History, Types and Importance of Agriculture in India
यदि फसल उत्पादन या कृषि (Agriculture) की बात करें, तो हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है। भारत में कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हमारे देश में कृषि का बहुत महत्व (Importance of Agriculture) है तथा कृषि से संपूर्ण राज्य प्रभावित होता है। यहां पर अनेक राज्यों में मुख्यतः कृषि या खेती ही की जाती है अर्थात कृषि उत्पादन मुद्राप्रसार की दर को नियंत्रित रखता है।
भारत में सबसे अधिक चावल की खेती की जाती है। फसली क्षेत्र के करीब-करीब 35% भाग में चावल का उत्पादन किया जाता है। उत्तर प्रदेश राज्य भारत में सबसे अधिक कृषि या खेती के लिए जाना जाता है। हमारा भारत देश लगभग 93,500,000 टन प्रति वर्ष के उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है।
इतिहास (Agriculture History)
बताया जाता है कि भारत देश में कृषि करीब-करीब 8000 ईसा से भी पहले हो रही है। उस समय भी लोगों ने खेती करने के लिए कई प्रकार की तकनीकें और औजारों का विकसन कर लिया था। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया लोगों ने मौसम की प्रवित्ति को समझते हुए कई प्रकार के पेड़-पौधे या फसलें अलग-अलग ऋतुओं में लगानी शुरू की।
किसी-किसी फसल या पौधे को साल में एक बार तो किसी-किसी को साल में दो बार उगाया जाने लगा अर्थात दोहरे मानसून होने के कारण एक ही साल में दो बार फसलें लगाई जाने लगी। इसी तरह वाणिज्य प्रणाली के माध्यम से भारतीय कृषि उत्पाद विश्व बाजार में आने लगा। तब से यहां की फसलें दूसरे देशों में और वहां की फसलें हमारे देश में आने लगी।
कृषि या खेती के प्रकार को निर्धारित करने वाले कारक
प्राकृतिक कारक
- भूमि
- भूमि की धरातल
- जलवायु
सामाजिक कारक
- सामाजिक रीति-रिवाज तथा मान्यताएं
- कृषक की व्यकितगत रूचि
आर्थिक कारक
- कृषक की आर्थिक स्थिति
- भूमि की स्थिति
- भूमि की कीमत
- पूंजी की सुलभता
- श्रम की उपलब्धता
- विपणन सुविधाएं
कृषि या खेती के प्रकार (Types of Agriculture)
कृषि या खेती के प्रमुख 5 प्रकार है –
विशिष्ट खेती, मिश्रित खेती, शुष्क खेती, बहु प्रकारीय खेती, रैंचिंग खेती
इनके इलावा भी, कई आधारों पर विभिन्न प्रकार की खेती की जाती है –
कृषि योग्य भूमि के आपूर्ति के आधार पर
भूमि की आपूर्ति के आधार पर खेती को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है –
- गहन खेती
- विस्तृत खेती ।
भूमि की उपलब्धता के आधार पर
- पट्टीदार खेती
- कार्बनिक कृषि
- सीढ़ीदार कृषि
- निर्वहन कृषि
- डैरी फार्मिंग
- सह-फसली पद्धति
- लेई खेती
- ट्रक फार्मिंग
- बहुफसली खेती
- समोच्च कृषि
- स्थानांतरणशील कृषि
- स्थानबद्ध कृषि
शस्य गहनता के आधार पर
- एक फसली खेती
- द्वि फसली खेती
- बहु फसली खेती
वाणिज्यीकरण के आधार पर
- आदिम खेती
- व्यावसायिक खेती
- रोपण खेती
मिश्रित खेती के आधार पर
- उद्यान विज्ञान – फलों की खेती, सब्जियों की खेती, औषधियों की खेती, पुष्पों की खेती।
- पशुपालन – गाय- भैंस पालन, भेड़-बकरी पालन, सूअर पालन, मुर्गी/बत्तख/तीतर पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन, मत्स्य पालन।
- कृषि वानिकी – इस कृषि या खेती में कई प्रकार की तकनीकों के साथ भूमि टिकाऊ और विविधतापूर्ण बनाया जाता है और जब कृषि में वन-विज्ञान की नीतिपूर्वक पेड़ों एवं झाड़ियों को अच्छी प्रकार से लगाकर पेड़ों व झाड़ियों दोनों से लाभ प्राप्त करें, उसे ही कृषिवानिकी कहा जाता है।
- सामाजिक वानिकी – सामाजिक वानिकी में खाली पड़े स्थानों पर पेड़ लगाकर ग्रामीण लोगों को रोजगार और पर्यावरण की सुरक्षा की जाती है। यह एक प्रकार का कार्यक्रम है, जिसमे लोगों को रोजगार भी मिल जाता है और पर्यावरण को साफ- सुथरा तथा सुंदर बनाने की कोशिश की जाती है।
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