Raksha Bandhan History and Auspicious Time 2022
रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार सबसे प्रतीक्षित और प्रतिष्ठित हिंदू त्योहारों में से एक है। यह दिन भाई और बहन के बंधन को समर्पित है। यह त्यौहार भाई-बहनों के बीच स्नेह और सम्मान का प्रतीक माना जाता है और इस दिन बहनें भाइयों की सलामती की प्रार्थना भी करती हैं। इस त्योहार को राखी के नाम से भी जाना जाता है और यह हिंदू त्योहार बहुत प्यार और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहन को बुराई से बचाने का वादा करता है। रक्षा बंधन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार राखी को शुभ मुहूर्त में बांधना चाहिए क्योंकि इसका बहुत महत्व है और इससे समृद्धि आती है। वर्तमान में यह त्यौहार न केवल भाई-बहनों के बीच मनाया जाता है, बल्कि दोस्तों और करीबी लोगों के बीच भी मनाया जाता है, जिन्हें लोग प्यार और देखभाल का संदेश देना चाहते हैं।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएँ (Raksha Bandhan Mythology)
राजकुमारी द्रौपदी की कथा (Story of Princess Draupadi)
रक्षाबंधन को लेकर कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित है, जिनमें से एक महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और राजकुमारी द्रौपदी की कथा है। इस कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गलती से अपने ही सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली काट ली थी। यह देख राजकुमारी द्रौपदी ने खून को रोकने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा उनकी कटी हुई उंगली या हाथ पर बांध दिया। भगवान कृष्ण उसके इस कार्य से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने उसी समय राजकुमारी द्रौपदी को दुनिया की सभी बुराइयों से उसकी रक्षा करने का वचन दे दिया।
अंतत द्रौपदी के चीरहरण के समय जब कौरवों ने उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने ही उनका अपमान होने से बचाकर अपना वचन पूरा किया।
देवी लक्ष्मी की कथा (Story of Goddess Lakshmi)
एक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी और दानवेन्द्र राजा बलि ने भी रक्षाबंधन के इस त्यौहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मान्यता है कि जब राजा बलि ने जब अपने 100 यज्ञ पूर्ण किए, तो उसके पश्चात उन्होंने देवताओं से स्वर्ग छीनने का प्रयास किया, तब इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान श्री हरि विष्णु से प्रार्थना की, कि वे स्वर्ग की रक्षा करें। तब भगवान वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे तथा गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकनाचूर कर देने के कारण यह त्योहार बलेव के नाम से भी जाना जाता है।
तब रसातल में रह रहे राजा बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान विष्णु को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान श्री हरि विष्णु के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद मुनि जी ने एक उपाय बताया था और उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बना लिया और अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ वापिस लेकर आ गई । मान्यता है कि उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और तब से यह त्यौहार प्रचलित हो गया।
इन्द्राणी की कथा (Story of Indrani)
भविष्य पुराण के अनुसार जब देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब दानव देवताओं पर हावी हो रहे थे, तब देवराज इन्द्र घबरा गए और बृहस्पति के पास गए। जब देवराज इंद्र बृहस्पति से बात कर रहे थे, तब वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन लिया।
इंद्र की पत्नी इन्द्राणी ने रेशम के धागे को मन्त्रों की शक्ति से पवित्र किया और उस धागे को अपने पति देवराज इंद्र की कलाई पर बाँध दिया। भविष्य पुराण के अनुसार वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। मान्यता है कि देवराज इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयपूर्ण होकर वापस लौटे थे। उस दिन से इस त्यौहार में कलाई में धागा बाँधने की प्रथा की शुरुआत हुई। तभी से यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय का प्रतीक माना गया है।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 2022 (Raksha Bandhan Shubh Muhurat 2022)
इस साल लोग इस त्योहार की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि रक्षा बंधन गुरुवार 11 अगस्त को है, वहीं अन्य का दावा है कि यह शुक्रवार के दिन 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इसीलिए हम आपकी सभी शंकाओं को दूर करने के लिए पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त बताने जा रहे है।
रक्षा बंधन गुरुवार, 11 अगस्त, 2022
प्रदोष का समय रक्षा बंधन मुहूर्त – 08:51 PM से 09:13 PM
अवधि – 00 घंटे 22 मिनट
रक्षा बंधन भद्रा समाप्ति समय – 08:51 PM
रक्षा बंधन भद्रा पंच – 05:17 PM से 06:18 PM तक
रक्षा बंधन भद्र मुख – 06:18 PM से 08:00 PM
पूर्णिमा तिथि शुरू – 11 अगस्त 2022 को सुबह 10:38 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 07:05 AM, 12 अगस्त 2022
यदि संक्षेप में कहा जाए तो, पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 बजे शुरू होगी और 12 अगस्त, 2022 को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी। हालाँकि, भद्रा भी पूर्णिमा के साथ हो रही है और पूर्णिमा तिथि के पहले भाग के दौरान रहेगी।
द्रिक पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन पर राखी बांधने और अनुष्ठान करने के लिए शाम का समय सबसे अच्छा समय है, जो देर दोपहर तक है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि भद्रा के दौरान अनुष्ठान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों से संकेत मिलता है कि यह एक दुर्भावनापूर्ण समय है, जिसमे सभी शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
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