Initial Public Offering
जब कोई कंपनी पहली बार अपने स्टॉक्स या शेयर्स को सभी लोगो के लिए जारी कर देती है, वह आईपीओ (IPO) या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहलाती है। इसे प्रारभिंक सार्वजनिक प्रस्ताव भी कहा जाता है।
आईपीओ अधिकतर नई और छोटी कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। ज्यादातर कंपनियां IPO तब प्रस्तुत करती है, जब उन्हें अपना व्यापार बढ़ाने के लिए पूँजी (Capital) की आवश्यकता होती है या फिर जब वे शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहते हो, परन्तु ऐसा जरूरी नहीं है क्योंकि आईपीओ बड़ी निजी-स्वामित्व वाली कंपनियों के द्बारा भी प्रस्तुत किए जाते है।
आईपीओ जारी करने वाली कंपनी एक अंडरराइटिंग कंपनी से मदद मांग सकती है, जो यह निर्धारित करने में मदद करती है कि सुरक्षा (ज़मानत) कैसे जारी की जाए (सामान्य या पसंदीदा) तथा आईपीओ के लिए सर्वोत्तम मूल्य क्या है और इसे बाजार में उतारने का सही समय कब है।
आईपीओ के प्रकार (Types of IPO)
IPO मुख्यतः दो तरह के होते है – निर्धारित मूल्य आईपीओ और बुक बिल्डिंग आईपीओ
1. निर्धारित मूल्य आईपीओ (Fixed Price IPO)
निवेशक को इस IPO में भाग लेने के लिए आवेदन करते समय शेयर की पूरी कीमत चुकानी होती है। इश्यू बंद होने के बाद ही मार्केट से डिमांड का पता चलता है। कुछ कंपनियां अपने शेयरों की शुरुआती बिक्री के लिए निर्गम मूल्य निर्धारित करती हैं। सार्वजनिक होने से पहले हो निवेशक शेयर की कीमत का पता कर पाते है।
2. बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)
इस आईपीओ में निवेशकों को उन शेयर्स की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है, जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं और जिस धनराशि को वे प्रति शेयर भुगतान करने में सक्षम हो। इसमें आईपीओ शुरू करने वाली कंपनियां निवेशकों को शेयर्स पर लगभग 20% मूल्य बैंड देती है।
जो भी निवेशक शेयर्स खरीदने की इच्छा रखते है, वे आखिरी कीमत तय होने तक शेयर्स की बोली लगाते है। उच्चतम स्टॉक की कीमत को कैप प्राइस कहा जाता है और न्यूनतम शेयर के मूल्य को फ्लोर प्राइस कहा जाता है। शेयर्स की कीमत से संबंधित अंतिम फ़ैसला निवेशकों की बोलियों से निर्धारित होता है।
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