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दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की आजादी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

11 अगस्त, 2025 – भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए दिल्ली-एनसीआर की नगर निगमों और स्थानीय प्रशासन को सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर में रखने का निर्देश दिया। यह आदेश कुत्तों के काटने और रेबीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए पारित किया गया है।

कोर्ट के प्रमुख निर्देश

1. आवारा कुत्तों का स्थानांतरण और शेल्टर में रखरखाव

  • सभी आवारा कुत्तों (चाहे वे नसबंदी वाले हों या नहीं) को आवासीय इलाकों, संवेदनशील क्षेत्रों और शहर के बाहरी हिस्सों से उठाकर विशेष शेल्टर में रखा जाएगा।
  • शेल्टर में नसबंदी, टीकाकरण और देखभाल की सुविधा होनी चाहिए।
  • शुरुआत में कम से कम 5,000 कुत्तों को रखने की व्यवस्था की जाएगी, और भविष्य में क्षमता बढ़ाई जाएगी।
  • कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर वापस छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। शेल्टर में CCTV निगरानी की व्यवस्था भी की जाएगी ताकि कोई कुत्ता भाग न सके।

2. जिम्मेदार अधिकारी

  • दिल्ली नगर निगम (MCD), NDMC, दिल्ली सरकार और नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम की नगरपालिकाएं इस कार्य को अंजाम देंगी।
  • अधिकारियों को रोजाना कुत्तों के पकड़े जाने का रिकॉर्ड रखना होगा।
  • यदि जरूरी हो, तो बल प्रयोग करके भी कुत्तों को पकड़ा जा सकता है।

3. हेल्पलाइन और शिकायत प्रबंधन

  • एक सप्ताह के भीतर कुत्ते के काटने या रेबीज की शिकायत के लिए एक डेडिकेटेड हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी।
  • शिकायत मिलने के 4 घंटे के भीतर अधिकारियों को संबंधित कुत्ते को पकड़कर नसबंदी (यदि जरूरी हो) करनी होगी और उसे शेल्टर में रखना होगा।

4. रेबीज प्रबंधन

  • दिल्ली सरकार को रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता, स्टॉक और वितरण पर विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी।
  • काटने के शिकार लोगों के इलाज का मासिक डेटा भी जमा करना होगा।

5. प्रतिबंध

  • आवारा कुत्तों को गोद लेने की अनुमति नहीं होगी और उन्हें पालतू नहीं बनाया जा सकेगा।
  • कोर्ट ने कहा कि “नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस छोड़ना बेतुका है”, क्योंकि इससे रेबीज का खतरा बना रहता है।

समयसीमा

  • शेल्टर की रिपोर्ट और प्रगति: 8 सप्ताह के भीतर
  • 5,000 कुत्तों को शेल्टर में रखना: 6-8 सप्ताह के भीतर
  • हेल्पलाइन स्थापित करना: 1 सप्ताह के भीतर
  • शिकायत पर कार्रवाई: 4 घंटे के भीतर

आदेश का कारण

जस्टिस JB पारदीवाला और R महादेवन की पीठ ने इस स्थिति को “अत्यंत गंभीर” बताया, क्योंकि दिल्ली में बच्चों और बुजुर्गों पर कुत्तों के हमले बढ़ रहे हैं। भारत में रेबीज से होने वाली मौतें दुनिया की 36% हैं (वैश्विक स्तर पर हर साल लगभग 60,000 मामले सामने आते हैं)। कोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश दिया, जिसमें बच्चों पर हुए हमलों की जानकारी थी।

दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से जून 2025 तक 35,198 जानवरों के काटने के मामले और 49 रेबीज के केस दर्ज किए गए थे।

कुत्तों की देखभाल के प्रावधान

  • शेल्टर में कुत्तों को पेशेवर तरीके से रखा जाएगा।
  • उनकी नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य होगा।
  • हालांकि, उन्हें अनिश्चित काल तक शेल्टर में रखा जाएगा, लेकिन उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।

चेतावनी: अड़चन डालने वालों के लिए सख्त कार्रवाई

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति, संगठन या “डॉग लवर्स” इस प्रक्रिया में बाधा डालते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अदालत की अवमानना भी शामिल हो सकती है।

विवाद और हितधारकों की प्रतिक्रिया

  • सार्वजनिक सुरक्षा समर्थकों ने इस आदेश का स्वागत किया है और इसे “स्ट्रे मेन्स” को नियंत्रित करने की दिशा में एक जरूरी कदम बताया है।
  • वहीं, पशु अधिकार संगठनों को यह आदेश चिंताजनक लग सकता है, क्योंकि इससे शेल्टर में भीड़भाड़ या कुत्तों की लंबी कैद हो सकती है।
  • कोर्ट ने “भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं” कहकर स्पष्ट कर दिया कि जनहित को प्राथमिकता दी जाएगी।

निष्कर्ष

यह आदेश पिछले एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग्स) रूल्स से अलग है, जिसमें नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस छोड़ दिया जाता था। अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए “नो-रिलीज पॉलिसी” लागू की है। आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा हो सकती है, लेकिन फिलहाल कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि “सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है।”

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