस, 18 जिंदगियां मलबे में दफन; एक ही परिवार के चार सदस्यों की दर्दनाक मौत

बिलासपुर, 8 अक्टूबर 2025 (विशेष संवाददाता): हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में मंगलवार शाम को एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया, जिसने पूरे इलाके को शोक की लहर में डुबो दिया। भारी बारिश के बीच भूस्खलन से पहाड़ी मलबा और चट्टानें मरोतन से घुमारवीं जा रही एक निजी बस पर आ गिरा। बस की छत पूरी तरह उखड़ गई और यह शुक्र खड्ड के किनारे लटक गई, जबकि सवारियां मलबे में दब गईं। इस हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि तीन मासूम बच्चों को चमत्कारिक रूप से बचा लिया गया। इनमें से एक बच्ची के सामने उसकी मां ने दम तोड़ दिया, जो इस त्रासदी का सबसे दर्दनाक पहलू है। बचाव कार्य रातभर चला और बुधवार सुबह भी जारी रहा, लेकिन मलबे में अभी भी कुछ लोग दबे होने की आशंका बनी हुई है।

हादसे का विवरण: बारिश ने बदली पहाड़ी राहों में तबाही

हादसा बिलासपुर जिले के झंडूता विधानसभा क्षेत्र के बालूघाट (भल्लू पुल) के पास करीब शाम 6:30 बजे हुआ। 32 सीटर निजी बस (रूट: मरोतन-बरठीं-घुमारवीं) में करीब 30-35 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं, बच्चे और स्थानीय निवासी शामिल थे। अधिकांश यात्री मरोतन, बरठीं और बीच स्टैंड से चढ़े थे। सोमवार से रुक-रककर हो रही भारी बारिश ने पहाड़ी को कमजोर कर दिया था। अचानक भूस्खलन शुरू हुआ और भारी चट्टानें व मलबा बस की छत पर आ गिरा। बस का अगला हिस्सा शुक्र खड्ड के किनारे लटक गया, जबकि पूरा वाहन 8-10 फीट मलबे के नीचे दब गया।

चश्मदीदों के मुताबिक, हादसे के दौरान बस में धमाका-सा हुआ और चारों ओर अंधेरा छा गया। चीख-पुकार मच गई, लेकिन मलबे की वजह से कोई बचाव तुरंत संभव नहीं हो सका। स्थानीय लोग सबसे पहले पहुंचे और हाथों से मलबा हटाने लगे। NDRF, SDRF, पुलिस, दमकल विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। आठ जेसीबी मशीनें, पांच रेस्क्यू क्रेन और 40 से अधिक कर्मियों ने रातभर बचाव कार्य किया। लेकिन, मलबे की मोटी परत और लगातार बारिश ने काम को मुश्किल बना दिया।

एक ही परिवार का काला अध्याय: बेटी के सामने मां ने तोड़ा दम

इस हादसे का सबसे मार्मिक पहलू फगोग गांव के एक ही परिवार की त्रासदी है। परिवार के चार सदस्य—अंजना कुमारी (विपिन की पत्नी), उनके दो बेटे नक्श (7 वर्ष) और आरव (4 वर्ष), तथा विपिन के भाई राजकुमार की पत्नी कमलेश कुमारी—की मौत हो गई। ये सभी रिश्तेदार के यहां समारोह में शरीक होकर लौट रहे थे। अंजना का मायका गंगलोह थेह गांव में है।

बचाव दल ने सबसे पहले दो भाई-बहनों—आरुषि (10 वर्ष) और शौर्य (8 वर्ष)—को सुरक्षित निकाला। इनकी मां कमलेश कुमारी की मौत मौके पर ही हो गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, कमलेश ने अपनी आखिरी सांसें अपनी बेटी आरुषि के सामने लीं, जो इस दृश्य को और भी भयावह बना देता है। शौर्य और आरुषि को पहले बरठीं अस्पताल ले जाया गया, फिर एम्स बिलासपुर रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार, दोनों की हालत स्थिर है, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल हैं। परिवार के बुजुर्ग ठाकुर दास ने बताया कि अंजना मायके वालों की गाड़ी से लौटने वाली थीं, लेकिन उन्होंने बस ले ली। अगर गाड़ी में आ जातीं, तो शायद यह हादसा टल जाता। बुधवार को फगोग गांव में चारों शवों की अंतिम यात्रा एक साथ निकलेगी, जिससे पूरा इलाका शोकमग्न है।

मृतकों और घायलों की स्थिति: चालक-परिचालक भी शिकार

अब तक 18 शव बरामद हो चुके हैं, जिनमें बस चालक और परिचालक भी शामिल हैं। मृतकों की अधिकांश पहचान हो चुकी है, लेकिन कुछ शवों की स्थिति ऐसी है कि डीएनए टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है। घायलों में तीन बच्चे (आरुषि, शौर्य और एक अन्य) शामिल हैं, जिनका इलाज एम्स बिलासुपर में चल रहा है। एक अन्य बच्चे को भी सुरक्षित निकाला गया था। कुल मिलाकर, 10-12 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, और बचाव कार्य जारी है।

विवरणसंख्या
कुल सवार30-35
मृतक18
घायल/बचे3 (बच्चे)
लापता10-12 (अनुमानित)
बचाव दलNDRF, SDRF, पुलिस, स्थानीय

प्रशासनिक प्रतिक्रिया: सीएम ने की जांच के आदेश

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा शोक जताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “यह भयानक भूस्खलन ने मन को झकझोर दिया है। प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी।” सीएम ने बचाव कार्य की निगरानी के लिए डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री को निर्देश दिए। प्रत्येक मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की गई है। डिप्टी सीएम ने बताया कि हादसे में 15 मौतें पुष्ट हो चुकी हैं, और रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चल रहा है।

हादसे के बाद प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि भूस्खलन प्रभावित इलाके में चेतावनी बोर्ड नहीं थे और बचाव के लिए जेसीबी आधे घंटे देरी से पहुंची। हिमाचल में मानसून की विदाई के बाद भी पश्चिमी विक्षोभ से भारी बारिश जारी है, जिससे जून से अब तक 179 मौतें (101 वर्षा-संबंधी) हो चुकी हैं। 617 सड़कें बंद हैं, और चार राष्ट्रीय राजमार्ग प्रभावित हैं।

भविष्य की चिंता: बारिश ने बढ़ाई भूस्खलन की आशंका

मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, बिलास्पुर, मंडी और कांगड़ा में अगले 24 घंटों में भारी बारिश की संभावना है। इस हादसे ने पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा और भूस्खलन रोकथाम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रही खुदाई और जलवायु परिवर्तन ने पहाड़ों को कमजोर कर दिया है। स्थानीय निवासी अब राहत की मांग कर रहे हैं, लेकिन शोक की छाया में पूरा गांव सन्नाटे में डूबा है।

यह हादसा न केवल एक बस दुर्घटना है, बल्कि प्रकृति की मार का प्रतीक है। प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, उम्मीद है कि बचाव कार्य जल्द पूरा हो और बाकी जिंदगियां बचाई जा सकें।

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