State of Emergency Declared in Sri Lanka
श्रीलंका के हालात देखते हुए राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को हिंसा से निपटने के लिए सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त हो जाएंगे। राष्ट्रपति के आवास स्थान के बाहर गुरुवार के दिन बहुत बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के पश्चात यह घोषणा की गई।
देश में इस प्रकार आर्थिक संकट आने पर लोग असंतुष्ट तथा व्यथित होकर बड़े पैमाने पर आघात प्रदर्शन कर रहे थे। 1 अप्रैल, 2022 को आपातकाल की घोषणा की गई।
राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे का बयान
राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे का कहना है कि जिस प्रकार देश में यह आर्थिक संकट आने के बाद लोग काबू से बाहर हो रहे है, इसके लिए आपातकाल घोषित करना और सख्त कानूनों को लागू करना बहुत आवश्यक है ताकि हिंसा करने वाले लोगों को सुरक्षा बलों की सहायता से अरेस्ट किया जा सकें और उन्हें हिरासत में ले लिया जाए।
राष्ट्रपति राजपक्षे को मिलें आपातकाल से असीमित अधिकार
बताया जा रहा है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने जन सुरक्षा के लिए कई धाराएं लागू कर दी है, जिनके जरिए वें लोगों के द्वारा की गई हिंसा को खत्म करने, सभी व्यवस्थाओं को भी बनाए रखने में और लोगों की जान-माल की रक्षा करने के लिए व सभी लोगों का रखरखाव इत्यादि ये सभी कार्य कर सकें।
आपातकाल के नियमानुसार, राष्ट्रपति किसी की भी संपत्ति पर कब्जा कर सकता है तथा किसी भी इलाके की तलाशी ले सकता है, यदि कोई इसमें हस्तक्षेप करें तो उसे हिरासत में भी ले सकता है इतना ही नहीं, वह किसी भी कानून को बदल तथा पदच्युत या निलंबित कर सकता है।
जनता ने राजपक्षे को जिम्मेदार ठहराया आर्थिक संकट के लिए
बताया जा रहा है कि श्रीलंका देश में आए इस आर्थिक संकट का जिम्मेदार लोग देश के राष्ट्रपति को मानते है, जिस कारण अनेकों लोगों ने राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे के आवास के बाहर एकत्रित होकर उनसे इस्तीफा देने की मांग की और हिंसात्मक प्रदर्शन किया। जब हालत बेकाबू हो गए, तब बल पूर्वक लगभग 44 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहां के हालात, इस कदर बिगड़ चुके थे कि कोलंबो शहर में काफी समय तक कर्फ्यू लगाना पड़ा।
हिंसक हो गया था विरोध प्रदर्शन
श्रीलंका में गुरुवार के दिन अनेकों लोगों ने मिलकर राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के बाहर उनका विरोध किया था, जोकि बाद में बहुत प्रचंड हो गया। लोग उनकी द्वीप राष्ट्र में आर्थिक संकट को दूर करने में हुई असफलता को लेकर उनका विरोध करने लगे और उनसे इस्तीफे की मांग की। परन्तु प्रदर्शन अचानक ही हिंसा में तब्दील गया। अनेक लोगों को घायल कर दिया गया और अनेक गाड़ियों में आग लगा दी गई, जिस कारण कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
लोगों द्वारा किए गए इस हिंसक प्रदर्शन को सरकार ने ‘आतंकी कृत्य’ बताया है क्योंकि कई लोग बुरी तरह से घायल हुए है और संसाधनों में आग भी लगाई गई है, इतना ही नहीं, इन सब के लिए विपक्षी दलों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
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